हर प्राणी पशु, पक्षी व पांचों तत्व भी प्रेम की भाषा समझते हैं। बस! उससे सही तरीके से व नि:स्वार्थ प्रेम से बातें की जाये तो उन पर असर पड़ता है। हमने परमात्म प्रेम के साथ सानिध्य स्थापित कर उन सब से उसी भावना से बातें की तो रिज़ल्ट बहुत ही सराहनीय व अद्भुत पाया। आप भी इस अनुभव को इसी रूप से अपनायेंगे मेरा विश्वास है, उनका जादू कभी व्यर्थ नहीं जायेगा। आप भी करके देखिए।
आज आधुनिकता के कारण जो जंगल कटाई हो रही है उससे किसानों को जो बड़ा नुकसान भुगतना पड़ रहा है वह यह है कि जंगली जानवर अन्न की खोज में गांव में आकर खेती में बड़ा नुकसान कर रहे हैं। उन पर रोकथाम करने के कितने उपाय किए जाते हैं लेकिन वो सब जब नाकामयाब होते हैं तब भगवान को पुकारने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते लेकिन आज मुझे बड़ी खुशी है कि ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में सिखाई जाने वाली शाश्वत यौगिक खेती पद्धति में इसका निश्चित उपाय मुझे मिल गया है। मैंने कैसे जंगली सुअरों से अपनी खेती को बचाया उसका अनुभव आपके सामने प्रस्तुत करती हूँ।
हमारी धान(चावल) की खेती नदी किनारे कीचड़ वाली ज़मीन पर है। वैसे तो ऐसी दलदल वाली ज़मीन पर खेती करना नामुमकिन है पर यौगिक खेती की ट्रेनिंग में मैंने जाना कि हमारे मस्तक में जो बिन्दु स्वरूप आत्मशक्ति है उसे जानकर उस दिव्य ज्योति स्वरूप परमात्मा पिता को जो सारे विश्व का रचयिता है, सर्वशक्तिमान है, उसे दिल से, प्रेम से याद करते हैं तो वह हमें ज़रूर मदद करते हैं। हमारी अच्छी भावना का फल ज़रूर देते हैं। साथ-साथ यह भी जाना कि इस सृष्टि पर पांच तत्व या प्रकृति से बने हर जीव जैसे पशु, पंछी, पेड़-पौधे, सभी इन भावनाओं को ग्रहण करते हैं। और जैसी भावना वैसा व्यवहार वह भी हमारे साथ करते हैं।
हमारी फसल 8-10 दिन में कटने वाली थी, सोचा चलो बेटी के घर 5 दिन रहकर उनके पूरे परिवार को राजयोग के बारे में समझाएं, अभी 4 ही दिन हुए नहीं कि बहू का फोन आया कि माँ जी जल्दी घर वापिस आइए। मैंने उनसे कारण पूछा तो बोली कि पता नहीं कहाँ से जंगली सुअर खेती में आ गये हैं और आधी से अधिक खेती तो खा कर बर्बाद कर दी है। मैंने वहीं से खेती काटने के लिए मेरे गाँव की महिला किसानों को फोन कर खेती में बुलाया। मैं भी अपने घर पहुंची। मेरे दोनों बेटे और दोनों बहुएं सभी खेती में उतरे। अंधेरा होने तक कटाई की पर फिर भी एक चौथाई हिस्सा काटने से रह गया और जो कटा था उसे प्लास्टिक और रस्सी से अच्छी तरह बांध दिया ताकि रात को सुअर यह धान खा न जाएं। तभी बहू बोली कि देखो उस तरफ जो जंगली पौधे हैं उसमें वह सुअर अभी भी हैं। उनकी आँखें अंधेरे में चमक रही हैं। अब बची हुई खेती तो गई की गई सवेरे कुछ नहीं मिलने वाला।
सर्वोच्च शक्ति के स्रोत परमात्मा के साथ एकाग्र करें
