सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं सैनिकों के लिए तीन दिवसीय स्व सशक्तिकरण कार्यक्रम का शुभारंभ- ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन- कार्यक्रम में 75 से भी अधिक सेवानिवृत अधिकारी एवं पूर्व सैनिक हुए शामिल
भोरा कलां गुरुग्राम,हरियाणा।
ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में सुरक्षा बलों के अधिकारियों के लिए तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान एवं भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के तत्वाधान में हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य के साथ-साथ सेवानिवृत अधिकारियों एवं सैनिकों में मनोबल को बढ़ाना है। दीप प्रज्वलित कर सेल्फ एम्पावरमेंट एण्ड मेंटल वेल बींग विषय पर आयोजित सेमिनार का शुभारम्भ हुआ।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में भारतीय नौसेना के पूर्व वाइस एडमिरल सतीश कुमार नामदेव घोरपड़े ने कहा कि वो काफी समय से संस्था से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि राजयोग जीवन को सरल, सहज एवं सफल बनाने की विधि सिखाता है। ईसीएचएस का ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के साथ जुड़ने का प्रमुख कारण स्व सशक्तिकरण करना है। उन्होंने कहा कि समस्याओं का हल बाहर नहीं बल्कि हमारे ही भीतर है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष बल देती है। मन के विचारों का प्रभाव ही शरीर पर पड़ता है।

ईसीएचएस के संयुक्त निदेशक कर्नल राजीव ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ के साथ उन्होंने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान के द्वारा समय-समय पर सेना के अधिकारियों एवं सैनिकों के लिए कार्यक्रम आयोजित होते हैं। जिनके माध्यम से तनाव से मुक्त होने में मदद मिलती है। आंतरिक इच्छा शक्ति का विकास होता है।
पूर्व सीजीडीए देविका रघुवंशी, आइडीएएस ने संस्था के साथ का अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि वो 2018 से राजयोग का अभ्यास कर रही है। उन्होंने कहा कि उनके जीवन में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया है, जिसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती।

कार्यक्रम में ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने कहा कि राजयोग के माध्यम से ही मन शक्तिशाली बनता है। मन की शक्ति का प्रभाव तन पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि संकल्पों की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी, उतना ही जीवन बाधाओं से मुक्त होगा। संकल्प एक ऊर्जा का कार्य करते हैं। एक शक्तिशाली एवं एकाग्र मन ही सही निर्णय ले सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में दुआओं का सबसे बड़ा महत्व है। जहां दवा काम नहीं करती, वहां दुआ ही काम करती है।

संस्थान के दिल्ली हरीनगर से सम्बन्धित सेवा केंद्रों की निदेशिका राजयोगिनी शुक्ला दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि मानव जीवन प्रभु का वरदान है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय मानव ही सबसे दुखी और अशांत है। जिसका मूल कारण मूल्यों का ह्रास है। मन को शक्तिशाली बनाने के लिए हमें अपनी स्मृतियों को सशक्त करना होगा।



