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मुंबई घाटकोपर : ‘द इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI)’ के कार्यक्रम में राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज ने दिये स्ट्रेस मैनेजमेंट और वर्क – लाइफ बैलेंस करने के टिप्स

मुंबई -घाटकोपर, महाराष्ट्र। द इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के पश्चिम भारत क्षेत्रीय परिषद (WIRC) द्वारा आयोजित एक प्रभावशाली और विचारोत्तेजक सत्र में, आध्यात्मिक प्रेरक वक्ता, लोकप्रिय स्तंभकार और ब्रह्माकुमारीज़ के मीडिया विंग के राष्ट्रीय समन्वयक राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए “वर्क-लाइफ बैलेंस और तनाव प्रबंधन” विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में शामिल हुए |
वित्तीय क्षेत्र के पेशेवरों को संबोधित करते हुए, राजयोगी निकुंज ने ‘आध्यात्मिकता’ और ‘CA क्षेत्र’ के बीच के अंतर को बड़ी सहजता से जोड़ा और बताया कि दोनों क्षेत्रों में स्पष्टता, ज़िम्मेदारी और संतुलन की समान आवश्यकता होती है।
उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान चाहता है, लेकिन हमें अपनी समस्याओं से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए |
राजयोगी निकुंज ने कहा कि सच्चा संतुलन केवल समय प्रबंधन नहीं है, बल्कि “संतुलन का अर्थ है उपस्थिति ” | अर्थात जब हम ऑफिस से घर जाते है, परिवार के साथ होते है तो उस समय परिवार वालों को पूरा समय देना चाहिए , उस समय ऑफिस के कामकाज याद आए और हम उसी में उलझे रहे तो यह सही संतुलन नहीं है | व्यक्तिगत जीवन में पेशेवर भूमिका पूरी तरह अलग हो जाएँ ताकि शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में संतुलन बन सकें।
अपने व्याख्यान में उन्होंने मूल्य-आधारित संपत्ति प्रबंधन की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आप दूसरों को मनी मैनेजमेंट, एसेट मैनेजमेंट और फ्यूचर इन्वेस्टमेंट में मार्गदर्शन देते हैं, उसी तरह स्ट्रेस मैनेजमेंट भी ज़रूरी है। और केवल आप स्वयं ही अपने तनाव को प्रबंधित कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पैसा तो कमाया और खर्च किया जा सकता है, लेकिन आंतरिक खुशी और अपने कार्य से संतुष्टि, वर्क – लाइफ बैलेंस के लिए अपरिहार्य हैं। उन्होंने कहा, “जो आप स्वयं के लिए पाना चाहते हैं — सम्मान, सराहना, प्रेम — वही सबसे पहले आपको दूसरों को देना होगा। तभी सच्ची आंतरिक स्थिरता प्राप्त होती है।”
राजयोगी निकुंज ने हर घंटे में तीन मिनट मौन का अभ्यास करके, आंतरिक मौन खाते में निवेश करने की सलाह दी | यह सरल अभ्यास, उन्होंने कहा, निर्णय क्षमता को बेहतर बनाता है, धैर्य विकसित करता है, और तनाव को काफी हद तक कम करता है।
सत्र में राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास भी कराया गया।
कार्यक्रम के अंत में CA पंकज आहूजा द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र हुआ। कई उपस्थित जनों ने कहा कि इस सत्र ने उनके तेज रफ्तार जीवन में एक नई सोच, आत्म-चिंतन और उद्देश्य की भावना निर्माण की है।
ICAI के वरिष्ठों ने राजयोगी निकुंज का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से अपने सदस्यों के समग्र कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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