मन की बातें

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प्रश्न : मेरा नाम चिन्मयी है। मैं 38 वर्ष की हूँ। मेरी कोई संतान नहीं है। मेरे पास एक बाल गोपाल है मतलब कृष्ण की मूर्ति है। मैं उसे अपना बच्चा मानती हूँ। कुछ बोलते हैं कि बाल गोपाल होने की वजह से मेरा कोई बच्चा नहीं हो रहा है। क्या ये सच है? डॉक्टर्स को भी दिखाया तो वो भी कुछ कहते नहीं हैं। एक महीने से मैं रोज़ राजयोग का अभ्यास कर रही हूँ। मुझे इस स्थिति को थोड़ा-सा स्पष्ट करके बतायें।
उत्तर : बाल गोपाल घर पर रखने से, उसे अपना बच्चा मानने से बच्चा नहीं हो रहा है ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है। बच्चा नहीं हो रहा है ये कोई शारीरिक कारण भी हो सकता है। आजकल मेडिकल बहुत आगे जा चुकी है। असम्भव को सम्भव कर देती है। जो करना उचित हो वो तो आपको करना ही चाहिए, लेकिन आप बाल गोपाल को अपना बच्चा मानती हैं ये भी सुन्दर बात है। अभी आप एक मास से राजयोग का अभ्यास कर रही हैं तो आप अच्छे से समझ ही गयी होंगी कि हमें भगवान से ही सारे सम्बन्ध जोडऩे हैं। वो हमारा सखा भी है, प्रियतम भी है, परमपिता भी है, परमशिक्षक, परमसद्गुरु भी है, वो सच्चा मित्र भी है, खुदा दोस्त भी है। जो भी नाता हम उससे जोडऩा चाहें वो नाता हम जोड़ सकते हैं। इसलिए अपने परमपिता को जो निराकार सत्ता है राजयोग में सिखाया जाता है उसको ही अपना बच्चा बना लें। और भगवान जिसका बच्चा बन जाये तो उसका जीवन तो आनंद से भर जायेगा। और वो ऐसा बच्चा है जो सदा साथ देगा। ऐसे बहुतों के अनुभव हो चुके हैं। वो मुक्तिधाम में भी ले जायेगा और जीवनमुक्तिधाम में भी। हम मानते हैं कि एक माँ के लिए उसका बच्चा होने की खुशी क्या होती है। उसके लिए वो ही सबकुछ होता है। अगर वो भी हो तो बहुत अच्छा और न हो तो भगवान को ही अपना बच्चा बना लें तो वो ही सब सुख प्रदान करने लगता है।

प्रश्न : मैं एक कुमार हूँ और मन खाली-सा रहता है। इस कारण से उमंग-उत्साह कम रहता है। मन बाबा के सिवाए कहीं ओर न लगे हमेशा उन्हीं के साथ रहूँ, हमेशा कम्बाइंड रहूँ इसके लिए मैं क्या पुरुषार्थ करूँ?
उत्तर : ये कुमार और कुमारियों को ये खालीपन और अकेलापन भासता अवश्य है और इसका बिल्कुल सूक्ष्म कारण जाना जाये तो ये होती है अन्दर की सूक्ष्म इम्प्युरिटी(अपवित्रता)। ये जो एज होती है मनुष्य के युवाकाल की,इसमें वासनायें भी फुल फोर्स से काम करती हैं। और जब वो तृप्त नहीं होती तो मनुष्य को खालीपन लगता है। किसी को डिप्रेशन में ले जाती है, किसी को अकेलेपन की फीलिंग होती है। किसी को खुशी नहीं होती। सबकुछ तो अच्छा है, कोई कारण ही नहीं है पर मन प्रसन्न नहीं है ऐसी फीलिंग युवाकाल में हार्मोनल चेंजेस होने के कारण कुछ लोगों को होती है। ऐसे में आप ईश्वरीय महावाक्यों का अध्ययन करके चिंतन कर लिखना प्रारम्भ करें। जैसे खुश रहने के बीस प्वाइंट्स। शक्तिशाली बनने की दस प्वाइंट्स, अपने जीवन को स्पिरिचुअलिटी से भरने के लिए दस सिद्धांत। तो आपको बहुत ज़रूरत है ज्ञान चिंतन की। ईश्वरीय ज्ञान में मुझे क्या-क्या मिला। इस संगमयुग पर मैंने क्या-क्या देखा तो इससे मन आनंदित रहेगा। ज़रूरत इस चीज़ की होती है युवकों को कि वो ज्ञान का चिंतन करें इससे मन आनंदित रहेगा। आनंद खुशी से भी बहुत बड़ी चीज़ है और ये खालीपन आपका सदा के लिए समाप्त हो जायेगा। अगर आध्यात्मिक मार्ग में न हो तो ये मार्ग कहीं न कहीं कठिन प्रतीत होता है।

