आपके पास क्या है या कितना है ये महत्व नहीं रखता। लेकिन आप कितनी सूझ-बूझ से उसका उपयोग करते हैं महत्व उसका है। लक्ष्य स्पष्ट हो और फोकस हो तो सफलता न मिले ये असंभव है। बस, आवश्यकता है अपनी बुद्धि को क्लीयर और क्लीन रखने की।
पिछले अंक ओम-19 में आपने पढ़ा कि कम्पटीशन की दुनिया में जीतने के लिए क्या चाहिए? क्या चाहिए? सूझ चाहिए, समय सूचकता चाहिए। अमेरिकनों के पास बहुत अच्छी क्वालिटी के जूते होंगे लेकिन उसने सोचा कि इसको जंगल में क्या करेंगे? वो लाया ही नहीं। और जब वो लाया ही नहीं तो एक इंडियन ऑर्डनरी टैनिंग शूज़ पहन कर भी जीत जाता है। अब आगे पढ़ेंगे…
तो जीवन के अन्दर आपके पास क्या है ये महत्वता नहीं है, लेकिन सूझ कितनी है उसको यूज़ करने की! आपके पास सारे संसाधन होंगे लेकिन समय पर आपको सूझा ही नहीं। उसको यूज़ करते ही नहीं हैं तो आपके सामने कोई ऑर्डनरी तरीके से भी आगे निकल जाता है और आप सोचते रह जायेंगे। इससे अच्छा तो मेरे पास था लेकिन क्या फायदा वो तो आगे निकल गया। और बाकी के लोग तो पीछे रह गये। तो कम्पटीशन की दुनिया में जीतने के लिए समय सूचकता चाहिए। और समय पर उन संसाधनों का सही तरीके से प्रयोग करने की आवश्यकता है लेकिन आज तनाव की दुनिया में क्या हो रहा है, सूझता ही नहीं है, इतना टेंशन है आज हर इंसान को कि बाद में समझ आता है कि अरे ये भी कर सकते थे, ये भी कर सकते थे लेकिन अब तो समय निकल गया और फिर हाथ मलते रह जाते हैं। इसलिए सेल्फ को मैनेज करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि दिन प्रतिदिन चुनौतियां बढ़ती ही जा रही हैं। और ये बढ़ती चुनौति में सक्सेसफुल भी होना है, सफल भी होना चाहते हैं तो इसीलिए कहा कि चुनौति के वक्त दो प्रकार के लोग होते हैं- एक है कि जिसके सामने चुनौति अवसर के द्वार खोलती है, सिम-सिम दरवाजा खुल जा। और एक के बाद एक आगे बढऩे के मौके, अवसर उसको प्राप्त होते हैं, और दूसरे प्रकार के लोग हैं जिसके सामने चुनौति अवसर के द्वार बंद कर देती है और खूब पछाड़ती है, जो जि़ंदगी भर फिर अफसोस करने के सिवाय उसके पास कुछ नहीं होता है। तो चुनौति किसके लिए अवसर के द्वार खोलती है, और किसके लिए अवसर के द्वार बंद करती है।
बहुत सुन्दर मैंने कहीं पढ़ा कि चुनौति के वक्त जो सही निर्णय लेता है, राइट डिसीजऩ एट द राइट टाइम। उसके लिए वो चुनौति अवसर के द्वार खोलती है। और एक के बाद एक द्वार खुलते जाते हैं और वो व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता जाता है। और चुनौति के वक्त जो गलत निर्णय लेता है उसके लिए वो द्वार बंद हो जाते हैं। और समय खूब पछाड़ता है, फिर अफसोस करता है काश उस समय मैं फलाने की बात में नहीं आता, काश उस समय मैंने ये निर्णय लिया होता, काश उस वक्त मैं इस टेंशन से नहीं गुजऱता तो आज मैं भी कहाँ से कहाँ पहुंच जाता। काश! तो चुनौति के वक्त गलत निर्णय क्यों होता है? इसलिए कि चुनौति के वक्त जब व्यक्ति तनाव ग्रसित हो जाता है तो उसको कुछ सूझता नहीं है। फोकस क्लीयर नहीं है, धुंधला है। कई सारी बातें उसके सामने होती हैं कि ये करूं, या ये करूं, या ये करूं, और उस समय कई बार कई लोग दूसरों का सहारा लेने का प्रयत्न करते हैं कि आप क्या समझते हो मुझे क्या करना चाहिए? मुझे ये करना चाहिए या ये करना चाहिए? अब वो व्यक्ति कौन-सा तनाव मुक्त है, वो व्यक्ति का फोकस क्लीयर है जो सही निर्णय देगा और उसने अपनी कैपेसिटी अनुसार जो बात बताई हमने वैसा कर लिया फिर बाद में हम कहते हैं कि इसकी मत पर चलना ही नहीं था मुझे। मैं नहीं चलता तो सही निर्णय ले लेता, फिर पछताता है।
तो चुनौति के वक्त सही निर्णय हो उसके लिए अपने माइंड को, फोकस को क्लीयर रखना बहुत आवश्यक है। क्योंकि तभी इंसान सफल होते-होते बहुत आगे निकल जाता है। इसकी समय की पुकार है, इस चीज़ की समय की पुकार है क्योंकि हर कोई जीवन में आगे बढऩा चाहता है, कुछ करना चाहता है, अपनी शक्ति को सही दिशा में लगाना चाहता है लेकिन उसके लिए उसके फोकस को क्लीयर रखना ज़रूरी है। तब कहा कि अगर कई बार एक के बाद एक असफलता प्राप्त होती जाती है तो व्यक्ति भीतर से टूटने लगता है, दिलशिकस्त हो जाता है, और दिलशिकस्त हो करके फिर कभी-कभी डिप्रेशन का शिकार बन जाता है। आवश्यकता है स्वयं को हम भीतर से सशक्त करें। क्योंकि तभी हम जीवन के अन्दर जिस मंजि़ल को प्राप्त करना चाहते हैं उस मंजि़ल की तरफ सहजता से आगे बढ़ सकते हैं।