मन की बातें

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प्रश्न : मेरा नाम विशाल है। मुझे ब्रह्माकुमारीज़ में जाते हुए 2 साल हुए हैं। मैं जो भी चाहता हूँ वो मुझे कभी भी मिल नहीं पाता। मैं ऐसा क्या करूँ कि जो चीज़ मुझे चाहिए वो मुझे प्राप्त हो?
उत्तर : मनुष्यों की इच्छाओं की एक सीमा होती है और होनी भी चाहिए। अगर मनुष्य हवाई किले बनाता रहे, और वो सोचता रहे सारे संसार पर मैं राज करने लगूँ तो ये तो शायद सम्भव नहीं होगा। लेकिन छोटी-मोटी इच्छा, छोटी-मोटी सफलता जो रोज के जीवन में चाहिए वो भले। मैं आपको कहूँगा कि आपको अपने को थोड़ा समय देना चाहिए। ईश्वरीय महावाक्य का एक बहुत बड़ा सिक्रेट(गुप्त) है वो सुना देना चाहता हूँ कि भगवान ने कहा है कि जो आत्मायें अपने को सदा मास्टर सर्वशक्तिवान समझते हैं यानी अवेयरनेस में रहते हैं, इस कॉन्शियसनेस में रहते हैं वो संकल्प से ही जो चाहे कर सकते हैं। तो ये बहुत सुन्दर आपके प्रश्न का समाधान है। आपको ये अवेयरनेस, ये अभ्यास बहुत बढ़ाना चाहिए। मैं सर्वशक्तिवान की संतान हूँ इसको अपनी फीलिंग में इतना ज्य़ादा ले आयें कि इसके सिवाए आपके और कोई संकल्प न रह जायें। इसको सिद्ध करना है आपको। इसके लिए मैं आपको एक छोटी-सी विधि बताऊंगा 3 मास के लिए। इसके लिए आप रोज 108 बार एक बहुत ही अच्छी फीलिंग के साथ अभ्यास करें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तो आपकी जो संकल्प शक्ति है वो आपको सफलता की ओर ले जायेगी।
कई पूछते हैं कि लिख कर करें या कैसे करना है। वैसे तो लिखने की आवश्यकता नहीं होती। बहुत अच्छी फीलिंग करें, स्वीकार करें कि परमात्म शक्तियां मेरे पास हैं। मैं ईश्वरीय शक्तियों से भरपूर हूँ इसलिए मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। मेरे अंग-अंग से शक्तियों की किरणें फैल रही हैं। लेकिन अगर मान लो आपसे नहीं होता है, मन भटक जाता है तो आप कुछ दिन के लिए सुबह आँख खुलते ही बैठकर 108 बार लिखें। ये दूसरी विधि अपना लें कि उठते ही 7 बार अभ्यास करें कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। फिर शांत बैठें 108 बार लिखें क्योंकि सुबह सब्कॉन्शियस माइंड जाग्रत रहता है। तो जब आप बार-बार सोचेंगे कि मैैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ तो आपकी शक्तियां इमर्ज होती जायेंगी, एक्टिव होती जायेंगी तब आपको संकल्पों की सिद्धि प्राप्त होगी।


प्रश्न : मैं ज्ञान में दो साल से हूँ और रोज मुरली भी सुनती हूँ लेकिन योग सही तरह से न लगने के कारण कोई परिवर्तन नहीं आ पा रहा और मेरे मन में बहुत डरावने विचार आते रहते हैं, बहुत व्यर्थ विचार आते रहते हैं ये टेंशन होता रहता है कि कहीं मेरे बच्चों के साथ कुछ न हो जाये। मैं रोकना चाहती हूँ लेकिन फिर भी वो रूक नहीं पाते हैं। ऐसे में मेरा योग भी नहीं लग रहा है। मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर : योग अच्छा नहीं होगा तो जीवन भी बदलेगा नहीं और निगेटिव संकल्प भी चेंज नहीं होंगे। लेकिन जब हम राजयोग की प्रैक्टिस करते हैं तो हमें राजयोग का बहुत अच्छा सुख मिलता है। ये सुख हमारी कई चीज़ों को समाप्त कर देता है। एक बार मनुष्य 15 मिनट के लिए इस ईश्वरीय आनंद में आ जाता है तो मैं कह सकता हूँ बहुतों के अनुभव से कम से कम दो घंटे उसका मन बहुत अच्छी फीलिंग में रहेगा। उसके मन में बुरे विचार आयेंगे ही नहीं। न डर आयेगा और न निगेटिविटी आयेगी। इसलिए आपकी पहली जो आवश्यकता है कि आपका योग अच्छा लगे, एकाग्रता अच्छी हो जाये। एक तो आपको सवेरे जल्दी उठना चाहिए। अगर उठकर भी आपका योग न लगे तो आपको शांत में बैठकर लिखना चाहिए 108 बार मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, निर्भय हूँ तो आपके अन्दर जो भय पैदा हो रहा है तो क्या होगा चाहे खुद के लिए,चाहे बच्चों के लिए उससे आप तेजी से मुक्त होती जायेंगी और फिर 7 बार आप ऐसा संकल्प अवश्य करें मैं श्रेष्ठ योगी हूँ, स्थिर बुद्धि हूँ, तो सब्कॉन्शियस माइंड इसे स्वीकार कर लेगा। तो बुद्धि का भटकना धीरे-धीरे कम होगा और आप जो सवेरे लिखेंगी 108 बार इससे आपकी बुद्धि में काफी स्थिरता आ जायेगी। सोने से पहले भी आप लिख लें कि मैं एक महान आत्मा हूँ, तो सारे दिन का निगेटिव इफेक्ट जो मन पर आया होगा वो भी उतर जायेगा और नींद भी बहुत अच्छी आयेगी। तीसरी बात आपको योग की एक परोपर विधि जाननी आवश्यक है। मैं आपको बहुत छोटी-छोटी ड्रिल बता देता हूँ पहले सात दिन तक आप हर घंटे में तीन बार ये अभ्यास करें कि मैं आत्मा यहाँ(भृकुटी) में हूँ, चमकता हुआ सितारा हूँ, ऐसे अपने को देखना है। मैं बहुत तेजस्वी हूँ और संकल्प देना है प्युअर आत्मा हूँ, मैं आत्मा शांत स्वरूप आत्मा हँू, बस दस सेकण्ड-बीस सेकण्ड एक बार में। हर घंटे में तीन बार। उसके बाद ये दूसरा अभ्यास करें कि मैं आत्मा यहाँ से उड़कर जाती हूँ परमधाम और जैसे शिवबाबा के पास जाकर बैठ जाती हूँ, उसको देखें। कुछ सेकण्ड के बाद मैं वापस नीचे आ रही हूँ फिर भृकुटी पर बैठ जाती हूँ। एक मिनट में ये एक राउंड करें। ऐसा दस बार कर लें। अगर आप ये सब दृढ़ता से कर लें तो आपका योगाभ्यास बहुत अच्छा होगा और आपकी एक अच्छी एकाग्रता हो जायेगी और मन शांत रहने लगेगा। लेकिन हमारे पास ज्ञान का भंडार है ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तकें बनी हुई हैं वो आप ले लें। और रोज ऐसे ही 10-10 मिनट उनकी स्टडी करें तो नये विचारों के कारण पुराने विचार समाप्त हो जायेंगे।

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