मुझे भी परिस्थितियों के साये में स्ट्रेस ने जकड़ लिया, जिसका सीधा असर शरीर पर पडऩे से बहुत असहनीय दर्द हुआ। चिकित्सक परामर्श से मेरा दर्द ठीक हो गया। 12 वर्ष के बाद पुन: असहनीय दर्द फिर उठा और मेरी सिस्टर ने कहा कि आप कैड प्रोग्राम अटेंड कीजिए, सब ठीक हो जाएगा। और मैंने शान्तिवन में चल रहे साप्ताहिक कैड प्रोग्राम अटेंड किया और जो हुआ वो किसी चमत्कार से कम नहीं! ऐसा अनुभव है- डॉ. अश्विनी कुमार कम्बोज,देहरादून का उन्हीं के शब्दों में… — डॉ. अश्विनी कम्बोज देहरादून चेयरमैन आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और प्रेसिडेंट ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन।
मैं अश्विनी कम्बोज,देहरादून,उत्तराखंड शहर का रहने वाला हूँ। ब्र.कु. डॉ. सतीश गुप्ता के निर्देशन में चल रहे कैड प्रोग्राम में भाग लेने आया हूँ। इससे सम्बन्धित मैं कुछ अनुभव आपके साथ शेयर कर रहा हूँ। आज स्ट्रेस(तनाव) का कितना दुष्प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ सकता है उसका प्रत्यक्ष उदाहरण मैं स्वयं हूँ।
मुझे 2012 में हार्ट अटैक(दिल का दौरा) आया था और उसका मुख्य कारण यह था कि मुझे काठमांडू,नेपाल में एक अवॉर्ड लेने के लिए जाना था। लेकिन उससे एक दिन पहले मुझे अपने मित्र के काम से नैनीताल जाना पड़ा। मैं एक समाजसेवा अर्थ किसी दूसरे व्यक्ति के काम से गया था। वहाँ दिन भर काम किया, रात को फ्री हुए तो मैंने उनसे बोला था कि मेरे लिए गाड़ी की व्यवस्था करवा देना दिल्ली जाने के लिए। क्योंकि सुबह-सुबह 6 बजे मुझे फ्लाइट पकडऩी थी तो गाड़ी की व्यवस्था नहीं हुई। 9 से 11 बज गए उन्होंने एक गाड़ी मेरे सामने लाकर रख दी उसमें ड्राइवर नहीं था और वो खुद भी मेरे साथ जाने वाले थे किसी कारण से। वो गाड़ी मुझे ही चलानी पड़ी। तो रात भर वो गाड़ी मैंने ही ड्राइव की। मैं 7 घंटे की ड्राइव करके दिल्ली पहुँचा और दिल्ली से फ्लाइट पकडऩी थी तो ना हमको पानी मिला, ना चाय मिली और ना ही कॉफी मिली। जो कि हम जीवन में अक्सर लेते हैं और वहाँ से फ्लाइट पकड़कर सीधा नेपाल पहुँच गये, काठमांडू में उतर गये एयरपोर्ट पर।
तो एयरपोर्ट से बाहर निकलने के बाद जब मैंने देखा बेल्ट पर जो सामान आता है, बैग आता है तो मेरा बैग ही नहीं आया तो पता चला कि मेरा बैग कोई ओर ले गया और वो अपना बैग छोड़ गए क्योंकि मिलता-जुलता था। तो अपना छोड़ गये और मेरा ले गये। एक-डेढ़ घण्टा उसमें लग गया किसी तरह एयरपोर्ट वालों ने उन्हें फोन करके दुबारा बुलाया तो मुझे मेरा बैग मिला। मुझे उस दिन इतना स्ट्रेस(तनाव) हुआ कि अनचाहा मुझे रात भर गाड़ी चलानी पड़ी, 6-7 घंटे जिसकी मुझे आदत नहीं थी। मैं हमेशा अपने ड्राइवर को साथ रखता हूँ और वहाँ जाने के बाद मेरा बैग गायब हो गया तो काफी स्ट्रेस हुआ, जब मैं होटल में पहुँचा, कुछ खाया भी नहीं था पहले दिन 9 बजे से लेकर अगले दिन 11-12 बजे तक। तो स्ट्रेस का मेरे शरीर पर ये प्रभाव हुआ कि मेरे सीने में दर्द हुआ। उस समय मुझे भूख काफी लगी हुई थी, खाना थोड़ा ज्य़ादा खा लिया। एक एसिलोक टैबलेट आती है गैस के लिए तो वो हमने खा ली और रेस्ट करने चले गये। रेस्ट करने के बाद शाम को जब उठे तो होटल में नीचे गये और खाना खाया, भोजन करने के बाद मुझे फिर से दर्द हुआ और वो दर्द इतना भयंकर था कि असहनीय दर्द था, तो उसमें मैंने होटल के मैनेजर से बोला कि डॉक्टर को बुला दो, उन्होंने कहा कि 5000 रूपये जमा करवा दो आधे घण्टे में डॉक्टर आ जायेगा तो मैं समझ गया, क्योंकि मैं पेशे से डॉक्टर हूँ।
