मुख पृष्ठओम शांति मीडियाअभी समस्या आयेगी तो क्या करेंगे…?

अभी समस्या आयेगी तो क्या करेंगे…?

जिस समय भी परमात्मा को याद करो, कई भाई-बहनें शिकायत करते हैं कि जब हम परमात्मा की याद में बैठते हैं तो और ही ज्य़ादा और-और संकल्प आते हैं, परमात्मा तो याद आता ही नहीं है। क्यों नहीं आता है? जब परमात्मा हमारा पिता है, पिता हमारे लिए बंधा हुआ है, क्यों नहीं आता है याद? आना चाहिए ना! लेकिन गलती हमारी ये है, मानो आपका कोई बाप है, उसको आप कहते हो पिता जी, तो आपकी सुनेगा ना! अगर दूसरे को आप कह दो कि पिता जी, पिता जी वो सुनेगा? सुनेगा? वो आपको जवाब देगा? आप कितना भी आधा घंटा बोलते रहो, पिता जी, पिता जी वो पिता जी है ही नहीं तो सुनेगा कैसे? तो हमारी गलती ये होती है कि हम आत्मा बनकर परमात्मा को याद नहीं करते, बॉडी कॉन्शियस में रह करके परमात्मा को कहते हैं पिता जी, तो वो सुनेगा क्यों? वो बॉडी का पिता है ही नहीं। आपके बॉडी का पिता अलग है ना। हम पूछेंगे आपके पिता का नाम क्या है? तो अलग-अलग होता है या दो-तीन भाई होंगेे तो एक होगा। तो परमात्मा क्यों नहीं सुनता? क्यों नहीं मदद देता है? क्योंकि हमारी रीति ही ठीक नहीं है। हम शरीर भान में रहकर परमात्मा को याद करना चाहते हैं। और शरीर का पिता वो है ही नहीं। तो वो सुनेगा क्यों? मदद देगा क्यों आपको? भिखारी को वर्सा देंगे क्या? बच्चे को वर्सा दिया जाता है ना!

तो आप शरीरधारी होकर उसको याद करते हो इसलिए वो मदद देता नहीं, सुनता ही नहीं। इसीलिए आप शरीर भान से अलग होकर, आत्मा बनकर परमात्मा को याद करो तो सेकण्ड में कनेक्शन हो जायेगा। जैसे तार-तार का कनेक्शन होता है ना अगर मैं इसका रबड़ नहीं उतारूं और सारी रात क्यों न मैं इसको जोड़ती रहूँ, कनेक्शन होगा? नहीं होगा ना! तो हम गलती ये करते हैं तार का रबड़ तो उतारते नहीं और तार का कनेक्शन जोडऩे चाहते हैं। एक कहानी है इसपर।

राजा जनक के लिए कहते हैं कि उन्होंने ऐलान किया कि मुझे सेकण्ड में जीवनमुक्ति कोई देवे। कहते हैं कई विद्वान, आचार्य सभी आ गये स्टेज पर कि हम जीवनमुक्ति का रास्ता बताते हैं, तो कोई नहीं बता सका।

आखिर में क्या हुआ, एक अष्टावक्र, वो स्टेज पर आया। उसने कहा कि मैं आपको एक सेकण्ड में जीवनमुक्ति का रास्ता बता सकता हूँ। जब वो स्टेज पर आया तो सब विद्वान, आचार्य हँसने लगे कि देखो अब हम लोग नहीं रास्ता बता सके तो ये जो अष्टावक्र है ये कहता है कि मैं रास्ता बताऊंगा। तो अष्टावक्र ने क्या कहा? सभी के बीच में कहा कि ये सभा जो है ना, विद्वान, आचार्यों की नहीं है। ये सभा चमारों की है। क्यों? चमार क्यों कहा? क्योंकि चमार ने चमड़ी को देखा। चमार क्या करता है सारा दिन? चमड़ी का ही काम करता है ना। तो उसने सीधा ही कहा कि ये चमार हैं। आप मंदिर में जाते हो तो चमड़े की चीज़ आपको ले जाने देते हैं बड़े-बड़े मंदिरों में? क्यों बाहर कहते हैं छोड़ के जाओ? तो परमात्मा से मिलने जाते हो और चमड़ी को साथ में लेके जाने चाहते हो तो बताओ कैसे परमात्मा मिलेगा? जड़ चित्र का दर्शन नहीं हो सकता है और डायरेक्ट परमात्मा से कैसे मिलेंगे? मिल ही नहीं सकते।

इसीलिए परमात्मा सुनता ही नहीं है। और शांति होती ही नहीं है और अशांति बढ़ती जा रही है। तो अभी तो हमारे इतने सारे भाई-बहनें विमान को यूज़ करेंगे? मिला विमान आप सबको? अभी समस्या आयेगी तो क्या करेंगे? उड़ जायेंगे।

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