मीडिया समझौता नहीं समझदारी है

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आज हम एक ऐसे मीडिया की कहानी आपको सुनाते हैं जो स्वास्थपरक भी है, मन को भी भायेगी, मन को मनोरंजन भी देगी और आपको वो सुख देगी जो हमने सपने में भी नहीं सोचा होगा, वो है यज्ञ के प्रथम पुरुष, प्रथम मीडिया प्रजापिता ब्रह्मा बाबा, जिसकी कहानी सुनने के बाद लगता है कि परमात्मा ने इनको ही मीडिया(माध्यम) क्यों बनाया! हमारे इस प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की नींव का आधार दृढ़ता और श्रेष्ठ संकल्प की शक्ति है। तो आज जब हम इस विशाल यज्ञ के प्रांगण को देख रहे हैं, कि कैसे बना होगा ये! अगर आप ब्रह्मा बाबा की कहानी सुनेंगे तो ब्रह्मा बाबा ने कितना सहन किया। जब इस संस्था का आरंभ हुआ इतना सहन किया,इतना सहन किया लेकिन सत्य के रास्ते पर, सही मार्ग पर कोम्प्रोमाईज़(समझौता) नहीं किया। उस एक आत्मा की दृढ़ता की शक्ति की वजह से आज हम सारे विश्व में फैल चुके हैं। सिर्फ एक आत्मा की शक्ति की वजह से। वो आत्मा अगर कहती कि नहीं मैं अकेला क्या कर सकता हूँ! बाकी सब तो कोई मुझे सपोर्ट(सहयोग) नहीं कर रहे हैं। तो वो आज न उसे कर पाते, न आज हम सब अपना जीवन संवार पाते। हमेशा परिवर्तन एक से ही शुरु होता है। और जो एक उस परिवर्तन के निमित्त बनता है वो अनेकों की दुआयें कमाने के पात्र बन जाता है। हम कितना धन कमाते हैं उससे ज्य़ादा ज़रूरी होता है कि हम कैसे धन कमाते हैं। उसमें लोगों की कौन-सी एनर्जी लगी हुई है। तो हमें यह पक्का करना है कि मेरी सेवा अर्थात् मेरा जो रोल है वो भारत देश का संस्कार ला रहा है और संस्कार से भारत देश का संसार बन रहा है। अगर मैं एक आत्मा परिवर्तन कर लूँ तो मेरे परिवर्तन से देश का परिवर्तन प्रारम्भ हो चुका है। मुझे यह नहीं सोचना कि बाकी सब मेरा कितना मज़ाक उड़ाते हैं या मेरी कितनी निंदा करते हैं। मुझे सिर्फ यह चेक करना है। मुझ एक का कर्म श्रेष्ठ होना चाहिए, सबको सुख देने वाला होना चाहिए, देश और विश्व के कल्याण के लिए होना चाहिए। अगर मेरा वो इंटेंशन(इरादा) होगा, जब मेरा वो कर्म होगा तो मेरा तो कल्याण समाया हुआ ही है उसमें, लेकिन उसमें करोड़ों लोगों का कल्याण भी समाया हुआ है। ऐसी शक्तिशाली आत्मायें हो कि आपका एक श्रेष्ठ कर्म देश का भाग्य बदलता है। तो अपने कर्मों पर हम थोड़ा-सा अटेन्शन रखेंगे। जो सब कर रहे हैं हम वो नहीं करेंगे, जो सही है वो करेंगे। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हमेशा यह सोचना कि परमात्मा आप मेरे साथ हैं।
परमात्मा कहते हैं कि हिम्मत आपकी, अटेन्शन आपका, हिम्मत का एक कदम आप रखिये पदम गुणा मदद मेरी पक्की है। यह परमात्मा का वायदा है। हमें बस वो हिम्मत का एक कदम रखना है क्योंकि मीडिया मन का मनोरंजन करने वाला है। मीडिया ही सब कुछ करने वाला है। तो मीडिया जिम्मेवार भी है इस जि़म्मेवारी को पक्का करते हुए, इस लक्ष्य को रखते हुए कि हमारे शब्दों में, भाषा में सिर्फ सम्मान ही नहीं श्रेष्ठता भी हो तो हमारे शब्दों से, इन संस्कारों से हमारे वायब्रेशन से हमें स्वर्णिम भारत लाना ही लाना है। यह हमारा खुद से, देश से और परमात्मा से वायदा है।

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