परमात्म ऊर्जा

अष्ट शक्ति स्वरूप बेगमपुर के बादशाह हैं, इस स्मृति को कब भूलना नहीं। भक्ति में भी सदैव यही पुकारा कि सदा आपकी छत्रछाया में रहें। तो इस साथ और हाथ की छत्रछाया से बाहर क्यों निकलते हो? आज की पुरानी दुनिया में अगर कोई छोटे-मोटे मर्तबे वाले का भी कोई साथी अच्छा होता है तो भी अपनी खुमारी में और खुशी में रहते हैं। समझते हैं- हमारा बैकबोन पॉवरफुल है। इसलिए खुमारी और खुशी में रहते हैं। आप लोगों का बैकबोन कौन है! जिनका सर्वशक्तिवान बैकबोन है तो कितनी खुमारी और खुशी होनी चाहिए! कब खुशी की लहर खत्म हो सकती है? सागर में कब लहरें खत्म होती हैं क्या? नदी में लहर उठती नहीं। सागर में तो लहरें उठती रहती हैं। तो मास्टर सागर हो ना! फिर ईश्वरीय खुमारी व ईश्वरीय खुशी की लहर कब खत्म हो सकती है? खत्म तब होती है जब सागर से सम्बन्ध टूट जाता है; अर्थात् साथ और हाथ छोड़ देते हो तब खुशी की लहर समा जाती है। अगर सदा साथ का अनुभव करो तो पाप कर्म से भी सदा सहज बच जाओ क्योंकि पाप कर्म अकेलेपन में होता है। कोई चोरी करता है, झूठ बोलता है व कोई भी विकार वश होता है जिसको अपवित्रता के संकल्प व कर्म कहा जाता है, वह अकेलेपन में ही होता है। अगर सदा अपने को बाप के साथ-साथ अनुभव करो तो फिर यह कर्म होंगे ही नहीं। कोई देख रहा हो तो फिर चोरी करेंगे? कोई सामने-सामने सुन रहा हो तो फिर झूठ बोलेंगे? कोई भी विकर्म व व्यर्थ कर्म बार-बार हो जाते हैं, तो इसका कारण यह है कि सदा साथी को साथ में नहीं रखते हो अथवा साथ का अनुभव नहीं करते हो। कभी-कभी चलते-चलते उदास भी क्यों होते हो? उदास तब होते हैं जब अकेलापन होता है। अगर संगठन हो और संगठन की प्राप्ति हो तो उदास होंगे क्या? अगर सर्वशक्तिवान बाप साथ है, बीज साथ है, तो बीज के साथ सारा वृक्ष साथ है, फिर उदास अवस्था कैसे होगी? अकेलापन ही नहीं तो उदास क्यों होंगे? कभी-कभी माया के विघ्नों का वार होने के कारण, अपने को निर्बल अनुभव करने के कारण परेशान स्टेज पर पहुंच जाते हो। भगवान का साथ भूलते हो तब निर्बल होते हो और निर्बल होने के कारण अपनी शान को भूल परेशान हो जाते हो। तो जो भी कमज़ोरियां व कमी अनुभव करते हो, उन सभी का कारण क्या होगा? साथ और हाथ का सहारा मिलते हुए भी छोड़ देते हो। समझा? कहते भी हो कि सारे कल्प में एक ही बार ऐसा साथ मिलता है, फिर भी छोड़ देते हो। कोई किसको हाथ देकर किनारे करना चाहे और वह फिर भी डूबने का प्रयत्न करे तो क्या कहा जायेगा? अपने आपको स्वयं ही परेशान करते हो ना। बहुत समय से इस सृष्टि में रहते हुए अभी भी यही परेशानी की स्थिति अच्छी लगती है? नहीं, तो बार-बार उस तरफ क्यों जाते हो? अभी जल्दी-जल्दी चलना है। स्पीड तेज करनी है। सार को अपने में समा लिया तो सारयुक्त हो जाएंगे और असार-संसार से बेहद के वैरागी बन जाएंगे।

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