राखी का पावन बंधन
राखी ये पावन बंधन है, बंधन ये जग से न्यारा।
रक्षा का बंधन करता, जीवन को सबसे प्यारा।।
इसमें मूल्यों का समावेश, स्नेह का ये तो फव्वारा।
शुद्ध स्मृति का जो सूचक, इसने जीवन को तारा।।
पर्व यही विष तोड़क है, सुख सावन की ये धारा।
राखी ये पावन बंधन है, बंधन ये जग से न्यारा।।
दिल के दिल से तार जोड़ दे, बने दुआओं का दरिया।
श्रेष्ठ शिखर तक ले जाने का, बंधन ये बनता जरिया।।
उपजे इससे गुणों की बगिया, मिटता जाए अंधियारा।
राखी ये पावन बंधन है, बंधन ये जग से न्यारा।।
प्रभु प्रेम का बंधन है ये, खुशियों का गुलशन महकाता।
इसकी स्मृति से मानव मन, एक अलौकिक सुख पाता।।
सच्चाई की बेलें इसमें, ज्ञान का फैले उजियारा।
राखी ये पावन बंधन है, बंधन ये जग से न्यारा।।
सृजन ये नवयुग का करता, शुभ भावों का ये भंडार।
मन दमके इसके एहसासों से, इसमें लाखों हैं उपहार।।
इसके धागों में खनक है, गाता जाए जग सारा।
राखी ये पावन बंधन है, बंधन ये जग से न्यारा।।
सतरंगी इंद्रधनुषी आनंद भरा, ये कराए अमृत पान।
इसमें अनुपम सौंदर्य छिपा, पाता मानव सच्ची शान।।
रूहानी रंगों से रंगा हुआ, रूप जो इसका श्रृंगारा।
राखी ये पावन बंधन है, बंधन ये जग से न्यारा।।
बीके मदनमोहन
ओम शांति रिट्रीट सेंटर, गुरुग्राम