अलीराजपुर,मध्य प्रदेश। वर्तमान समय भागदौड़ की जिंदगी ,नकारात्मक वातावरण में अशांति, तनाव, प्रतिस्पर्धा और विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण मनुष्य अपनी स्वाभाविक खुशी, शांति, प्रेम और निजी संस्कारों को भूलता जा रहा है। तनाव और अशांति के कारण मनुष्य अनेक मानसिक और शारीरिक बीमारियों का शिकार हो गया है। खुश रहना भूल गया है जिसके कारण अनेक शारीरिक रोग जीवन में समस्याएं व विध्न के कारण मनोबल कमजोर होता जा रहा है।छोटी परिस्थितियों भी बड़ी अनुभव होने लगती है। जीवन एक ईश्वर का दिया हुआ उपहार है। सदा हम जीवन को खेल की तरह खेले तो जीवन खुशियों से भरपूर हो जाएगा। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला की प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने दीपा की चौकी पर स्थित ब्रह्माकुमारी सभागृह में अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस के उपलक्ष में नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया।

सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी माधुरी बहन ने बताया आज विज्ञान ने हमें कई प्रकार की सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं, लेकिन इनका भरपूर लाभ उठाने के बावजूद भी मनुष्य अशांत और दु:खी है। इसी को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में पहली बार “अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस” मनाना प्रारंभ किया। तब से हर वर्ष विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिवस का आयोजन किया जाता है। ताकि लोग अपनी आंतरिक शांति और आनंद को पुनः अनुभव कर सकें। कहा जाता खुशी जैसी खुराक नहीं ,खुशी जैसी दवा नहीं, खुशी जैसी संपत्ति नहीं इसलिए हमेशा खुश रहना चाहिए।
शहर के समाज सेवी अरुण गहलोत ने बताया 2025 के “अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस” का विषय है: “केयर करो और शेयर करो – सदा खुश रहो, खुशी बाँटो।” जितना हम खुशी औरों को बाटेंगे कई गुना हमको खुशी मिलेगी। यह खुशी हमको हल्का और शक्तिशाली बनती है। हमें दृढ़ संकल्प करना है कि हमें औरों के चेहरे पर खुशी लानी है तो आपका जीवन हल्का और सफलता से भरपूर हो जाएगा। कार्यक्रम के अंत में मुन्नी तोमर शिक्षिका, अरुण गहलोत, ब्रह्माकुमारी माधुरी बहन, ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने खुश रहने की शारीरिक व मानसिक एक्सरसाइज की प्रैक्टिस कराई।



