मैं एक बात मानती हूँ कि उनका प्रभाव हमारे ऊपर पड़े, शुरू में हमें मज़ाक सहन करना पड़ेगा। लेकिन अगर आप पॉजि़टिवली उसको लो, मज़ाक न ले करके उन्हीं की बातों से उनको ये करो तो शायद वो आपकी बातों से प्रभावित हो जायेंगे।
मुझे याद है जब मैं स्कूल में थी और उसी समय ब्रह्माकुमारी को मैंने ज्वॉइन किया था। मेरे क्लास के स्टूडेंट्स मेरा मज़ाक बहुत करते थे। जैसे ही फ्री पीरियड होता था तो मुझे पता हो जाता था कि आज अब मेरे लिए मुश्किल घडिय़ां हैं। वो सब आ जाते थे और कहते थे कि अच्छा तुम अपना भाषण क्यों नहीं शुरू कर देती हो, मेडिटेशन के ऊपर ही बोलो, अच्छा शिव-शंकर के ऊपर बताओ। परमात्मा के ऊपर बोलो, आत्मा के ऊपर बोलो। माना इतना परेशान करना और हँसी-मज़ाक उड़ाना लेकिन उस समय ही जैसे ही वो कहते थे ना कि तुम क्यों नहीं भाषण शुरू करती। मैं कहती थी कि आप सुनना चाहते हैं तो चलो मैं शुरू करती हूँ। ये तो बहुत अच्छी बात है कि आप सुनना चाहते हैं। धीरे-धीरे ऐसा होने लगा कि मैं बात-बात में भी उनको ज्ञान सुनाती रहती थी।
मैं सोचती थी कि नहीं मेरे पास अच्छी बातें हैं ना, मुझे सुनाना ही चाहिए। और अगर वो लोग मज़ाक कर रहे हैं तो मैं क्यों अपने आपको रोक लूं या उनसे डरुं मैं? मेरे पास तो अच्छी बातें हैं उनके पास तो कोई अच्छी बात है नहीं। वो सुनना चाहते हैं तो मैंने सुनाना शुरू किया। और जैसे ही शुरू करते थे तो आप मानेंगे नहीं धीरे-धीरे ऐसा प्रभाव पड़ा उनके अन्दर कि वो बदलने लगे। अब उनके कभी-कभी फ्रेंड्स में कोई बहस हो जाती थी, कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हो जाती थी तो उस कारण दो फ्रेंड्स में मन-मुटाव हो जाता था। तो वो सोचते थे कि किसके पास जायें? फिर वो मेरे पास आते थे कि तुम्हारे ब्रह्माकुमारियों में कुछ बताते हैं कि नहीं अगर कुछ ऐसा हो जाता है मिसअंडरस्टैंडिंग तो क्या करें हम? और उस समय मुझे मौका मिला उन फ्रेंड्स को मिलाने का।
जब मैं उन फ्रेंड्स के अन्दर से वो मिसअंडरस्टैंडिंग दूर करती थी तो उनका ब्रह्माकुमारीज़ के प्रति इतना अच्छा प्रभाव बनने लगा। फेथ आ जाता है। तो धीरे-धीरे उनका टोटल माहौल चेंज हो गया। और मैंने देखा कि मैं बदल सकी सबको। उनके मज़ाक करने की आदत थी फिर उसके बाद ऐसी हो गई कि नहीं आप लोगों का ज्ञान बहुत अच्छा है। तो मैं एक बात मानती हूँ कि उनका प्रभाव हमारे ऊपर पड़े, शुरू में हमें मज़ाक सहन करना पड़ेगा। लेकिन अगर आप पॉजि़टिवली उसको लो, मज़ाक न ले करके उन्हीं की बातों से उनको ये करो तो शायद वो आपकी बातों से प्रभावित हो जायेंगे। इसलिए मैं ये कहती हूँ कि प्रेशर कितना भी आये लेकिन अगर आपके पास अच्छी बातों का खज़ाना है तो डरिए मत, आगे बढि़ए। उनके साथ अच्छी बातों का खज़ाना शेयर करिए, उनका विश्वास आप पर बनेगा। जैसे-जैसे उनका विश्वास आप जीतेंगे उनके लिए यही होगा कि एक व्यक्ति है जो मुझे बहुत अच्छे से समझता है।




