प्रश्न : जब हमारे अन्दर हार्मोनल चेंजेस होते हैं तो हमारे मन के विचार ऑटोमेटिकली ही चेंज होने लगते हैं। भले वो कभी विकार के प्रति हों, या वो क्रोध या इरीटेशन के रूप में हों, तो हम ऐसा क्या करें कि शारीरिक बदलावों का हमारे ऊपर असर न हो?
उत्तर : बिल्कुल जब हार्मोनल चेंजेस होते हैं मनुष्य के शरीर में, बड़ों के में भी हो जाते हैं तो किसी में इम्प्युरिटी जाग्रत होती है तो किसी में देह के आकर्षण होते हैं। किसका झुकाव संसार की ओर बढ़ता है, और कई तरह की चीज़ें कोई इरीटेट रहने लगते हैं, किसी की खुशी चली जाती है। बहुत अच्छी दो चीज़ें इसके लिए करेंगे। पानी चार्ज करके पीना है क्योंकि कई बहनों को मैंने कराया है। बहनें पूछती हैं कि ऐसा होता है हमें। तो मैं कहता हूँ मुझे सब पता है ऐसा होता है इसमें लज्जा की बात नहीं है। तो दो स्वमान हैं- एक तो मैं परमपवित्र आत्मा हूँ या मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। सात बार संकल्प करेंगे दृष्टि देकर। पानी चार्ज हो जायेगा। वो पीते रहेंगे। और अपने को चार्ज रखने के लिए मैं हमेशा एक चीज़ कहता हूँ सबको कि सवेरे उठकर कुछ सुन्दर संकल्प आपको करने चाहिए। लेकिन जब मनुष्य सवेरे उठता है तो उसका मन, उसका ब्रेन बहुत ही शांत या किसी का डल रहता है, विचार उठते नहीं हैं। तो ऐसे में दस सुन्दर विचार अपने पास रख लेने चाहिए। जिसे सवेरे उठकर पढ़ लो, फिर रिपीट कर लो। तो मन चाजिऱ्ंग स्थिति में आ जाएगा। और फिर इन सबके कारण जो इफेक्ट होता है माइंड पर, ब्रेन पर, व्यवहार बदलता है, इरीटेट होता है मनुष्य, उससे थोड़ा बच जाएंगे। अपनी बात अपनी किसी सखी को शेयर अवश्य करते रहना चाहिए। और बाबा सखा है तो उनसे भी शेयर करना चाहिए। अगर बाबा से करना सीख लें, उसको गुड फ्रेंड बना लें तो वो वैसे ही ठीक कर देता है।
प्रश्न : बाबा कहते हैं कि यदि कोई तुम्हे देह की दृष्टि से देखता है तो तुम्हारे ही पुरूषार्थ में कहीं कोई कमी है। तो हम क्या ऐसा पुरूषार्थ या अभ्यास करें जो लोगों की हमपर बुरी दृष्टि न जाये?
उत्तर : ये मैंने देखा प्रैक्टिकल में बहुत सारी बहनें बहुत अच्छी पर्सनैलिटी वाली होती हैं। लेकिन उनके चेहरे पर डिवनिटी होती है। कोई उन्हें बुरी दृष्टि से नहीं देखता। और बहुत बहनें ऐसी होती हैं जो बहुत सुन्दर नहीं होती लेकिन उनके प्रति लोगों की दृष्टि जाती है। हमारे अन्दर क्या है वो रिफ्लेक्ट होता रहता है ना बाहर, इसलिए कुछ अच्छे अभ्यास करते रहना चाहिए, जैसे- पवित्रता की देवी हूँ, मैं एक महान आत्मा हूँ, मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, और आजकल मैं जो सीखा रहा हूँ, अपने चारों ओर शक्तियों का औरा क्रिएट करें,आभामंडल क्रिएट करें। सात बार संकल्प करें कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। फिर विज़ुअलाइज़ करें कि चारों ओर शक्तियों का घेरा बन गया है। उसके बीच में मैं हूँ और दूसरों को आत्मिक दृष्टि से देखें तो दूसरों की दृष्टि बुरी नहीं जायेगी। क्योंकि बहनों को इसको फेस करना पड़ता है। तो जितना अच्छा स्वमान होगा, पॉवरफुल बनके भी रहना है, कमज़ोरी भी न दिखाई दे। कई पवित्र आत्मा ऐसी हो जाती हैं थोड़ी डरने लगती हैं। थोड़ी कमज़ोर हो जाती हैं। तो मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मेरे साथ स्वयं भगवान है ये स्मृति में रखेंगे तो जो सूक्ष्म डर होता है वो निकल जायेगा।
प्रश्न : हमारी उम्र के अनुसार अगर हमारा किसी मेल की तरफ अट्रैक्शन होता है तो उसपर कैसे काबू पाया जाये?
उत्तर : आत्मिक दृष्टि रखनी है, और अपनी प्युरिटी के बारे में स्वयं से चिंतन अवश्य करते रहना है। क्योंकि चिंतन का बड़ा महत्व है। सवेरे कर लो, कभी भी आप अकेले हों तो अपने से चिंतन करें, अब मेरा वो मार्ग नहीं है, अब मेरा ये मार्ग प्युरिटी का है। अब मैंने भगवान को अपना लिया है। मुझे कलियुग की राहों पर नहीं चलना है। मुझे तो सगंमयुग की इस पवित्रता की राह पर चलना है। अब भगवान को मैंने अपना साथी बना लिया है। इस-इस तरह के जो सुन्दर विचार होंगे कि मैंने भगवान को वचन दे दिया है पवित्रता का, मेरी दृष्टि अब भगवान पर है, मनुष्यों की ओर तो जा ही नहीं सकती। बार-बार अपने को स्ट्रॉन्ग करेंगे तो दृष्टि हटती रहेगी और धीरे-धीरे खत्म हो जायेगी। कई बार जो चीज़ें हम देखते हैं या सुनते हैं या पढ़ते हैं क्योंकि आजकल मोबाइल सभी के पास है। तो वहाँ पर भी हमें संयम की ज़रूरत है। क्योंकि वहाँ से हमारे अन्दर गंदगी जा रही है। बहुत गंदगी होती है इन चीज़ों में हालांकि मैं देखता नहीं लेकिन मुझे कई कुमार आकर बताते हैं कि हमारा जीवन तो बिल्कुल खराब हो गया है। हमने छह मास ये गंदगी देख ली है अब वही स्वप्न आते हैं और वही विचार रहते हैं। सारा खेल बिगड़ गया है जि़ंदगी का। अब उसको हम कैसे भूलें? बहुत बड़ी कठिनाई हो जाती है। वही सीन उनके सामने आते हैं। गुगल आदि पर बहुत गंदगी डाल रखी है लोगों ने, तो इससे बचेंगे जो हमारा मार्ग ही नहीं है तो वो हम क्यों देखें? आप फिजि़क्स के स्टूडेंट हैं तो आप कॉर्मस थोड़े ही पढ़ेंगे! तो वो हमारा सब्जेक्ट ही नहीं है ये संकल्प अपने मन में दृढ़ कर दें। फिर उन चीज़ों की ओर हमारा ध्यान नहीं जायेगा। कई लोग सोचते हैं नॉलेज बढ़ जाये लेकिन नॉलेज नहीं गंदगी बढ़ेगी।




