हम बहुत सौभाग्यशाली हैं जो इस सृष्टि चक्र में स्वयं भगवान ने हमें चुना। भगवान की नज़र हम पर पड़ी और याद दिलाया बच्चे तुम ही सतयुग के मालिक थे। अब वो ही घड़ी ड्रामा के अंदर आ पहुँची। आप जो भी इन आँखों से देख रहे हैं वह सब परिवर्तन होगा। आप तैयार हो जाओ। स्वयं परमात्मा आपको दु:खों से छुड़ाकर, श्रेष्ठ श्रृंगार कर वापिस ले जायेंगे। ये सुहावना समय बाप और बच्चों के मिलन से सर्व कमी-कमज़ोरियों व पाप को दग्ध कर फिर से अपनी राजधानी में राज्य करना है। तैयार हो जाइए, इस समय का लाभ उठाइए।
ये विश्व एक सुन्दर ड्रामा है। हम सभी आत्माएं पार्ट बजा रही हैं। याद रखेंगे हम ड्रामा को यूज़ कैसे-कैसे करें जो हमारी स्थिति अचल-अडोल हो जाए, जो हमारा चित्त शांत हो जाए। तो ड्रामा में सबका भाग्य अपना-अपना है। ड्रामा में सबके कर्मों की कहानी अपनी-अपनी है। इस ड्रामा में जो भी जिसके साथ हो रहा है उसका जि़म्मेदार वो स्वयं ही है। बड़ा कष्ट होता है ना सबको, जब वो अपने प्रियजनों को कष्ट होते हुए देखते हैं और हमें ये तो पता नहीं होता कि इनके कर्मों की कहानी क्या है? और बिना विकर्मों के किसी को कष्ट नहीं मिलता।
कुछ बच्चे जन्म से ही दु:खी दिखाई देते हैं। जो मनुष्य का बचपन होता है खेलने, कूदने, हँसने, बहलने का, निश्चितंता का वो उनको है ही नहीं। जन्म लिया और लगता है कि किसी मानसिक डिफेक्ट से प्रभावित हैं ये आत्माएं। किसी के हर्ट में छेद है, किसी की आँखें गड़बड़ा रही हैं। किसी का ब्रेन डेवलप नहीं हुआ है। इन सबके पीछे मनुष्य के कर्म ही हैं। पाप कर्म कह सकते हैं हम। तो हमें इस ज्ञान को याद रखते हुए कि सबके कर्म ही जो कुछ भी उसके साथ हो रहा है उसके लिए जि़म्मेदार हैं। अपने को बहुत हल्का करना होगा। और अब मदद करनी होगी ऐसी आत्माओं की।
मान लो आपका बच्चा बचपन से ही किसी विशेष व्याधि से ग्रस्त है, वो सफर कर रहा है तो आपका ये कत्र्तव्य है कि आप उसे मदद करें। मेडिकली हो सके तो मेडिकली, नहीं तो स्पिरिचुअली। और स्पिरिचुअल पॉवर में और ज्ञान में बहुत बड़ी शक्ति है। जो बिगड़े हुए खेल को भी ठीक कर देती है। तो मदद करना, वायब्रेशन्स देना, उनके लिए योग अभ्यास करना ताकि उनके पूर्व के विकर्म नष्ट हों। दो हाथ मिलें। सब जानते हैं कि राजयोग के माध्यम से पास्ट के जो विकर्म हैं, पापकर्म हैं वो जलने लगते हैं। अगर आप एक अच्छा योग करते हैं, अच्छा माना एकाग्रता के साथ प्रारम्भ करेंगे तो सात दिन के बाद ही आपको उसका इफेक्ट दिखने लगेगा। और साथ में ये भी संकल्प कर दें कि जो इनको ये तकलीफ हो रही है, जो इनका पीछे विकर्म है वो इस योगबल से नष्ट हो जाए। तो योग की शक्ति उधर ही चलेगी, डायरेक्ट हो जाएगी। और वो विकर्म जैसे-जैसे नष्ट होगा वैसे-वैसे उसकी बीमारी में राहत मिलती रहेगी। तो ड्रामा का इस तरह हम यूज़ करेंगे।
