आठनेर, मध्य प्रदेश। महाशिवरात्रि पर्व पर हम शिवालयों में अक- धतूरा, भांग आदि अर्पित है। इसके पीछे आध्यात्मिक रहस्य यह है कि जीवन में जो कांटों के समान बुराइयां है, गलत आदते हैं, गलत संस्कार है,कांटो के समान बोल, गलत सोच को आज के दिन शिव पर अर्पण कर बूराईयो से मुक्त हो जाए। हम दुनिया में देखते हैं कि दान की गई वास्तु वापस नहीं ली जाती है।इसीलिए परमात्मा पर आज के दिन कोई भी अपने जीवन की एक बुराई जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है ,सफलता में बाधक है उसे शिव पर सौप कर मुक्त हो जाए। अपने जीवन की समस्याएं, बोझ उन्हें सौंपदे। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी। एक बच्चे का हाथ जब उसके पिता पकड़ कर चलते हैं तब निश्चिंत रहते हैं। इसी तरह हम भी जब अपने जीवन को परमात्मा को सौंप कर चलते हैं तो निश्चिंत रहते हैं। ब्रह्माकुमारी सुनीता दीदी जी ने बताया परमपिता परमात्मा इस धरती पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्य आत्माओं को राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। एवं परमात्मा कहते हैं हे मेरे बच्चों अपनी बुराइयां मुझ पर अर्पण कर दो अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदत शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है। अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर, जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाये। धर्म का आचरण ड्रेस पहनने से ही नहीं बन जाता उसे जीवन चरित्र में उतरना होगा। जिसे हम युगो युगो से पुकार रहे थे। जिसके तलाश में हमने वर्षों तक जब तप,यज्ञ किये, आज वही भगवान् इस धरा पर पुनः अवतरित हो चुके हैं। एवं दीदीजी ने सभी से आग्रह किया कि अपने पांच खोटे सिक्के देकर अर्थात काम,क्रोध,लोभ, मोह,अहंकार को ईश्वर पर अर्पण कर रोज प्रभु के दर पर एक बार आना अर्थात एक बार भगवान के घर जरूर आना। कार्यक्रम के पश्चात सभी भाई बहनों ने एवं ब्रह्माकुमारी दिदियो ने शिव ध्वज फहराया, एवं सभी ने बुराइयों से मुक्त रहने की दृढ़ प्रतिज्ञा की।
