करेली ,एमपी: ब्रह्माकुमारीज के स्थानीय सेवा केंद्र प्रभु उपहार भवन करेली में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें सभी ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थान प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका 101 वर्षीय राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी जी को श्रद्धा सुमन अर्पण किए दादी जी ने सोमवार देर रात 1बजकर 20 मिनिट पर गुजरात के अहमदबाद के जयदास अस्पताल में अंतिम सांसे ली और अपने पंच तत्वों के शरीर को छोड़ परमात्मा की गोद में चली गई l
स्थानीय सेवाकेंद्र की मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी सरोज दीदी जी ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए दादी के साथ के अनुभव साझा किए और उनके ईश्वरीय यज्ञ के प्रति समर्पण भाव, विशेषताएं ,और जीवन कहानी बताते हुए कहा साल 1925 में जन्मी दादी 12 वर्ष की उम्र में ही ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ गई थीं। दादी की रुचि बचपन से ही अध्यात्म में थी। इस कारण संस्थान की लंबे समय तक सेवा की। अपनी सक्रियता के चलते उन्होंने संस्थान की स्थापना में खासी भूमिका निभाई। वे संस्थान में काफी सक्रीय थीं। उन्होंने कई लंबी यात्राएं कीं। बताया जाता है कि साल 1985 और 2006 में कुल 70 हजार किलोमीटर से अधिक दूरी पैदल चलकर यात्रा की और भारतीय संस्कृति और मूल्यों का प्रचार किया।
1937 में ब्रह्मकुमारीज की स्थापना से लेकर अब तक उन्होंने करीब 87 वर्ष का लंबा समय संस्थान को दिया। करीब 40 वर्ष तक संगठन के युवा प्रभाग की अध्यक्ष रहीं। दादी ने साल 1937 से 1969 तक ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने तक करीब 31 वर्ष साए की तरह उनके साथ रही l
दादी के नेतृत्व में साल 1985 में भारत एकता युवा यात्रा निकाली गई थी। इसमें करीब 12550 किलोमीटर की दूरी तय की थी। यात्रा में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी शामिल हुए थे। दादी के निधन पर देश के राजनेता, पत्रकार और बड़ी-बड़ी हस्तियों ने दुख प्रकट किया है।
कार्यक्रम के दौरान प्रोजेक्टर द्वारा रतनमोहिनी दादी जी के जीवन से जुड़े कुछ वीडियो भी दिखाए गए l
स्थानीय सेवा केंद्र में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भ्राता अनुज ममार( प्रेस परिषद अध्यक्ष करेली,), अमित जैन( पत्रकार), भुजबल सिंह राजपूत(पत्रकार),दीपक अग्रवाल(व्यापारी),संदीप पुरोहित (शिक्षक), बहिन प्रेरणा अग्रवाल (प्रोफेसर),संगीता शर्मा(नपा पार्षद),सीमा कोहली सहित नगर के प्रबुद्ध जन और संस्थान के भाई बहन उपस्थित रहे lसभी ने दादजी के सम्मान में शब्द सुमन अर्पित किए l उसके पश्चात सभी ने प्रभु प्रसाद स्वीकर किया l





