प्लेनरी सेशन में जनसंचार में पारदर्शिता और विश्वास विषय पर चिंतन हुआ
वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया शिक्षा से जुड़े दिग्गजों ने मीडिया की घटती विश्वसनीयता पर जताई चिंता*
ब्रह्माकुमारीज़ के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में चल रही राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस के पहले प्लेनरी सेशन में जनसंचार में पारदर्शिता और विश्वास विषय पर चिंतन हुआ। सेशन में देशभर से आये वक्ताओं ने विचार रखे।

आबू रोड, राजस्थान। सत्र के मुख्य वक़्ता मीडिया विंग के राष्ट्रीय संयोजक बीके सुशांत ने कहा कि जब हम आत्मविवेक के साथ काम करते हैं। लोकहित में कंटेंट रचते हैं तो वह जरूर ही पॉजिटिव होता है। हमारी विश्वसनीयता,हमारी पारदर्शिता से ही हमारी टीआरपी और आर्थिक विकास सम्भव हो सकेगा। यदि हम खुद से सत्य हैं तो मैं सत्यवादी हूँ। सत्य से ही पारदर्शिता आती है। स्वमान में स्वधर्म में रहने से और विवेक के आधार पर निर्णय लेते हैं तो हमें किसी प्रकार की चुनौती नहीं होती। सन्तुष्टता और खुशी जिसके पास है, वह बाहरी वैभव वस्तु की तरफ आकर्षित नहीं होता।

भुवनेश्वर से आये संग्राम केशरी सारंगी, एडिटर डिजिटल आरगस न्यूज़ चैनल ने कहा कि लोग जो देखना चाहता है, मीडिया वही दिखाता है। अगर लोग अच्छी खबर के बारे में पूछेगा तो वही दिखाया जाएगा। सब अगर ओमशान्ति बोलेंगे तो हमारा आधा काम हो जाएगा। वॉर, क्राइम पर हेडलाइन्स होती है। लेकिन सब शांति में रहेंगे तो आधा काम हो जाएगा।

डॉ संजीव गुप्ता, प्रोफेसर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल ने कहा कि विश्वास और पारदर्शिता भारी शब्द लगते हैं, लेकिन इन्हें जीवन मे उतारना उतना ही सरल हैं। जब हम प्रभु से संवाद करते हैं तो क्या कोई तैयारी करते हैं, बस शुद्ध मन चाहिए। यही तो पारदर्शिता है।
इंदौर से आये नवभारत के ग्रुप एडिटर क्रांति चतुर्वेदी ने कहा कि हमारे प्राचीन गर्न्थो में बार-बार एक वाक्य आता है कि करोड़ सूर्य की रोशनी की भांति प्रकाश चमक रहा है। ब्रह्माकुमारीज़ और पत्रकारों के कार्यों से जो प्रकाश निकलता है, शायद यह उसी का उल्लेख है। हमारे जनसंचार के प्राचीन ग्रन्थ मूल्यों का संचार करते रहे। रामायण, वेद, शास्त्र हमारे परम्परागत शिक्षा माध्यम हैं। कालांतर में मूल्यों का हास हो गया। साध्य और साधनों में शुचिता हो।
जयपुर स्थित मणिपाल विश्वविद्यालय की मीडिया, कम्युनिकेशन एंड फाइन आर्ट्स विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर वैशाली चतुर्वेदी ने कहा हम अपने विद्यार्थियों को सिखाते हैं कि कम शब्दों में सारगर्भित बात कहना आना चाहिए। मीडिया को अपने दर्शकों से वही विश्वास बनाने की जरूरत है, जैसा विश्वास एक बच्चे को अपने पिता पर होता है, जब उसे वह हवा में उछाल रहे होते हैं। जरूरत है सोशल मीडिया डिटॉक्स की। सकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर भरना होगा। हम अपराध और युद्ध की खबरों से घिरे हुए हैं। टीआरपी की जंग, कारपोरेट प्रेशर में लगातार चल रहे पत्रकार अपने दर्शकों को पारदर्शिता नहीं दे पाता। सच्ची-सार्थक खबरें जनता तक पहुंचाना हमें जवाबदेह बनाता है।

रेडियो बृजवानी आगरा की आरजे राखी त्यागी ने कहा कि किसी भी समाज की नींव तभी मज़बूत होती है, जब मीडिया पारदर्शी और सही हो। नारद जी सूचना को बिना तोड़े मरोड़े देवताओं तक पहुंचाते थे। महाभारत में संजय का भी उदाहरण हैं। दोनों ही उदाहरण हमे बताते हैं कि पारदर्शिता ही विश्वास की आधारशिला हैं। समाचार को तोड़ने मरोड़ने से भ्रम की स्थिति पैदा होती है। पारदर्शिता और विश्वास मीडिया की आत्मा है।
द इमर्जिंग वर्ल्ड नोएडा के सलाहकार संपादक कुमार नरेंद्र सिंह ने कहा कि आज जनसंचार से विश्वास और पारदर्शिता की दूरी बढ़ गयी है। विश्वास और पारदर्शिता अलग नहीं हैं, बल्कि ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मूल्य जीवित रखने के लिए गम्भीर प्रयास करने पड़ते हैं। समाज के गुण और दुर्गुण हममें भी होंगे क्योंकि हम समाज का हिस्सा हैं। हम उन परिस्थितियों का निर्माण करें, जिनमें पारदर्शिता और विश्वास हो। सबसे पहले हमें सामाजिक स्थितियों में बदलाव करने होंगे।
डॉ बीआरए विश्वविद्यालय आगरा के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संदीप शर्मा ने कहा सिर्फ मीडिया का स्तर नहीं गिर रहा, बल्कि समाज का ही पतन हो रहा है। सुधारने की शुरुआत हमेशा खुद से करनी होगी। जब तक मास कम्युनिकेशन के माध्यमों में विश्वास नहीं रहेगा, तो वह ज्यादा नहीं चल सकेगा। उस पर संस्थान और समाज का बहुत ज्यादा दवाब रहता है। कोई पत्रकार नहीं चाहता कि उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे। समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी, यह केवल पत्रकार का कर्त्तव्य नहीं है। कोशिश हम सबको मिलकर करनी होगी। मीडिया समाज का एक छोटा सा हिस्सा है।
गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. विनोद कुमार पांडे ने कहा कि जनसंचार में एक साथ कई सारे लोगों से संवाद करना पड़ता है। विश्वसनीयता नहीं रहेगी तो लोग हम पर विश्वास नहीं करेंगे। अब अखबारों में भी पेड न्यूज़ छप रही हैं। अखबारों में आज भी गेट कीपिंग का चलन है, उसमें गलत खबरों का पता चल जाता है। लेकिन सोशल मीडिया में गलत खबर चेक करने का साधन नहीं है। इसके लिए आत्म नियंत्रण की जरूरत है।

डॉ अजय कुमार अग्रवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष इंटरनेशनल चैंबर ऑफ पब्लिक रिलेशन हैदराबाद ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शुभ कार्यों की शुरुआत घर से करनी होती है। बच्चा अपनी माँ पर पूरा विश्वास करता है।जहां एक दूसरे पर विश्वास नहीं होता, वहां लोग लंबा नहीं चल पाते। यदि हमें देश मे विश्वास और पारदर्शिता चाहते हैं, तो हमें शुरुआत खुद से करनी होगी।

मीडिया विंग की जोनल कोऑर्डिनेटर बीके पूनम दीदी ने राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करवाया। बीके डॉ नंदिनी दीदी ने सत्र का संचालन किया।