प्रश्न : मैं 28 साल का एक कुमार हूँ। हम दो भाई मिलकर तीव्र पुरुषार्थ का प्लैन तो बहुत बनाते हैं लेकिन प्रैक्टिकल में ला नहीं पाते। अमृतवेला हमारा रोज़ मिस होता है। मुरली मैं रोज सुनता हूँ लेकिन मैं उसका रस नहीं ले पाता हूँ। कृपया कुछ समाधान बतायें।
उत्तर: हमारे जो पुरुषार्थ के प्लान हैं उसके लिए एक शब्द याद रखेंगे सिम्पल एंड प्रैक्टिकल। हम ऐसा प्लान न बनायें जो दो ही दिन किया जाये। हम ऐसा सिम्पल और छोटा-सा प्लान बनायें जो लम्बे काल तक चले। मुरली सुनने के कई अच्छे तरीके हैं। मुरली को एंजॉय करने का एक तो पहला तरीका ये अपना लें कि स्वयं भगवान मुझ आत्मा से बातें कर रहा है। मुझे कुछ स्मृतियां दिला रहा है। मुझे कुछ कह रहा है। मेरी सोई शक्तियों को जगा रहा है। मेरी सोई हुई चेतना को जागृत कर रहा है। ये साथ-साथ फील करें और अपने को उस जागृति में लाते रहें। इससे सवेरे का महावाक्य सुनने का जो समय है ये सचमुच हमारे लिए एक वरदान बन जायेगा। और जो एनर्जी आपको इससे मिलेगी वो सारा दिन चलेगी। दूसरी बात आपको मुरली के अच्छे-अच्छे प्वाइंट्स लिख लेने चाहिए। चाहे आप ऐसा करें कि मुरली ध्यान ये सुनें और मुरली के बाद 15 मिनट निकालकर आप उसका सार लिखें कि आज मुरली में शिव बाबा ने क्या कहा? तो इस अटेंशन से जब आप मुरली सुनेंगे तो मुरली आपके लिए एक बहुत सुन्दर रस बन जायेगी। ज्ञान का चिंतन आपको शक्ति प्रदान करने लग जायेगा। इससे आपकी मेमोरी पॉवर भी अच्छी बढ़ेगी। और आप सारा दिन उमंग-उत्साह में रहेंगे। हम तीव्र पुरुषार्थ के प्लान बनाने की बात कर रहे थे तो जैसा हम सप्ताह का पुरुषार्थ सबको भेजते हैं तो ऐसा एक थ्री प्लान आप लोगों को सप्ताह के लिए या पंद्रह दिन के लिए बना लेना चाहिए। ये नहीं कि मैं अभी आठ घंटे योग कर लूंगा। ऐसा नहीं मुझे अपने योग का चार्ट सारे दिन में दो घंटे करना है। मुझे आज पांच बार सभी को आत्मिक दृष्टि से देखना है। आज मुझे स्वमान का ये अभ्यास दस बार करना है। और रात को अपने को माक्र्स दे दिया जाये कि 100 में से मैं अपने को इतने माक्र्स देता हूँ। पंद्रह दिन के बाद फिर चेंज कर दें। नई-नई प्वाइंट्स मिलती रहेंगी। तो एक सिम्पल और प्रैक्टिकल प्लान बनायें। ये भी न सोचें कि मुझे 2 बजे उठना है बाबा ने कहा है कि जो महायोगी हैं वो तो 2 बजे उठते हैं। आप चार बजे ही उठें। क्योंकि युवकों को अच्छी नींद की भी ज़रूरत होती है।

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