ये संकल्प बदल देंगे आपका जीवन

0
708

जीवन में सदा खुश रहने के लिए मन को सिर्फ ये सिखाना है कि ‘मैं खुश हूँ’… जितना बोलते जाएंगे, हमारी खुशी बढ़ती जाएगी। जि़ंदगी में परिवर्तन लाने के लिए हमें सात संकल्प हर दिन करने हैं। जिस प्रकार मकान बनाने के लिए मजबूत नींव डालते हैं, उसी प्रकार अपना जीवन अमूल्य बनाने के लिए ये सात संकल्प नींव का काम करेंगे…

पहला संकल्प- मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ।
दूसरा संकल्प- मैं हमेशा खुश हूँ। अभी तक हमने मन को सिखाया था कि खुशी चाहिए। फिर ये सिखाया कि खुशी चीज़ों में मिलेगी। तो हमने चीज़ें खरीदनी शुरू कर दीं। शरीर का आराम कुर्सी या सोफे पर ज्य़ादा हो सकता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मन की खुशी कुर्सी पर ज्य़ादा होने वाली है। चीज़ों से आराम मिलता है। चीज़ों से खुशी नहीं मिलती है। खुशी तो हमारे मन की स्थिति है। हमें रोज़ कहना है कि मैं हमेशा खुश हूँ। क्रमैं शक्तिशाली आत्मा हूँञ्ज बोलते ही हमने अपने आपको याद दिला दिया कि हमारा रिमोट कंट्रोल हमारे हाथ में है।

तीसरा संकल्प- कोई भी परिस्थिति आ जाए मैं शांत हूँ। परिस्थिति, लोगों का व्यवहार मुझे हिला नहीं सकता।

चौथा संकल्प- परमात्मा हमेशा मेरे साथ हैं। इसे रोज़ दिन में कई बार बोलना है। जैसा हम सोचेंगे, बोलेंगे, वो हमारे साथ होता जाएगा और हम वैसा बनते जाएंगे।
आप एक छोटे से बच्चे को देखें, जो सड़क पार करना चाह रहा है। वह कोशिश भी कर रहा है, पर उसे डर लग रहा है। फिर मम्मी-पापा का हाथ पकड़ते हुए हँसते-हँसते सड़क पार करता है। रोज़ खुद को याद दिलाएं कि भगवान मेरे साथ हैं। मैं उसकी शक्तियों में सुरक्षित हूँ। सोचते जाएंगे, बोलते जाएंगे। तो वैसा बनते जाएंगे।

पांचवा संकल्प- मेरा शरीर हमेशा स्वस्थ है। हम वो बोलते नहीं हैं, लेकिन जब कोई बीमारी आती है तो कहते हैं ये दर्द हो रहा है, वो दर्द हो रहा है। वो चार बार बोल देते हैं। अगर बार-बार बोला कि बीमार हूँ, बीमार हूँ, दर्द हो रहा है, दर्द हो रहा है। थका हुआ हूँ, तो वो बीमारी और बढ़ती जायेगी। जो सोचेंगे वैसा होता जाएगा। हमेशा बोलें कि मैं स्वस्थ हूँ। रोज़ अपने आपको आशीर्वाद देना है- मेरा शरीर स्वस्थ है।

छठा संकल्प- रोज़ बोलना है कि मेरे रिश्ते बहुत प्यारे हैं। मेरी सबके साथ बहुत अच्छी बनती है।

सातवां संकल्प- मेरा घर स्वर्ग है। रोज़ आशीर्वाद दो अपने घर को। मेरा घर स्वर्ग है। घर में कुछ ऊपर-नीचे होगा तो वो भी खत्म हो जाएगा। क्योंकि घर को रोज़ इतना अच्छा आशीर्वाद देंगे। सुबह उठते ही इन सभी संकल्पों को बोलें। फिर दिन में हर दो-तीन घंटे के बाद जब याद आ जाए, काम करते हुए भी, मन ही मन ये संकल्प दुहरा लें। जब खाना बना रहे हों तब बनाते-बनाते ये संकल्प उसमें डालते जाएं- शांत हूँ, खुश हूँ, शक्तिशाली हूँ, मेरा शरीर स्वस्थ है, घर स्वर्ग है, भगवान हमारे साथ हैं। परमात्मा हमें सिखाते हैं कि संकल्प कैसे करने हैं, सोचना कैसे है, बोलना कैसे है, सुबह-सुबह दिन की शुरुआत कैसे करनी है।
फिर आखिरी चीज़ रात को सोने से पहले करें। रात को जो हम सोचते हैं वो सारी रात हम पर काम करता है। रात के आखिरी संकल्प सोच में हमारे मन के अंदर चलेंगे। रात की आखिरी सोच बहुत-बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। रात को सोने से पहले दो मिनट फिर से बैठें, ये सात संकल्प फिर से करें और सबको शुक्रिया कहें। जब इतना अच्छा-अच्छा सोचकर सोएंगे तो कम नींद में भी सुबह हम बहुत ताजगी के साथ उठेंगे। जो हमारा आखिरी संकल्प होगा सोने से पहले वो सुबह उठते ही हमारा पहला संकल्प हो जाएगा।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें