मुख पृष्ठओम शांति मीडियायोग प्रयोग का विषय है…

योग प्रयोग का विषय है…

जब हमारा किसी से जुड़ाव होता है तो हमारी उससे एक पहचान होती है। पहचान के बाद धीरे-धीरे हम उसके अन्दर तक की बातों में जाते हैं, सोचते हैं, उनसे व्यवहार में आते हैं। तो धीरे-धीरे रिश्ता प्रगाढ़ होता है, मजबूत होता है। वैसे ही यहाँ जब स्वयं की पहचान, परमात्मा की पहचान और उसके गुढ़ रहस्यों की पहचान होती है तो हमारी धीरे-धीरे उसके साथ गहनता बढ़ती है।

तो जुड़ाव एक है हमारा जो कुछ लेन-देन वाला है। एक जुड़ाव है कि सिर्फ मुझे इनसे बात करनी है और कोई उम्मीद नहीं रखनी है। और तीसरा जुड़ाव ये है कि बस ये हमारे साथ रहें, बाकी हमको कुछ और चाहिए ही नहीं इस जीवन में। तो परमात्मा हमेशा हम सबको प्रयोग करना सिखाते हैं कि जैसे एक साइंटिस्ट अपनी प्रयोगशाला में बैठ करके अपने ही कुछ कॉम्पोनेंट्स लेकर, अपनी ही कुछ बातें लेकर उस पर प्रयोग करता है। और उसमें से नई-नई बातें सामने आती हैं। उदाहरण के रूप में, मेरा किसी के साथ रिश्ता क्यों खराब है? एक छोटा-सा कॉम्पोनेंट हमारे पास आ गया, तो इसका उत्तर लेने के लिए हमें ये सोचना है कि ज़रूर हमने चाहे खुद से सोचा है, चाहे खुद से बोला है, और गलत सोचा है। तभी ये बात वहाँ पहुंच गई क्योंकि सारा संकल्पों का खेल है, ये परमात्मा हमको सिखाते हैं। तो जब मैं इसपर बैठकर थोड़ा सोचूंगा कि मैंने कब बोला है, या कब सोचा है तो उसका उत्तर आपको मिलेगा कि ज़रूर मैंने ही सोचा है ऐसा, इसलिए रिश्ता ऐसा है।

ऐसे ही सारी चीज़ों पर कि मेरी हेल्थ क्यों खराब है, मेरा मन क्यों उदास रहता है, या और-और बातें जो हमको किसी भी तरह से परेशानी में डालती हैं उसका मुख्य कारण क्या है? मुख्य आधार क्या है? तो जब हम ऐसे खुद के साथ बैठ करके थोड़ी बातचीत करते हैं, उसके साथ जुड़ते हैं, प्रयोग करते हैं तो हमें हमारे हर प्रश्न का उत्तर हमको मिलता जाता है। इसी को यहाँ पर कहा जाता है- योगी सो प्रयोगी।

तो हम सभी किसी से पूछने जायें कि मेरे घर में ये चीज़ कैसे ठीक होगी? एक कहावत है जो हम सुनते आये हैं कि अगर तैरना है तो पानी में उतरना पड़ेगा। तो ऐसे ही परमात्मा कहते हैं कि जब हम बातों की गहराई में जाते हैं, ज्ञान की गहराई में जाते हैं तो सारी चीज़ें बड़ी शांत नज़र आती हैं। जैसे आप कभी समुद्र का ऊपर वाला हिस्सा देखेंगे तो लगेगा कि कितना विशाल है, लेकिन अन्दर जाते हैं तो एकदम शांत रहता है। वहाँ सारी चीज़ें नज़र आती हैं। ऐसे ही हम जब ज्ञान की गहराई में जाते हैं ना तो सारी चीज़ों की अन्दर कहाँ से शांति आती है, उससे कैसे हमारा मन शांत होता जाता है वो हमको पता चलता है। इसलिए सबसे ज्य़ादा हम सबको ये काम करना है, प्रयोग करना है। खुद के संकल्पों पर, खुद की बातों पर, खुद के सम्बन्धों पर, है ना। एक-एक चीज़ पर प्रयोग करो। फिर आप देखो आपको जो उत्तर मिलेगा वो बहुत सेटिस्फेक्ट्री होगा, वो बहुत सन्तुष्टि देने वाला होगा। उससे जीवन में बदलाव भी बहुत अच्छा आयेगा और हमारा सारा कुछ बहुत सुन्दर हो जायेगा।

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