मूड ऑफ माना बाबा से मुख मोडऩा

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तुम कुमार नहीं, सजनियां हो। क्या मैं शिव साजन को पसन्द नहीं, या वह मुझे पसन्द नहीं जो दूसरे को पसन्द कराते! बाबा कहे जैसे हो वैसे हो मेरे हो। जब उसने मेरा कहा फिर हम दूसरे का क्यों बनें!

गुस्से की आग खुद को जलाती, क्रक्रजो बनता निर्मान वह सबका पाता मानञ्जञ्ज जो निर्मान नहीं वह जग में मान पा नहीं सकता। दोनों हाथ जोड़कर सिर झुकाना यह भी नम्रता है। दो हाथ बांधते माना आवाज़ नहीं करना, शांति से रहना है। सिर झुकाना नम्रता की निशानी है। हरेक की दुआ लेने का साधन है निर्मान बनो। जो निर्मान होते हैं उनके लिए दिल से सबकी दुआयें निकलती हैं। जब कोई दुआ देता तो सिर पर हाथ होता है, अगर आप विश्व की दुआयें लेने चाहते हो तो अपने को निर्मान बनाओ। फिर बाबा की भी अथाह दुआयें मिलेंगी। रुहानी दृष्टि से देखो, देह की दृष्टि से नहीं तो दुआ मिलेगी। मैं कहती हूँ – ओ मेरे चैतन्य देवतायें- अगर मेरी कोई भूल है तो क्रक्रसॉरीञ्जञ्ज। अगर मैंने ”सॉरी” की तो दुआयें मिल जायेंगी। जिसके सिर पर दुआ नहीं उसके सिर पर रावण है। एक-एक की दुआ लो तो बाबा की दुआयें रहेंगी, रावण भाग जायेगा।
मेरा सदैव हँसता हुआ मूड रहे- मैं बाबा को देखूं तो मुस्कुराऊं। श्रीकृष्ण को देखो मुस्कुराता है तो प्यारा लगता है। अगर जोश वाला होता तो क्या प्यारा लगता? मुस्कुराते हुए चेहरे वालों के चित्रों को हरेक गले से लगाते। परन्तु अगर मूडी होते, मूड ऑफ करते तो सीता का मुँह रावण की तरफ हो जाता, मूड ऑफ माना रावण। मूड ऑफ माना मूढ़मती। मूड ऑफ माना बाबा से मुख मोडऩा। यह सब चिन्ह हैं अपने को निर्बल बनाने के।
बाबा को कहते हैं परमपिता, परम अर्थात् ऊंचा परमधाम निवासी, तो हम परमधाम के निवासी, परमपिता के प्यारे बच्चे हैं इसलिए इस दुनिया से परे रहो। हरेक बात हमारी दुनिया से न्यारी है। हमें तो पवित्रता का झण्डा लहराना है, जिसको दुनिया असम्भव कहे, न माने उसे सम्भव कर दिखाना है। तुम कुमार नहीं, सजनियां हो। क्या मैं शिव साजन को पसन्द नहीं, या वह मुझे पसन्द नहीं जो दूसरे को पसन्द कराते। बाबा कहे जैसे हो वैसे हो मेरे हो। जब उसने मेरा कहा फिर हम दूसरे का क्यों बनें!
हम योग द्वारा वायब्रेशन, वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले हैं। बाबा से जितनी शक्ति लेना चाहो लो, रावण को मु_ी में बांध दो, अगर उसे फ्रीडम दी तो वह घर में घुस जायेगा। टेस्ट करो प्यारे बाबा को, उनके रसों को, दुनिया को टेस्ट करने की इच्छा नहीं रखो।
हम बाबा के योगी बच्चे हैं। योगी को देखना, योगी का व्यवहार सब सिम्पल और शीतल होता, ऐसे शीतल बनो तो अन्तर्मुखी बन जायेंगे। योगी की नींद नॉर्मल होती, शरीर को 5-6 घण्टे आराम देना ज़रूरी है, उससे ज्य़ादा नींद सुस्ती की निशानी है।
अपने पुरुषार्थ से कभी हार्टफेल नहीं होना, नाउम्मीद भी नहीं होना। अगर हम सच्ची दिल से मेहनत कर रहे हैं तो मेरी सफलता की माक्र्स नोट हैं। अगर मेरे दिल की सच्ची भावनायें हैं तो सफलता ज़रूर होगी। बाबा की याद में चलते जाओ, पुरुषार्थ की नींव पक्की रखो तो सब बातें समाप्त हो जायेंगी। अपने को वानप्रस्थी समझो तो सब संस्कार निर्बल हो जायेंगे। बाबा से शक्ति लेकर बलवान बनो। ईश्वरीय मर्यादाओं की रक्षा करो- यही है ब्राह्मणों की राखी। जितना हम ईश्वरीय मर्यादाओं की रक्षा करते उतना रक्षक हमारी रक्षा करता है। लडऩा, झगडऩा, रोना, रूसना, चोरी करना, झूठ बोलना, जि़द्द करना, अपनी मत चलाना… यह सब भोगियों की चाल है, योगियों की नहीं। कोई जि़द्द करता है तो वह ब्राह्मण नहीं शूद्र है।

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