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देहरादून: विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष्य में सम्मेलन आयोजित किया गया-मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक” ने किया संबोधित

विश्व ध्यान दिवस की सार्थकता ब्रह्माकुमारीज ही साकार कर सकती है – डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक”

देहरादून, उत्तराखंड। विश्व ध्यान दिवस पर ब्रह्माकुमारीज देहरादून ने ‘विश्व एकता एवं विश्वास हेतु ध्यान”विषय को लेकर एक विचार सम्मेलन आयोजित किया गया।ब्रह्माकुमार सुशील भाई के संचालन व राजयोगिनी बीके मंजू दीदी की अध्यक्षता में आयोजित इस विचार सम्मेलन की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई।

मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक” ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज अंतर्मन की यात्रा अनुभूति का अनुपम केंद्र है।“ जो ध्यान करता है वही ध्यान रख सकता है और ध्यान दे सकता है।”विश्व विद्यालय की महिमा करते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य को पतन से रोकने का सबसे बड़ा तंत्र-मंत्र-यंत्र यही ईश्वरीय विश्व विद्यालय है। कर्मयोग का मार्ग ही राजयोग तक जाता है। ध्यान आत्मा का परमात्मा से मिलन है, और इसी से आनंद की अनुभूति संभव है। उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां योगेश्वर है,अर्जुन धनुर्धर है,वही विजय होती है।योगेश्वर जहां ईश्वर है,वही अर्जुन कर्मयोगी है।
इन्ही से चेतना जन्मती है और आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है।

आदरणीय आचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज (अध्यक्ष, महर्षि पराशर ज्योतिष गुरुकुलं पीठाधीश्वर, नवग्रह शक्तिपीठ) ने कहा कि आत्म-साक्षात्कार का मार्ग ध्यान योग ही दिखा सकता है। ब्रह्माकुमारियों की महिमा करते हुए उन्होंने कहा—
“आप शिवबाबा को मानने वाले हैं, मुझे विश्वास है कि ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की संकल्पना इसी विश्व विद्यालय द्वारा साकार हो सकती है।”

आदरणीय ज्योतिषाचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी जी— जो मनोज्ञानी, वास्तु-विशेषज्ञ एवं राज्य सरकार के सलाहकार हैं—उन्होंने कहा कि ध्यान, धारणा और समाधि के द्वारा ही परम तत्त्व का अनुभव किया जा सकता है। पाँचों इंद्रियों को वश में करने हेतु त्याग और निरंतर परमात्म-स्मृति अनिवार्य है।
जिला बाल एवं महिला संरक्षण अधिकारी आदरणीया रमा रेटका जी ने कहा कि शारीरिक, मानसिक, धार्मिक एवं राजनीतिक—समस्त व्यथाओं में स्थिर रहने की क्षमता ध्यान से ही आती है। ध्यान कोई मंत्र नहीं, बल्कि मन और आत्मा की एकाग्रता है।

देहरादून सबज़ोन एवं सर्किल की मुख्य संचालिका आदरणीय राजयोगिनी बी.के. मंजू दीदी जी ने कहा कि ध्यान दिवस, मन को नियंत्रण में रखने, विचारों को सकारात्मक दिशा देने तथा मैं–मेरा भाव समाप्त करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने सभी को हर घंटे एक मिनट ध्यान करने का संकल्प करवाया।
हरिद्वार सेवाकेन्द्र प्रभारी आदरणीय राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मीना दीदी जी ने सरलता से ध्यान की विधि स्पष्ट करते हुए सभी को राजयोग का अभ्यास करवाया।

आदरणीय भ्राता राजयोगी बी.के. सुशील जी ने ध्यान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ध्यान का अर्थ है अंतर यात्रा—हम वास्तव में कौन हैं। मन को स्थिर करने, पुराने संस्कारों का परिवर्तन करने एवं परमात्मा से शक्तियाँ प्राप्त करने का श्रेष्ठ साधन ध्यान है। ध्यान के माध्यम से ही एकता एवं विश्वास की प्राप्ति संभव है।
कार्यक्रम में पधारे सभी विशिष्ट अतिथिगण का स्वागत बेज, शॉल एवं पटकों द्वारा किया गया। इसके उपरांत कुमारी आराध्या ने मनमोहक स्वागत-नृत्य प्रस्तुत किया।

बी.के. स्वाति एवं बी.के. अक्षिता द्वारा ध्यान-आधारित गीत प्रस्तुत किया गया। अंत में सभी अतिथियों को ईश्वरीय सौगात प्रदान की गईं।

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