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अटूट निश्चय ने अटल सत्य को सामने लाया – ब्र.कु. रनवीर भाई, रीडर ग्रेड प्रथम, विश्व शान्ति भवन,भरतपुर

सत्य की नांव हिलेगी-डुलेगी लेकिन डूबेगी नहीं। भगवान सत्य पथ पर चलने वालों की मदद करता है यह बात सब के मुँह पर आती है। भगवान चमत्कार नहीं करता पर मदद ज़रूर करता है। इसका यह मिसाल है।
जब अपने किए पर सम्पूर्ण विश्वास और निश्चय अटल होता है तो परिणाम भी वैसा ही मिलता है। क्योंकि हमने तन्मयता से किया है, स्वयं में निश्चय है साथ ही परमात्मा पर भी सम्पूर्ण भरोसा है कि वे अन्याय नहीं होने देते। चमत्कार भी नहीं करते लेकिन हाँ, मदद अवश्य करते हैं। इसमें संदेह की कोई गुंजाइश ही नहीं। ये कहना है ब्र.कु. रनवीर का उन्हीं के शब्दों में…

हम २०१२ से ब्रह्माकुमारीज़ के राजयोग के आधार से जीवन यापन कर रहे हैं और उससे लाभान्वित हुए हैं, हमारा जीवन संवर गया है। इस मार्ग पर चलने के कारण घर में काफी विरोध था। परिवार में पहले बहुत अशांति का माहौल था। लेकिन जैसे-जैसे हमें बाबा से शांति की शक्ति एवं सहनशक्ति का अनुभव होता गया वैसे-वैसे परिवार में शांति का वातावरण बनने लगा और घर का माहौल सुधरने लगा। परंतु कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्माण हुईं जिससे परिवार में छोटी-छोटी बातों पर तनाव बना रहता था। उसके कारण परिवार का एक बच्चा पढ़ाई से विमुख होने लगा तो मैंने मन-बुद्धि द्वारा उस बच्चे को शिव बाबा के हवाले कर दिया। समय के साथ-साथ बच्चा बी.ए. होने के बाद लॉ ग्रैजुएट भी हो गया और साथ में उसने स्टेनो की भी तैयारी शुरू कर दी। सभी रिश्तेदार एवं बाहर वाले यही कहते थे कि इनके घर का वायुमण्डल अच्छा नहीं है, बच्चे का भविष्य खराब हो जायेगा। कभी-कभी तो लोग ऐसा भी कहते थे कि ओम शांति जाना बंद कर दो नहीं तो बच्चे का भविष्य खराब हो जायेगा। पर हमें शिव बाबा पर पूरा निश्चय था और हम न तो किसी की बातों में आये और न ही किसी के दबाव में। सिर्फ एक शिव बाबा पर निश्चय रखकर बच्चे को स्टेनो की परीक्षा के लिए तैयारी कराते रहे। बाबा की शक्तिशाली याद में रहकर उस आत्मा में मन्सा द्वारा शक्ति भरते रहे।
फिर २०१७ में राजस्थान उच्च न्यायालय में स्टेनोग्राफर पद के लिए आवेदन कर दिया परन्तु परीक्षा के दिन परीक्षा केन्द्र में परीक्षा देते समय बच्चा बहुत घबरा जाने से पेपर अच्छा नहीं गया। फिर दूसरी बार बच्चे को परीक्षा की तैयारी करने के लिए कहा। २०२१ में जब वह परीक्षा देने के लिए परीक्षा सेंटर गया तो हम पूरे २ घंटे शिव बाबा से एकरस योग की स्थिति में बैठकर संकल्प शक्ति द्वारा बाबा से बच्चे को शक्ति दिलाते रहे। परीक्षा का समय समाप्त होने तक २ घंटे हम न जगह से और न तो मन-बुद्धि से हिले। जब वह परीक्षा केन्द्र से बाहर आया तो उसके चेहरे पर खुशी की झलक दिख रही थी। उसने आकर कहा कि पेपर अच्छा गया है।
परीक्षा का रिज़ल्ट निकला तो वह फेल बता रहा था। हमें अभी भी शिव बाबा पर पूरा भरोसा था कि वह ज़रूर पास होगा। जो परीक्षार्थी उस परीक्षा में पास हुए थे वह पढ़ाई की दृष्टि से बहुत कमज़ोर किस्म के थे ऐसा सुनने में आया। तो शिव बाबा को मन से कहा कि क्रक्रबाबा यह सही नहीं हुआ है, आप कुछ करो, सत्य की जीत होनी चाहिएञ्जञ्ज। और कुछ दिनों बाद ही परीक्षा के रिज़ल्ट में गड़बड़ी की आशंकाओं के बीच परीक्षार्थीओं ने कानूनी रूप से माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रकरण को रखा। न्यायालय के आदेश के बाद पुन: मूल्यांकन के बाद रिज़ल्ट घोषित किया गया।
जब पुन: मूल्यांकन के बाद रिज़ल्ट आया तो पहले रिज़ल्ट में जो पास हुए थे उसमें से अधिकतर परीक्षार्थी फेल हो गये और जो फेल हुए थे उसमें से अधिकतर पास हो गये। परन्तु इस बार भी रिज़ल्ट में परिवार के बच्चे का नंबर न आकर सिर्फ वेटिंग लिस्ट में नाम आया। फिर भी हमारा शिव बाबा पर निश्चय कायम रहा। इसके ०.२३ नंबर कम रहे थे सिलेक्शन होने में।
पांच महीने के बाद इस बच्चे को भर्ती बोर्ड से फोन आया और इंटरव्यू लेटर भी आ गया। अन्त में बच्चे का सवाई माधोपुर जिला न्यायालय में स्टेनोग्राफर के पद पर चयन हो गया। बाबा की यह कितनी कमाल है कि परीक्षा में हुई गड़बड़ी के बाद भी परीक्षा का सही रिज़ल्ट सामने लाया और वेटिंग में आये हुए बच्चे का नौकरी में चयन करा दिया, यह है बाबा की मदद।
इन सारी परिस्थितियों को देख सभी रिश्तेदार, संबंध-संपर्क वाले आश्चर्यचकित हो कहते रहे कि तुम्हारा बाबा तो चमत्कारी है! बाबा श्रीमत पर चलने वाले बच्चों को कभी भी निराश नहीं होने देता है। इसलिए सदा स्मृति में रहे कि निश्चय का बल… मिलता है निश्चित फल!

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