एक आयुर्वेदिक संस्थान हम चलाते हैं, आयुर्वेदिक कॉलेेज चलाते हैं और आयुर्वेदिक हॉस्पिटल भी है हमारा देहरादून में। मुझे समझ आ गया कि मुझे हार्ट अटैक है, मैंने कहा मुझे गाड़ी उपलब्ध करवाएं और मैं हार्ट के हॉस्पिटल जाना चाहता हूँ। ईश्वर की कृपा रही कि उन्होंने मुझे गाड़ी दे दी और मैं हार्ट के हॉस्पिटल में चला गया तो मुझे हार्ट अटैक हुआ था। उसका सिर्फ एक ही कारण था वो था स्ट्रेस(तनाव)। तो जीवन में स्ट्रेस इतना खतरनाक होता है, ये मैंने पहली बार अनुभव किया था, जीवन में कभी भी जल्दबाजी ना करें और ना ही स्ट्रेस लें। कुछ भी हो रहा है स्ट्रेस ना लें, स्ट्रेस मेरी मजबूरी थी। स्ट्रेस दोनों जगह अनावश्यक था। गाड़ी भी चलानी पड़ी और बैग भी मेरे हाथ में नहीं था जो कि दूसरा ले गया था। तो उस समय मेडिकल मैनेजमेंट क्योंकि मैं मेडिकल फील्ड से था, मैंने अपना परिचय दिया तो डॉक्टर्स ने काफी मदद की वहाँ पर और मैं 7-8 दिन में नेपाल,काठमांडू से ठीक होकर देहरादून आ गया, तब से मैं ठीक चल रहा था और पिछले साल 2024 में मुझे फिर हार्ट की समस्या हुई और मेरे को दो स्टेंट डाले गये। तो मेरी छोटी बहन ब्रह्माकुमारी से जुड़ी हुई है, उन्होंने मुझे यहाँ आने के लिए प्रेरित किया कि एक बार यहाँ आइये और मैं यहाँ आया कैड के प्रोग्राम में और इस प्रोग्राम में मुझे जो अनुभव हुआ वो सच में अद्भुत है, अलौकिक है। बिना दवाइयों के केवल प्रॉपर एक्सरसाइज़ और राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से किस तरह से शरीर के अंदर हमारी नाडिय़ां खुलती हैं, हमारी नसें खुल जाती हैं ये मैंने यहाँ महसूस किया है।
डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और हार्ट की बीमारी इन चारों को लेकर जो कैम्प चले उसमें 50 लोग थे। जिनको मैंने देखा है कि उनमें से सभी में, किसी एक में नहीं सभी में बहुत सुधार मिला, सुधार हुआ और बहुत अच्छा महसूस हुआ। मुझे डायबिटीज़ भी है और मेरा मुख रात को बार-बार सूख जाता था, बार-बार पानी पीना पड़ता था, जबसे मैं यहाँ आया हूँ तो मुझे एक ही बार पानी पीना पड़ रहा है जो 5-6 बार रात को पानी पीना पड़ता था तो ये यहाँ की महिमा है, इस वातावरण की, यहाँ पर पॉजि़टिव एनर्जी है। मैंने महसूस किया यहाँ चारों ओर पॉजि़टिव एनर्जी भरी हुई है। जितने लोग हैं सब ओम शान्ति बोलते हैं, तो अपने आप ही शान्ति मिलती है। तो मैं यही कहना चाहूँगा कि जीवन में कभी स्ट्रेस नहीं लो, जल्दबाजी मत करो और अगर कोई प्रॉब्लम किसी भाई या बहन को है तो वो राजयोग के माध्यम से यहाँ कैड के प्रोग्राम में आकर वो सीखें। कैसे हम नया जीवन ले सकते हैं और कैसे नए तरीके से अपने जीवन को बदल सकते हैं! मैंने ये यहाँ अनुभव किया।




