मुख पृष्ठलेखदादी गुलजार जी की पुण्य स्मृति दिवस पर - बी.के. संजय हंस...

दादी गुलजार जी की पुण्य स्मृति दिवस पर – बी.के. संजय हंस ओ.आर.सी.

धन्य-धन्य हो गए वो, दादी जी, आपकी पालना का सौभाग्य जिन्होंने पाया।

भरपूर हो गया वो गुण और शक्तियों से, जो सानिध्य मे आपकी आया। 

जो कर्म मैं करूंगी मुझे देख और करेंगे, दादी जी, ये आपने जीवन में सार्थक कर दिखलाया।

आपके समीप आते ही दूर हो गई मन की सब उलझने, मन ने हल्का सा हो एक सुकून का अनुभव पाया।

नजर आता था, आपके नयनों में सदा खुदा का नूर।

जिससे हमारा मन हो जाता, शक्तियों से भरपूर।

मैं और मेरा बाबा, आपके इस एक शब्द में था जादू का सरूर।

सुनते ही मन उत्साह से, हो जाता था रूहानी नशे मे चूर। 

तीन बिन्दु का ज्ञान, आपके जीवन से झलकता।

कर्म में आते उपराम स्थिति, ये अनुभव हर कोई आपसे कर सकता।

दादी जी, आपकी पालना का अहसान, हम चुका न पाएंगे।

आपकी दी शिक्षाओं को, जीवन में धारण कर दिखलाएंगे

नम्बर वन जाना है सबको, सदा ये लक्ष्य याद दिलाया।

लक्षण धारण करने को, सदा आत्मा का पाठ पढाया।

दादी जी, आपकी इन मीठी यादों ने, हमें शिक्षा दे आगे हैं बढ़ाया।

उड़ती कला का अनुभव, इससे हमने हर कदम पर पाया।

दादी जी, अब तो मन करता है कि, हम भी आप समान बन जाएं।

वतन में बाबा के साथ-साथ, आपसे सदा मिलन मनाए।

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