कुछ भी चाहिए, कुछ भी सीखना है, पढऩा है, देखना है, तो गूगल पर जाओ। ए.आई. पर टाइप करो और उत्तर लो। अब आप देखो जो उत्तर वहाँ से मिला अगर वो थोड़ा कंफ्यूजि़ंग भी हो तो आप उसे एक बार स्वीकार ज़रूर करेंगे और कहेंगे ठीक ही बता रहा है क्योंकि हम उसके बारे में जानते नहीं हैं। सभी कहते हैं कि हमारा काम आसान करता है, हमारा समय बचाता है और चीज़ें जल्दी समझ में आती हैं। लेकिन उसमें जो डाला गया है वो किसी ने तो लिखा होगा, वो तो उसकी समझ है और उसकी समझ को आप यूज़ कर रहे हैं तो आप इंटेलिजेन्ट हो रहे हैं या आप लेज़ी हो रहे हैं? सोचने का विषय है कि हम सभी को एक एप्लीकेशन लिखना हो तो भी हम गूगल पर जाकर उसका फॉर्मेट ढूढ़ते हैं, अपने से कभी कोशिश भी नहीं करते हैं। जब हम सांतवी-आंठवी कक्षा में पढ़ रहे थे तो सभी को ये लिखना सिखाया जाता था लेकिन उस समय हमने ध्यान नहीं दिया। आज उसी चीज़ को जो किसी ने लिखा या बनाया है उठाकर बस कॉपी कर लिया। चाहे वो सही है या नहीं है।
न्यूटन से पहले क्या सेब नीचे नहीं गिरता था, गिरता ही था लेकिन उन्होंने देखा और एक नियम निकाला गुरुत्वाकर्षण का। ऐसे ही हम सभी अंदर से एक ऊर्जा हैं,आध्यात्मिक ऊर्जा। लेकिन उस ऊर्जा को हम इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। आध्यात्मिक सशक्तिकरण, बुद्धिमत्ता (ए.आई.) से बहुत ऊपर है। व्यक्ति नैसर्गिक रूप से आध्यात्मिक ही है, चिंतनशील ही है लेकिन उसका विकास करने के लिए हमें अपने अभ्यास को बढ़ाना ज़रूरी है। दूसरों का चुराकर या उठाकर कहीं से प्रयोग में लाना उसमें आपको कभी संतुष्टि नहीं हो सकती है, उससे आपका काम ज़रूर बन जाएगा थोड़ी देर के लिए लेकिन आत्म संतुष्टि नहीं होगी। और आप दिन-प्रतिदिन अपने जीवन को आलस्य और भय की तरफ जाता हुआ पाएंगे।
आप क्या चाहते हैं कि ऐसे ही हमारा जीवन चले या हम खुद अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके इन चीज़ों को खुद ही डेवलप करें। हो सकता कभी इंटरनेट न हो, कोई फॉल्ट हो जाए तो आपके हाथ की कलम रूक जाएगी क्योंकि कभी आपने सोचा ही नहीं, पढ़ा ही नहीं और यही हो रहा ज्य़ादातर कि हम सभी निर्भर हो गए हैं इन सभी आर्टिफिशियल चीज़ों पर। तो थोड़ा उठो, जागो और अपनी शक्तियों





