विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई दादी प्रकाशमणि की 15वीं पुण्यतिथि

0
254
देशभर से पहुंचे पांच हजार से अधिक लोगों ने अर्पित किए श्रद्धासुमन
– विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई गई दादी प्रकाशमणि की 15वीं पुण्यतिथि
– ब्रह्ममुहूर्त में 3 बजे से दादीजी की याद में की विशेष योग-तपस्या

आबू रोड,राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि की 15वीं पुण्यतिथि पर देशभर से आबू रोड शांतिवन पहुंचे पांच हजार से अधिक लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। दादी प्रकाशमणि की 15वीं पुण्य तिथि विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में दादी की पुण्यतिथि संस्थान के भारत सहित विश्वभर के सेवाकेंद्रों पर मनाई गई। कार्यक्रम में प्रात: काल ध्यान-सााधना के बाद दादी के समाधि स्थल प्रकाश स्तम्भ पर संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी, महासचिव बीके निर्वेर, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करूणा, संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, अमेरिका से आयी डॉ हंसा रावल समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किये। इस मौके पर गांव से लेकर शहरों में भोग लगाया गया और ब्रह्माभोजन आयोजित किया गया। सबसे पहले संस्थान की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने श्रद्धासुमन अर्पित कर दादीजी के संग के अपने अनुभव सांझा किए।  
इस मौके पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए दादीजी की निजी सचिव रहीं व ब्रह्माकुमारीज  की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी ने कहा कि दादी जी की शिक्षाओं और प्रेरणाओं से आज इतने बड़े ईश्वरीय परिवार का कुशल संचालन कर पाती हूं। दादीजी के जीवन की तीन मुख्य शिक्षाएं थीं- निमित्त, निर्माण और निर्मल वाणी जिसे अपने जीवन में फॉलो करने के साथ बीके भाई-बहनों के जीवन में धारण करा सकूं। 
संस्थान के महासचिव बीके निर्वैर ने दादी के संग के अनुभव बताते हुए कहा कि दादी भाई-बहनों को अपना परिवार का सदस्य मानते हुए उसी तरह संभाल करतीं थीं। उनका सरल व्यवहार, मधुर वाणी और निमित्त भाव ही था कि वह एक-एक भाई-बहन से हालचाल पूछतीं और उनके साथ भोजन करती थीं। वह त्याग और ममता की मूरत थीं। आप वसुधैव कुटुम्बकम् की जीती जागतीं मिशाल थीं। कार्यक्रम में संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि दादी का जीवन हमेशा ही दूसरों के लिए रहा। इसलिए वे हर किसी की दादी थी। मीडिया निदेशक बीके करुणा ने कहा कि जब मैं पहली बार दादीजी के पास मुंबई गया तो दादीजी ने स्वयं भोजन बनाकर खिलाया था। तब मुझे आश्चर्य हुआ कि इतनी जिम्मेदारी संभालने हुए दादीजी के अंदर कोई अभिमान नहीं था। 
सभी को आगे बढ़ाती थीं दादी-सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक लगा रहा तांता-

दादीजी को श्रद्धांजली देने के लिए भाई-बहनों का सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक तांता लगा रहा। इस दौरान सभी ने दादीजी को योग और पुष्पों से श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम के समापन पर विशेष भोग लगाया गया  और ब्रह्माभोजन का आयोजन किया गया। इस मौके पर बीके शशि, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, ओआरसी दिल्ली की निदेशिका बीके आशा, बीके ऊषा, बीके गीता, बीके हंसा, बीके नीलू सहित देशभर से पहुंचीं वरिष्ठ ब्रह्माकुमारी बहनें मौजूद रहीं।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें