मुख पृष्ठलेखपरमात्मा किस बच्चे को अधिक प्यार करते हैं…!

परमात्मा किस बच्चे को अधिक प्यार करते हैं…!

मनुष्य का जीवन ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार है। हर बच्चा मासूम और पवित्र होता है, लेकिन यह प्रश्न अक्सर उठता है कि परमात्मा किस बच्चे को ज्य़ादा प्यार करते हैं? इसका उत्तर हमें अपने कई पूर्वजनों के जीवन के अनुभवों से मिलता है। परमात्मा किसी एक बच्चे से नहीं, बल्कि उन बच्चों से विशेष स्नेह रखते हैं जिनमें कुछ दिव्य गुण होते हैं। इस पहेली को हम क्रमबद्ध रूप से समझते हैं-

सच्चाई और ईमानदारी परमात्मा को सबसे अधिक प्रिय वह बच्चा होता है जो हमेशा सच बोलता है और ईमानदार रहता है। झूठ बोलना, धोखा देना या किसी को कष्ट पहुंचाना परमात्मा को पसंद नहीं। सत्य की राह पर चलने वाला सच्चा बच्चा न केवल प्रभु को प्रिय होता है, बल्कि समाज का भी आदर्श बनता है।

दयालु और करुणामय – जिस बच्चे के हृदय में करुणा और दया होती है परमात्मा उसे अत्यधिक प्यार करता है। जो बच्चा छोटे-बड़े, अमीर-गरीब में भेदभाव नहीं करता, जानवर और प्रकृति से भी प्रेम करता है, वह वास्तव में परमात्मा की नज़र में अनमोल होता है।

सेवाभाव रखने वाला – सेवा, परमात्मा तक पहुंचने का सबसे सरल मार्ग है। जो बच्चे अपने मात-पिता, बड़ों को और साथ-साथ ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करते हैं, वह ईश्वर के प्रिय बन जाते हैं। नि:स्वार्थ सेवा करने वाले बच्चों को समाज भी सम्मान देता है और परमात्मा भी उन पर कृपा करते हैं।

नम्रता और विनम्रता वाले – अहंकार, परमात्मा से दूर करता है। लेकिन जो बच्चे विनम्र, सभ्य और आदर करने वाले होते हैं वह ईश्वर के हृदय में विशेष स्थान पाते हैं। नम्रता ही वास्तविक महान बनने का सबसे सरल आधार है।

मेहनती और लगनशील – परमात्मा उन्हीं बच्चों को पसंद करते हैं जो अपने कत्र्तव्य को समझते हैं और परिश्रम करते हैं। आलस्य, टाल-मटोल और लापरवाही से ईश्वर प्रसन्न नहीं होते। कर्मठ और लगनशील बच्चा अपने जीवन में सफलता पाता है और परमात्मा की कृपा भी उस पर बनी रहती है।

सर्व प्रति शुद्धभाव रखने वाला – सबसे महत्वपूर्ण गुण है निश्छल भाव, पवित्र भाव। जो नि:स्वार्थ व पवित्र भाव से परमात्मा को याद करता है और उनके बताए हुए मार्ग पर चलता है, वह परमात्मा को अत्यंत प्रिय होता है। सर्व के प्रति निर्मल हृदय से शुद्ध व शुभ भाव रखता है उनके जीवन में शान्ति आती है।

परमात्मा सभी बच्चों से प्रेम करते हैं क्योंकि सब उनकी ही संतान हैं। परन्तु विशेष प्रेम उन्हीं से होता है जिनमें सच्चाई, दया, सेवा, नम्रता, परिश्रम और शुभ भाव जैसे गुण होते हैं। ऐसा बच्चा केवल ईश्वर का प्रिय ही नहीं बनता बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। अत: हमें चाहिए कि हम इन गुणों को अपने जीवन में अपनाएं ताकि हम भी परमात्मा के प्रिय बन सकें।

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