कुरुक्षेत्र:, हरियाणा : रक्षाबंधन का पर्व जहाँ भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के संकल्प का प्रतीक है, वहीं इसकी आध्यात्मिक गहराई मानव आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का संदेश देती है। इसी भाव को सजीव करते हुए दिनांक 02 अगस्त 2025 को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा विश्व शांति धाम, कुरुक्षेत्र की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिकाएं बी.के. राधा दीदी एवं बी.के. मधु दीदी ने कुरुक्षेत्र के प्रमुख मंदिरों एवं आश्रमों में सेवा भेंट की।
इस सेवा यात्रा का उद्देश्य कुरुक्षेत्र क्षेत्र में कार्यरत संत, साध्वी एवं पुजारीजनों को रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य समझाते हुए, उन्हें ईश्वरीय स्मृति में सदा स्थित रहने का प्रेरणा संदेश देना था।
इस आध्यात्मिक सेवा के अंतर्गत निम्न स्थलों का दौरा किया गया:
दुखभंजन मंदिर – जहां पुजारी श्री सुशील कुमार जी को रक्षा सूत्र बांधते हुए आत्मा और परमात्मा के अविनाशी संबंध का बोध कराया गया।
स्थानेश्वर महादेव मंदिर, थानेसर – कुरुक्षेत्र का पौराणिक स्थल, जहाँ परमात्मा की याद में शक्ति प्राप्ति का संदेश दिया गया।
गीता कुंज आश्रम – साध्वी मुक्ता जी महाराज को आत्मिक तिलक लगाकर परमात्मा की संतान होने का स्मरण दिलाया गया।
ब्रह्मानंद आश्रम – साध्वी सुशीला जी को राजयोग द्वारा आत्मा की शक्तियों को जागृत करने का रहस्य बताया गया।
गीता धाम आश्रम, कुरुक्षेत्र – जहाँ आश्रम वासियों को भी आत्मिक उन्नयन हेतु प्रेरित किया गया।
महंत स्वामी लक्ष्मीनारायण पुरी जी महाराज – जिनके साथ आत्मा की दिव्यता पर चिंतनपूर्वक वार्तालाप हुआ।
कार्यक्रम के दौरान बी.के. राधा दीदी ने बताया कि रक्षाबंधन केवल एक पारिवारिक पर्व न होकर एक आत्मिक जागृति का उत्सव है। रक्षा सूत्र का तात्पर्य है – स्वयं को आत्मा समझकर पांच विकारों से रक्षा करना और परमात्मा से सच्चा संबंध जोड़ना।
इसके पश्चात बी.के. मधु दीदी ने उपस्थित सभी संतों व आश्रम प्रमुखों को राजयोग की सरल विधि से अवगत करवाया और बताया कि कैसे यह योग आत्मा को शांति, शक्ति व समाधान देता है।
इस सेवा यात्रा के दौरान सभी आश्रमों और मंदिरों में आत्मीयता, सम्मान और आध्यात्मिक ऊर्जा का वातावरण व्याप्त रहा। सभी संतों, साध्वियों व पुजारियों ने इस प्रयास की हृदय से सराहना की और भविष्य में भी इस प्रकार की सेवाओं के लिए आशीर्वाद व सहयोग की भावना व्यक्त की।













