चरोडा (छत्तीसगढ़):
मन में चलने वाले लगातार नकारात्मक विचार वर्तमान में अनेक समस्याओं का कारण बनते है। मन के नकारात्मक विचारों से ही तनाव उत्पन्न होता है। क्षणिक क्रोध या आवेश मनुष्य को कभी न सुधरने वाली भूल कर बैठता है। क्रोध से मानसिक तनाव बढ़ता है। क्रोध से मनुष्य का विवेक नष्ट होता है | क्रोध मुर्खता से शुरू होता और कई वर्षो के बाद के पश्चाताप से समाप्त होता है | क्रोध के कारण मनोबल और आत्मबल कमजोर हो जाता है | क्रोध ही अपराधो के मूल कारण बन जाते है | राजयोग द्वारा विचारो पर सयंम आता है | वर्तमान में तनाव से मुक्ति के लिए राजयोग की आवश्यकता है। उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहे|
· स्थानीय ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र चरोडा (छत्तीसगढ़) द्वारा आयोजित
· स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र में एक दिवसीय राजयोग साधना कार्यक्रम में राजयोग से क्रोध मुक्त जीवन विषय पर बोल रहे थे |
भगवान भाई जी ने कहा कि सकारात्मक रहने से हर समस्या का समाधान निकलता है। बुराई में भी अच्छाई देखने का प्रयास करने से मन पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मन में चलने वाले विचारों से ही स्मृति, वृत्ति, भावना, दृष्टिकोण और व्यवहार बनता है। अगर मन के विचार नकारात्मक होंगे तो स्मृति, दृष्टि, वृत्ति, भावना, व्यवहार भी नकारात्मक बनता है। ऐसा होने से मन में तनाव पैदा होता है। मन के विचार ही वास्तव में बीज है।
भगवान भाई ने सकारात्मक विचारों को तनाव मुक्ति की संजीवनी बूटी बताया। | विकारों वश होने से तनाव की उत्पति होती है विकारों से स्वयं की रक्षा करना है | सकारात्मक विचारों का स्त्रोत आध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया वर्तमान समय स्वयं को सकारात्मक बनाने की आवश्यकता है। सकारात्मक सोचने वाला हर परिस्थिति को स्वीकार कर विजयी बन सकता है। उन्होंने बताया कि तनाव से नशा व्यसन आदि बुरी आदते लगती है जिससे हमसे भूले होने कि संभावनाए है |
· विशिष्ट अतिथि रामबचन जी ने कहा कि मन के विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता हे | यदि हमारे विचार सकारात्म है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त,दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए।
· स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की संचालिका बी के शिवानी बहन जी ने राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं।
· स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की राजयोग शिक्षिका बी के रवि बहन जी ने ब्रह्माकुमारी संस्था का परिचय दिया |
· कार्यक्रम में बी के किरन बहन जी गुलदस्ता और तिलक लगाकर सभी का स्वागत किया |
· इस कार्यक्रम के मेडिटेशन का लाभ सुनाया | काफी भाई बहनों ने इस कार्यक्रम का लाभ लिया |