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रामगंजमंडी: ब्रह्माकुमारी संस्था की पहली मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा की 60वां पुण्य स्मृति दिवस

रामगंजमंडी, राजस्थान। ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र में संस्था की पहली मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा जिनका लौकिक नाम ओम राधे था उनका 60वां पुण्य स्मृति दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत आश्रम पर रोज सुबह सुनाए जाने वाले परमात्मा शिव के महावाक्यों से हुई।जिसके बाद ब्रह्माकुमारी शीतल दीदी ने मातेश्वरी जगदम्बा के जीवन का परिचय दिया और उनके जीवन की प्रेरणादायक बातें सुनते हुए कहा कि “मातेश्वरी जी को प्यार से सभी यज्ञ में मम्मा कहकर बुलाते थे क्योंकि वे सभी को मां की दृष्टि से देखती ओर सभी को मां जैसी पालना देती थी । मम्मा मन, वचन और कर्म की पक्की थीं।
उनका मन निर्विघ्न था। वे कर्मों की गति पर प्रकाश डालती थीं। कहती थीं कि श्रेष्ठ कर्मों से ही मनुष्य महान बनता है। कर्मों का संन्यास करने से श्रेष्ठता नहीं आती। सभी धर्मों में परमात्मा को माता-पिता, बंधु, सखा और सदगुरु माना जाता है, परंतु व्यावहारिक रूप से इन संबंधों को निभाना नहीं आता। इसलिए परमात्मा से मुक्ति या शांति नहीं मिलती। मम्मा कहती थीं कि जन्म-जन्मांतर का विकारों भरा जीवन देख लिया। तीर्थ, शास्त्र, यात्राएं सब कर लीं। फिर भी जो चाहिए था, वह नहीं मिला। अब परमात्मा कहते हैं कि विकारों को छोड़ो। शेष जीवन को पवित्र बनाओ। तभी ईश्वरीय वर्षा मिलेगी।”
इसके पश्चात परमात्मा शिव और मातेश्वरी जी के निमित भोग लगाया गया जिसे ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा शुद्धता और योगयुक्त स्थिति में बनाया जाता है।
नन्हे बच्चों ने मातेश्वरी जी को समर्पित करते हुए कुछ सुंदर नृत्यों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में धरनावद गांव के सरपंच मनोज पाटीदार भी पधारे मंगलम सीमेंट से भ्राता कमल जी भी पधारे जो लंबे समय से ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़े है। इसके साथ ही संस्था के लगभग सौ से अधिक भाई बहने इस कार्यक्रम में पधारे जो निरंतर आश्रम से जुड़े रहते है।
इसके पश्चात सभी को केंद्र संचालिका शीतल दीदी ने ईश्वरीय प्रसाद वितरित किया। अंत में सभी ने मिलकर संगठन में परमात्मा से योग लगाकर राजयोग की विधि द्वारा स्वयं को अनंत शक्तियों भरपूर किया । लगभग 3 घंटे तक सभी योगयुक्त स्थिति में स्थिर होकर बैठे रहे। एक लंबे समय के अभ्यास के पश्चात इन सभी भाई बहनों ने ये स्थिरता प्राप्त की है।

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