जहाँ परमात्मा बाप है… वहाँ और कोई बात नहीं

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ब्रह्मा मुख से शिवबाबा ने जो सुनाया, वो अन्दर समाया हुआ है। वण्डर है बाबा का। तो दिल खोलके अन्दर देखते हैं, दिल में क्या है? जो बाबा ने सुनाया है, वही दिल में समाया हुआ है! वही फिर स्वरूप में लाना है। प्रैक्टिकल लाइफ में जितना वो यूज़ हो रहा है, उतना लगता है कल्प-कल्प के लिए यह नूँध हो रही है। कोई मुरली ऐसी नहीं है जिसमें बाबा कहे बच्चे मेरे को याद करो। तो पूर्व जन्मों के कर्मबन्धन फिर इस जन्म के बन्धन वो सब खलास करना है। किसके साथ भी हमारा कोई बन्धन नहीं है, बन्धनमुक्त। देह के सम्बन्ध से न्यारे बनने से सुख मिलता है इलाही। ऐसे ही सुख नहीं मिलता है। अगर देह के सम्बन्ध के बन्धन हैं तो दु:ख ही दु:ख है। मैं अपने देह को भी बन्धन बनायेंगी तो दु:ख है इसलिए देह में होते भी जैसे मैं देह से न्यारी हूँ। देह में हूँ ही नहीं। आत्मा इस शरीर से अगर निकल जाये तो यह शरीर कोई काम का नहीं है। यह वण्डर है कि आत्मा कैसे गर्भ में आती है! कैसे निकलती है, क्या है? पहले अज्ञान है तो लाइफ कैसी है, अभी वही लाइफ ज्ञान में आने से बहुत अच्छी है। ज्ञान क्या है? शरीर भी मेरा नहीं है, शरीर में हूँ। सारे दिन में आत्मा कितने विचार करती है! अभी उसको समझके कन्ट्रोल में रखना, फ्री रहना इससे मन शांत होगा। मन की शांति के लिए हमने कुछ दबाया नहीं है परन्तु शांत रहना अपने को सिखाया है। मन हो शांत, तन हो शीतल, ऐसी दुनिया बनानी है। पहले तो तुम अपने को बनाओ ना। मन के कारण तन भी घड़ी-घड़ी हलचल में आ जाता है। तो माया बिल्ली है, उसका झूठा कभी नहीं खाना चाहिए।
हर सेकण्ड में बाबा अपनी याद दिलाता है। ऐसा खींचने वाला है जो और कोई याद आता नहीं है। धीरज धर मनुआ, सुख के दिन आयेंगे। हर एक बात में बाबा याद है। इस गीत पर बाबा ने बहुत बार मुरली चलाई होगी। जो पिया के साथ है उसके लिए बरसात है… दूर देश का रहने वाला आया देश पराये। यह रावण का पराया देश है और बाबा को खास याद करना नहीं पड़ता है, पर बाबा की याद ऐसी है और कोई बात याद आती नहीं है।
जो बाबा ने मधुबन में किया कराया है वही सब करना है, बुद्धि में और कुछ प्लान नहीं है। जो भगवान का प्लान होगा उसी अनुसार करना है, चलना है। तो इसमें मैं अपना क्या प्लान करूँ या सोचूँ! जो भगवान का ड्रामा में बना हुआ है, उसी अनुसार बाबा चला रहा है, हम चल रहे हैं। तो याद क्या करें? पर ऐसे नहीं कोई अल्टा कर्म करता रहे। थोड़ा भी उल्टा करेंगे, गलतियां होंगी, तो पीछे सजायें नहीं मिलेंगी, अभी सजा मिलती है, बाबा के घर में पाँव टिकेगा नहीं। बाबा की यह रचना देख करके संगमयुग पर और क्या बात सुनाऊं, जहाँ बाप है वहाँ और कोई बात नहीं।

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