मैंने कोई जवाब नहीं दिया। बस जल्दी से घर आकर स्नान कर अपने बिस्तर पर बैठ मन को एकाग्र कर अपने बिंदु स्वरूप आत्मशक्ति की स्मृति से उस परम शक्ति बिंदु स्वरूप परमात्मा पिता की याद में बैठ गई। और मन में ये संकल्प करने लगी कि मैं एक बिंदु स्वरूप आत्मा इस देह को चलाने वाली चैतन्य शक्ति हूँ… स्वयं भगवान परमात्मा शिव मेरे पिता टीचर और सद्गुरु हैं… मैं भगवान का बच्चा बहुत महान हूँ… विशेष हूँ… शक्तिशाली हूँ… भगवान मेरा साथी हमेशा मेरे साथ है… हर मुश्किल को सहज बनाने वाला है… अभी मैं चांद… सूरज… आकाश… से भी ऊपर परमधाम में लाल प्रकाशमय, शांति की दुनिया में जा पहुंची हूँ… यही मेरा असली घर है… यहाँ चारों तरफ शांति ही शांति है… मेरे परमात्मा शिव भी यहीं निवास करते हैं…
परमधाम में मेरे पहुंचते ही मेरे ऊपर बाबा के स्नेह-प्यार की वर्षा हो रही है… मैं अपने आप उनकी तरफ खींचती जा रही हूँ… मैं बिल्कुल उनके साथ कम्बाइंड स्वरूप में हूँ… उनके द्वारा शांति-शक्ति की किरणें मेरे अंदर भर रही हैं… शक्तियों से सम्पन्न बन अब मैं आत्मा फिर से नीचे इस दुनिया में अपने शरीर में मस्तक के बीच प्रवेश करती हूँ… अब मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ…
अब ऐसे सर्व प्राणी मात्र व तत्वों पर इसका प्रयोग करें
मैं अपनी खेती को मन-बुद्धि से सामने देख रही हूँ कि कुछ सुअर खेती में हैं… मैं उन पर रहम की दृष्टि डाल रही हूँ… बड़े प्रेम से उन्हें निहार रही हूँ… वह अब मुझे देख रहे हैं… अब संकल्प से ही मैंने उनके साथ बोलना शुरु किया… वह बड़े ध्यान से मेरे संकल्पों को समझ रहे हैं… मैंने उनसे कहा देखो आपने मेरी आधे से अधिक खेती खा ली है पर मुझे कोई गिला-शिकवा नहीं है… मैं जानती हूँ कि जंगलों को काटने की वजह से आप नदी में बहते-बहते अन्न की खोज में हमारी खेती में पहुंच गए। मुझे तो आप पर दया आती है। आज सरकार ने कितना भयानक कायदा पास किया है कि खेती में सुअर देखते ही उनको मार डालो। और सचमुच है आपको कितनी निर्दयता से मारा जा रहा है। मैंने उन सुअरों को एक चित्र दिखाया कि एक सुअर कैसे तड़प-तड़प कर उनके आगे मर रहा है। वह सारे सुअर भयभीत होकर देख रहे हैं। मैंने कहा देखो अब आप कोई भी चिंता न करें,स्वयं भगवान आपको और हम सभी को दु:खों से छुडाऩे के लिए आए हैं। देखो भगवान की किरणें आप पर पड़ रही हैं… उन सुअरों के ऊपर एक चमकती हुई लाइट को मैंने देखना शुरू किया… अब मैंने कहा देखिए हम इंसान जो गलती कर रहे हैं उसके लिए हमें माफ कीजिए लेकिन हमने भी यहाँ पर इस खेती में अन्न प्राप्ति के लिए बहुत मेहनत की है। यह खेती हमने विशेष परमात्मा को प्रत्यक्ष करने के लिए की है और हम भी यही चावल खाते हैं क्योंकि यह शुद्ध, शक्तिशाली अन्न है। इस अन्न को ग्रहण करने से रोग-बीमारी दूर होते हैं। मन को शांति मिलती है। कृपया बची हुई खेती आप हमारे लिए छोड़ दें और आप कहीं भी जाइए भगवान आपकी मदद ज़रूर करेंगे। फिर मैं निश्चिंत होकर सो गई।
सवेरे जब मैं और मेरी बहू खेती देखने के लिए गये तो देखा की बची हुई खेती वैसी की वैसी थी। एक भी सुअर खेती में नहीं आया। ये है प्रेम की भावना का जादू! मैंने दिल से भगवान को और उन सुअरों को भी धन्यवाद दिया। इस तरह खेती में हर मुश्किलों में भगवान से मदद लेने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय में जो विधि सिखाई जाती है वह सीखकर खेती को, खुद को व परिवार को सम्पन्न बनाकर समाज को भी खुशहाल बनाइए।
ब्र.कु. दर्शना बहन,मापुसा,उस्कई गोवा