परमात्म ऊर्जा

वैसे भी रोगी कब भी अपने को सुखी नहीं समझते। रोगी होने कारण दु:ख की लहर ना चाहते हुए भी उठती रहती। तो यहाँ भी सदा हेल्दी नहीं हैं, तब दु:ख की व अशान्ति की लहर उत्पन्न होती है। आत्मा में आदि देवता धर्म के संस्कार होने कारण आधा कल्प बहुत सहज सुखों में रहते हो, कोई मेहनत नहीं करते हो तो वह आधे कल्प के संस्कार आत्मा में होने कारण अभी कोई मुश्किल बात होती है तो वह कर नहीं पाते हो। सदा सहज की इच्छा रहती है। तो वह सहज पुरूषार्थ कौन-सा है? याद भी सहज कैसे हो? याद सहज और सदा रहे और हेल्दी, वेल्दी, हैप्पी, होली भी कायम रहें इसका पुरूषार्थ सुनाओ। चारों ही बातें साथ-साथ रहें। जैसे आप भी निराकार और साकार दोनों रूप में हो ना। निराकार आत्मा और साकार शरीर दोनों के सम्बन्ध से हर कार्य कर सकते हो। अगर दोनों का सम्बन्ध ना हो तो कोई भी कार्य नहीं कर सकते। ऐसे ही निराकार और साकार बाप दोनों का साथ व सामने रखते हुए हर कर्म व हर संकल्प करो तो यह चारों बातें ऑटोमेटिकली आ जाएंगी। सिर्फ निराकार को व सिर्फ साकार हो याद करने से चारों बातें नहीं आयेंगी। लेकिन निराकार और साकार दोनों ही सदा साथ रहें तो साथ होने से जो संकल्प करेंगे वह पहले ज़रूर उनके वैरीफाय कराने के बाद कोई भी कर्म करने से निश्चयबुद्धि होकर करेंगे। जैसे देखो साकार में अगर कोई निमित्त श्रेष्ठ आत्मा साथ में है तो उनसे कोई भी बात वेरीफाय कराये फिर करेंगे, तो निश्चयबुद्धि होकर करेंगे ना। निर्भयता और निश्चय दोनों गुणों को सामने रख करेंगे। तो जहाँ सदा निश्चय और निर्भयता है वहाँ सदैव श्रेष्ठ संकल्प की विजय है। जो भी संकल्प करते हो, अगर सदा निराकार और साकार साथ व सम्मुख है, तो वेरीफाय कराने के बाद निश्चय और निर्भयता से वह करेंगे। समय भी वेस्ट नहीं करेंगे। यह काम करें व ना करें, सफल होगा व नहीं होगा? यह व्यर्थ संकल्प सभी खत्म हो जायेंगे। वर्तमान समय आत्माओं में जो कमज़ोरी की व्याधि है वह कौन-सी है? व्यर्थ संकल्पों में व्यर्थ समय गंवाने की, यही वर्तमान समय आत्मा की कमज़ोरी है। इस बीमारी के कारण सदा हेल्दी नहीं रहते। कब रहते हैं, कब कमज़ोर बन जाते हैं। सदा हेल्दी रहने का साधन यह है समय भी बच जायेगा। आप प्रैक्टिकल में ऐसे अनुभव करेंगे जैसे साकार में कोई साकार रूप में वेरीफाय कराते हैं। कॉमन बात, लेकिन इसी कॉमन बात को प्रैक्टिकल में कम लाते हो। सुना बहुत समय है, लेकिन अनुभवी नहीं बने हो। बापदादा सदा साथ है यह अनुभव करो तो हेल्दी, वेल्दी नहीं रहेंगे? बापदादा निराकार और साकार दोनों के साथ होने से हेल्थ और वेल्थ दोनों आ आती हैं और हैप्पी तो ऑटोमेटिकली होंगे। तो सहज पुरूषार्थ कौन-सा हुआ? निराकार और साकार दोनों को सदा साथ में रखो। सदा साथ न रखने कारण यह रिज़ल्ट है।

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