मुख पृष्ठदादी जीदादी जानकी जीबाबा कहते - जिसकी दिल बड़ी… उसकी भण्डारी और भण्डारा भरपूर…

बाबा कहते – जिसकी दिल बड़ी… उसकी भण्डारी और भण्डारा भरपूर…

संगमयुग डायमण्ड युग है। इस युग में मनुष्यात्मा की जीवन हीरे जैसी बनती है। बनाने वाला भी अभी हाजि़र होता है, बनने वाले जो विश्व भर में बिखर गये थे वह सब बाप के सामने हाजि़र हो जाते हैं। अभी आदि पिता और अनादि पिता दोनों इकट्ठे हो जाते हैं। आत्मा, परमात्मा सत्य है, अविनाशी है, अनादि है और यह प्रकृति भी अनादि-अविनाशी है। परन्तु मनुष्य आत्माएं इस प्रकृति को सतो-रजो-तमो बनाने वाली हैं। फिर परमात्मा तमोप्रधान आत्माओं को कहता है, सतोप्रधान बनना है, यह ध्यान रखो, बस।

मुरली ध्यान से सुनना, बाबा हम बच्चों से क्या चाहता है! इस साकार बाप को देख फॉलो करो। ब्रह्मा बाबा का पहला कदम है सर्वंश त्यागी। न सिर्फ तन-मन-धन, पर मेरे स्वभाव-संस्कार का भी त्याग। अगर ये भी मेरा है तो सर्वंश त्यागी नहीं हैं। आत्मा में सूक्ष्म स्वभाव-संस्कार इस जन्म का या पूर्व जन्म का रहा तो त्यागी नहीं हैं। दूसरा आज्ञाकारी, इसमें भक्ति के बहुत अच्छे अक्षर हैं- प्रभु की आज्ञा मानी माथे। उसकी वैल्यू भक्ति में भी बहुत है। प्रभु की आज्ञा, उसमें भला समाया हुआ है। कभी संकल्प नहीं उठे। एक बाबा के सिवाए कुछ याद न आये, एक बल एक भरोसा। भक्ति में कहते हैं एक तेरा सहारा। ज़रा भी मनमानी नहीं। वफादारी, जैसे सतीव्रत, सच्ची पत्नी वो जो उसकी आज्ञा पर हाजि़र रहे, वफादार रहे। जितना आज्ञाकारी, वफादार उतना ईमानदार। बड़ी दिल वाला, दिल छोटी नहीं। बाबा ने कहा जिसकी दिल बड़ी उसकी भण्डारी और भण्डारा कभी खाली नहीं हो सकता है। कोई भी उसके पास मेरा तेरा नहीं है। सच्ची दिल वाले पर साहेब राज़ी पर बड़ी दिल वाले पर बड़ा बाबा राज़ी। उसे कोई क्वेश्चन उठ नहीं सकता। जितना बड़ा बाबा है, उतना बड़ा परिवार है। सारा विश्व ही हमारा परिवार है। बाबा कहते हैं सब मेरे बच्चे हैं।

सेवाधारी वह जिसमें निमित्त भाव, सत्यता और प्रेम की धारणा है, उन्हें हर कदम में सफलता मिलती है। बाबा ने कहा है बच्ची सी फादर, फॉलो फादर, इसके कारण कोई भी बात बड़ी नहीं लगी है। हमें सिर्फ बाबा को देखना है। बाबा को कभी कोई भी हद की बात अच्छी नहीं लगती। आदि से देखा है, बेहद का बाबा है, भले बेगरी पार्ट है फिर भी खिलाने, बहलाने में बड़ी दिल। और कुछ नहीं है तो भले गुड़ तो है, ज्वार के आटे में गुड़ डाल के खिला दो। खिलाने में बहुत बड़ी दिल वाला कभी बाबा ने पहले नहीं खाया होगा, जब तक बच्चों ने न खाया हो।

हम बहन-भाई सब एक बाबा के बच्चे हैं। मनमनाभव का मंत्र, एक मन को बाबा में लगाने के लिए है। परन्तु जो सेवास्थान हैं, कहाँ भी इस पृथ्वी पर हैं, वो सब बाबा के हैं, परिवार बाबा का है। यह जो बाबा ने घोट-घोट के पिलाया है, उसकी ताकत बहुत है। भण्डारे में कोई पांव रखे, मधुबन का भण्डारा है। बाबा ने हम बच्चों को कितना सम्भाला है। ऐसे अपनी सम्भाल अच्छी तरह से करना, क्योंकि यह बाबा की अमानत है।

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