ड्रामा का यूज़ के बारे में हम पहले भी चर्चा कर आये हैं कि हमें क्या, क्यों के क्वेश्चन से पार रहना है। सबको मिला हुआ पार्ट सब बजा रहे हैं। इसलिए यहाँ किसी का कोई दोष नहीं है। तो एक प्रैक्टिस करेंगे, नो क्वेश्चन। अच्छा चिंतन करके नो क्वेश्चन और नो कम्प्लेन की अच्छी अनुभूति कर लें। सब निर्दोष हैं वो तो उन्हें पार्ट मिला हुआ है। अगली बात जो बहुत गहरी है। ये ड्रामा पूरी तरह कल्याणकारी है। ड्रामा का हर सीन कल्याणकारी है। जबकि हमें दिखता है कि ये तो कल्याणकारी नहीं है। तो हम इसकी गुह्यता को समझते हुए चलें। क्योंकि किसी कर्म के कारण वो बुरा सीन आया है। कर्म हटते ही वो बुरा सीन भी लोप हो जाएगा। थोड़ी हमें वेट अवश्य करनी पड़ती है। लेकिन अपने-अपने ज्ञान-योग को बहुत अच्छा बढ़ाते चलना है। तो ये ड्रामा का हर सीन बहुत कल्याणकारी है। बहुत अच्छा चिंतन करेंगे।
मैं बहुत सारे उदाहरण दे सकता हूँ, आने वाले समय में बहुत खून बहेगा धरा पर लेकिन उसमें कल्याण क्या होगा, धरती फिर से उपजाऊ हो जाएगी। जो धरती अब फल नहीं दे रही है वो धरती फिर से इतनी उपजाऊ हो जाएगी कि सहज भाव से अन्न, फल प्रकृति की सब चीज़ मनुष्य को प्राप्त हुआ करेगी। देखो कपड़े तो बनेंगे ना बहुत सुन्दर देवताओं के। उन कपड़ों को बनाने के लिए किसानों के पास जो साधन होते हैं वो भी आएंगे। जिस तरह की खेती होती है वो भी होगी। कोई चीज़ फलों से, फूलों से निकलती है। कोई विशेष तरह के पौधों से निकलती है। धागे बनते हैं, कुछ कपास से बनते हैं। वो सब चीज़ें बड़ी सहज भाव से उगती रहेंगी। क्योंकि प्रकृति देवताओं की दासी होगी, सबकुछ प्रदान करेगी। तो हमें बहुत अच्छा चिंतन करना है और हमारे साथ जो कुछ भी होता है उसको इस नज़र से देखना है कि ये सब कल्याणकारी है। बहुत बुरा-बुरा भी होता है, मान लो एक्सीडेंट हो गया दो लोगों की मृत्यु हो गई तो सोचना भी मुश्किल है कि ये कल्याणकारी है। बोलने से तो नुकसान हो जाएगा। लेकिन उसके पीछे क्या कल्याण था, उन आत्माओं के कर्मों की गुह्य गति क्या काम कर रही थी जो उसी स्पॉट पर, उसी कारण से, उन्हीं साधनों से उसका एक्सीडेंट हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। ये चीज़ जब हम जानते जाएंगे तो हमारा मन बहुत निरसंकल्प होता जाएगा।
तो ड्रामा को ज़रा विशाल दृष्टि से देखें। हमने हीरो पार्ट बजाए हैं। सतयुग से पार्ट बजाते-बजाते मैं आत्मा कलियुग के अन्त में आ गई हूँ। अब मुझे घर वापिस चलना है। तो इस ड्रामा के कुछ और वंडरफुल सीन हमें देखने होंगे। महाविनाश होगा, महान परिवर्तन होगा। वो हमें देखना पड़ेगा लेकिन उसके बाद कल्याण ये होगा कि इस धरा पर स्वर्ग आ जाएगा। पाप आत्माएं, कलियुग की ये गंदगी सब नष्ट जाएंगी। तो हम इस ड्रामा को आदि से अंत तक देखा करें कि अब समय आया है, हमें सबकुछ छोड़कर वापिस चलना है।




