नाशपाती अपने ढेर सारे पौष्टिकता के गुणों के कारण रोगों का उपचार करने में मदद करती है। चलिए नाशपाती के फायदे के बारे विस्तार से जानते हैं कि ये कैसे और किन-किन रोगों में फायदेमंद है।
आँख संबंधी रोगों से राहत – आँख में जलन या आँख में दर्द जैसे किसी भी बीमारी में नाशपाती बहुत फायदेमंद होती है। नाशपाती को पीसकर नेत्र के बाहर चारों तरफ लगाने से नेत्र रोगों में लाभ होता है।
अग्निमांद्य या अपच में फायदे – डाइजेस्टिव टैक्ट में सूजन या इंफेक्शन(संक्रमण) होने पर पेट में सूजन हो जाता है जिसके कारण बदहजमी, एसिडिटी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। 15-20 मिली नाशपाती फल के रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिलाकर पिलाने से भूख लगती है।
अर्श या पाइल्स से दिलाए राहत – नाशपाती के मुरब्बे में 250मिग्रा नागकेसर चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है। इसके सेवन से दर्द और खून का निकलना कम होता है।
कब्ज से राहत पाने में फायदेमंद – नाशपाती में मौजूद रेचन गुण के कारण यह कब्ज की परेशानियों से राहत दिलाने में लाभदायक होता है। इससे आँतों में जमी गन्दगी को आसानी से मल रूप में निकाला जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में लाभकारी – नाशपाती में एक रिसर्च के अनुसार प्रचुर मात्रा में पेक्टिन नामक तत्व पाया गया जोकि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
एनीमिया से बचने के लिए लाभकारी – एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जो पित्त दोष के प्रकुपित होने के कारण होती है। इसमें नाशपाती के सेवन से लाभ होता है क्योंकि नाशपाती शीत वीर्य होने के कारण पित्त को शांत करती है साथ ही यह शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करती है। इसके कारण यह एनीमिया के लक्षणों को ही दूर करने में मदद करता है।
त्वचा रोगों से राहत दिलाए – प्रदूषण के कारण आजकल त्वचा संबंधी बहुत तरह से रोग होने लगे हैं। नाशपाती के पत्तों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभ होता है तथा घाव में लगाने से घाव जल्दी भरता है।
नाशपाती का उपयोगी भाग – आयुर्वेद में औषधि के तौर पर नाशपाती के फल और पत्ते का सेवन किया जाता है।
नाशपाती का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए – बीमारी के लिए नाशपाती के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी खास बीमारी के इलाज के लिए नाशपाती का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
नाशपाती खाने के नुकसान
नाशपाती के अधिक सेवन से कफ दोष बढ़ता है। इसके कारण खांसी-जुकाम होने लगता है क्योंकि इसमें कफ को बढ़ाने वाला शीत गुण पाया जाता है।




