मोबाइल की दुनिया ने हमें तात्कालिक सुविधाएं तो दी हैं, लेकिन बदलेे में हमारे ध्यान, धैर्य, मानसिक स्थिरता और योग्यता को गहराई से प्रभावित भी किया है। इसलिए ज़रूरत है कि हम इस डिजिटल आदत को समझें। एक स्क्रीन पर चलती दुनिया से अपनी दुनिया को इस दर मत जोड़ें कि वही आपका जहान बन जाए।
कहीं भी आप नज़र घुमाकर देखें, तो हर दूसरा व्यक्ति मोबाइल में व्यस्त नज़र आएगा। बस में सफ़र करते समय, खाली वक्त में या फिर टीवी देखते हुए, उंगलियां लगातार सोशल मीडिया को स्क्रॉल करती रहती हैं। आज के इस डिजिटल युग में मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है, जो एक ओर हमें दुनिया से जोड़े रखता है, तो दूसरी ओर हमारे ध्यान, धैर्य और मन स्थिरता को धीरे-धीरे क्षीण कर रहा है।
ध्यान को मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति माना गया है। जो व्यक्ति पूरे ध्यान यानी फोकस से कार्य करता है, वह किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। परन्तु मोबाइल और सोशल मीडिया की आदतें धीरे-धीरे इस ध्यान की शक्ति को कमज़ोर कर रही हैं।
मोबाइल कैसे भटका रहा है ध्यान? – दरअसल, सोशल मीडिया पर हर पल कुछ न कुछ नया कंटेंट आता रहता है। इस लगातार होती सूचना की बौछार से हमारा दिमाग सतही जानकारी पर ही रूक जाता है और इससे गहरी सोच या एक जगह ध्यान केन्द्रित करना कठिन हो जाता है।
दूसरा कारण यह भी है कि सोशल मीडिया पर हम कुछ सेकंड में ही एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर चले जाते हैं। यह आदत धीरे-धीरे मस्तिष्क को लंबे समय तक किसी एक कार्य पर केन्द्रित करने से रोकती है। वहीं, जब कोई रील या वीडियो लंबा लगता है तो उसे बीच में छोड़कर दूसरे वीडियो पर चले जाते हैं। नतीजन, धैर्य में कमी आने लगती है। इसके चलते लम्बे समय तक किसी एक काम पर ध्यान केन्द्रित करना मुश्किल हो रहा है।
कला से जुड़कर ला सकते हैं सुधार – जब मन को कोई रचनात्मक कार्य दिया जाता है, तो वह धीरे-धीरे मोबाइल और सोशल मीडिया की आदत से दूर होने लगता है। इस दिशा में कला एक प्रभावशाली माध्यम बन सकती है। चित्रकला, संगीत, नृत्य, लेखन जैसे कला के विभिन्न रूप न सिर्फ एकाग्रता बढ़ाते हैं, बल्कि मन को शान्ति और आनंद भी प्रदान करते हैं।
कैसे मदद करती हैं कला –
- ‘कला में व्यस्त होते ही व्यक्ति ‘प्रवाह अवस्था’ में चला जाता है, जिससे ध्यान नहीं भटकता। ‘
- जब हम स्वयं कुछ रचते हैं, चाहे वह चित्र हो, कविता हो या हस्तकला, तो आत्मसंतोष की अनुभूति होती है।
- ‘रचनात्मक प्रक्रिया मन को नकारात्मकता से दूर करती है। खाली समय को स्क्रॉलिंग की जगह सृजन में बदल देती है।
कलाएं जो कारगर हैं –
- पेंटिंग… रंगों से खेलने से मन स्थिर होता है और ध्यान केन्द्रित होता है।
- शास्त्रीय/नृत्य संगीत… अनुशासन और गहन ध्यान की आदत पड़ती है।
- क्राफ्ट वर्क/कढ़ाई-बुनाई… हाथों से काम करने से दिमाग के विभिन्न हिस्से जाग्रत होते हैं। मोबाइल की ज़रूरत ही महसूस नहीं होती।
- सेल्फ-ऑब्ज़र्वेशन… स्वयं एकान्त में बैठकर मन की गति को देखने से एकाग्रता बढ़ती है। नकारात्मक व सकारात्मक विचारों को निरीक्षण कर मन को सकारात्मक की ओर मोडऩे से मन में गुणात्मक परिवर्तन आता है।
विचारों व आदतों पर भी पड़ता है असर
- निर्णय लेने में अक्षमता – सोशल मीडिया पर बहुत सारे विकल्पों के बीच दिमाग उलझ जाता है और थकावट महसूस करने लगता है। इसके कारण निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो रही है। जब जीवन में कोई अहम फैसला लेना होता है, तो हमारा मन गहराई से सोच नहीं पाता।
- रचनात्मकता से दूर होते हैं – मोबाइल की दुनिया में उलझकर लोग धीरे-धीरे अपनी रचनात्मक गतिविधियों, जैसे- चित्रकला, लेखन या संगीत आदि से दूर होते जा रहे हैं। पढऩे की रुचि भी कम होने लगी है। जब सामने एक ओर किताब रखी हो और दूसरी ओर मोबाइल, तो ज्य़ादातर लोग मोबाइल को उठाना पसन्द करते हैं।
- मल्टीटास्किंग की आदत – एक समय में कई एप्स पर भटकते हुए लोगों को खुशफहमी हो जाती है कि वे एक साथ कई काम कर सकते हैं। जबकि वास्तव में वे इस चक्कर में एक काम भी पूरी क्षमता के साथ नहीं कर पाते हैं।
हर दिन कम से कम 30 मिनट का समय कला को दें। उस दौरान मोबाइल को साइलेंट मोड पर करके दूर रख दें।
रोज़ सिर्फ 10 मिनट निकालें – जर्नलिंग करें… कागज़ कलम से लिखना शुरु करें ताकि ध्यान भटके नहीं। शुरुआत कुछ आसान सवालों से करें, जैसे- आज कैसा महसूस किया? क्या सोच रहा हूँ/रही हूँ? कब व क्यों बिना वजह मोबाइल उठाया? दिनभर की सोशल मीडिया की आदतों को भी दर्ज करें। यह अपने डिजिटल व्यवहार को समझने व सुधारने में भी सहायक है।
माइंडफुलनेस का अभ्यास – किसी विशेष कार्य में सचेत होना, भोजन करने पर पूरा ध्यान देना या ध्यान से चलना, ये सभी माइंडफुलनेस के आसान तरीके हैं। ये मानसिक दृढ़ता और वर्तमान में जीने की क्षमता को बढ़ावा देते हैं।
मनोरंजन के विकल्प – शतरंज, लूडो जैसे बोर्डगेम्स, पहेलियां, क्रॉसवर्ड आदि मनोरंजन करने के साथ-साथ दिमाग की एकाग्रता को भी बढ़ाते हैं। मैदानी खेल भी खेलें जैसे क्रिकेट, फुटबॉल। इंडौर व आउटडौर गेम भी खेल सकते हैं इत्यादि।
किताब पढ़ें – किताब पढऩे से दिमाग को स्थिरता, कल्पना और गहराई से सोचने की शक्ति मिलती है। रोज़ कम से कम 20-30 मिनट किताब पढऩे की आदत बनाएं।



