कोई भी एनर्जी ऐसे ही आ नहीं सकती, जब तक डायरेक्शन में न हो। तो यह एनर्जी मेरे पास क्यों आ रही है क्योंकि मैंने कभी ना कभी भेजी थी मुझे याद नहीं कब भेजी थी, लेकिन एनर्जी जब तक ऐसे जाएगी नहीं तब तक ऐसे आएगी नहीं।
यह ज्य़ादा लकी है वह कम लकी ऐसा कोई कॉन्सेप्ट नहीं है। वह लकी कौन डिसाइड करता है? कौन-सी एनर्जी मैंने यहाँ से भेजी थी। उदाहरण के तौर पर एक बॉल लेकर उसे दीवार पर मारा क्रलॉ ऑफ साइंसञ्ज कि बॉल वापस आती है। नियम के आधार पर उसी तरह किया हुआ कर्म और भेजी हुई एनर्जी वापस आती है। जब वापस आ रही है, वापस आने वाली एनर्जी पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं है। मतलब सामने से जो कुछ आ रहा है उस पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं है, लेकिन जब सामने से कोई कुछ करता है और हम रेस्पॉन्ड करते हैं वह हमारा नया कर्म होता है। अगर अब कोई मेरे से गलत व्यवहार कर भी रहा है, कोई मेरे जीवन में विघ्न डाल भी रहा है। कुछ भी कर रहा है सबसे पहले मेरे मन को यह नहीं कहना चाहिए यह मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? मेरे पास यह एनर्जी क्यों आ रही है? कोई भी एनर्जी ऐसे ही आ नहीं सकती, जब तक डायरेक्शन में न हो। तो यह एनर्जी मेरे पास क्यों आ रही है क्योंकि मैंने कभी ना कभी भेजी थी मुझे याद नहीं कब भेजी थी, लेकिन एनर्जी जब तक ऐसे जाएगी नहीं तब तक ऐसे आएगी नहीं। यह लॉ ऑफ कर्म है। जैसे लॉ ऑफ ग्रेविटी हमेशा वर्क करता है। तो मैंने पीछे भी अज्ञानवश एनर्जी भेजी थी वही एनर्जी मेरे पास सामने से आ रही है। भल सामने वाले के व्यवहार के रूप में आ रही है, अब मैं उनको चेंज कर नहीं सकती। लेकिन मुझे अब उनके बारे में कैसा सोचना है, फील करना है, बात करना है, वो मेरा नया कर्म है। तो एक ही समय पर तीन एनर्जी साथ-साथ काम करती है, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है। तीन काल साथ-साथ काम करते हैं। पास्ट, प्रेज़ेंट, फ्यूचर। जो मैं कर्म कर चुकी हँू वो पास्ट मेरे सामने आ जाता है। तो पास्ट मेरे सामने तब आता है जो मैं अभी कर्म क्रियेट करूंगी। अब मैंने कौन-से कर्म क्रियेट किए वो फ्यूचर बनेगा और फिर वह पास्ट बनकर मेरे सामने आयेंगे। ये समझना कितना इज़ी है।
लोगों के साथ व्यवहारिक अकाउंट बहुत सॉफ्ट रखना है। हम छोटी-छोटी गफलत करते रहते हैं ना, किसी के बारे में कुछ बोलना, किसी का कुछ बोलना, किसी ने ऐसे कर दिया, किसी का वह कर दिया वो सारी एनर्जी है जो हम फेंक रहे हैं, फिर हम कहते हैं मैंने किसी के साथ गलत नहीं किया तो मेरे जीवन में ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा हो नहीं सकता कि हमने कुछ किया हो और वो हमारे पास वापिस न आये। इट इस लॉ। लॉ ऑफ ग्रेविटी की तरह। जब तक ऐसे एनर्जी जाएगी नहीं तब तक एनर्जी ऐसे आएगी नहीं।
अब क्या हम अपने कर्म और संस्कार पर अटेंशन रख सकते हैं? इज़ी है? इसलिए नहीं कि दूसरों का भला करना है इसलिए क्योंकि अपने ऊपर रहम करना है। कम्पेशन(करुणा) दूसरों पर तब होगी जब पहले अपने ऊपर रहम करेंगे। परमात्मा कहते हैं अपने संस्कार और कर्म श्रेष्ठ बनाओ। इतना रहम करो खुद पर कि सृष्टि स्वर्ग बन जाये। सृष्टि स्वर्ग बन जायेगी तो गुस्सा करना, निराश होना, उदास होना यह मेरा कर्म बिगड़ रहा है। तो अब सामने से कोई भी एनर्जी आये 10 सेकन्ड के लिए अपनी आँखे बन्द करें किसी एक व्यक्ति को देखें, क्योंकि मुझे अच्छी एनर्जी नहीं भेज रहा है। वो घर में हो सकता है अच्छी एनर्जी मतलब कोई तंग कर रहा हो, कोई प्रॉब्लम डाल रहा है, कोई विघ्न डाल रहा है, कुछ ठीक से बिहेवियर नहीं कर रहा कुछ भी हो सकता है। उसे सामने ले आना,फिर कोई भी हो सकता है फैमिली मेम्बर भी हो सकता है। स्ट्रॉन्ग कार्मिक अकान्ट सबसे ज्य़ादा तो फैमिली में होता है। फिर मेरा मन कहता मेरा भाई ऐसा क्यों कर रहा है? मेरा बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है? यह तो सिर्फ एक रोल है। वह आत्मा है, जो कार्मिक अकाउंट होता है वह किसके बीच होता है? आत्मा के बीच होता है। मैं आत्मा आज शरीर में हँू, मैं आपके साथ कुछ गलत व्यवहार करती हँू, आज मेरा शरीर चेंज हो गया, मैं दूसरे शरीर में चली गई। थोड़े साल बाद आपका भी शरीर चेंज हो गया, आप भी दूसरे शरीर में चले गए, लेकिन हम फिर ज़रूर मिलेंगे। याद करो,जिस दिन शादी हुई थी पंडित जी ने कहा था कि पहली बार नहीं मिल रहे,सात जन्म एक ऐसे युग में जब एक होते हैं कुछ तो मीनिंग है ना! उसका मीनिंग है हसबैंड एंड वाइफ इतना स्ट्रॉन्ग कार्मिक अकाउंट होता है कि यह एक जीवन काल का कार्मिक अकाउंट नहीं होता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम हसबैंड वाइफ-हसबैंड वाइफ बनते रहते हैं। सात जन्म अकाउंट के अंदर आते ज़रूर हैं, बहुत-बहुत बार आते हैं। इसीलिए अब इस जन्म में हम इतने स्ट्रांग कार्मिक अकाउंट में आए हैं। कार्मिक अकाउंट सिर्फ हस्बैंड और वाइफ के रिश्ते के बीच नहीं होता, वह हर रिश्ते के बीच होता है। इसलिए जिसको भी देखो आपको लगता है, मेरे साथ ऐसे क्यों? शायद पिछली बार मेरी तरफ से कोई गड़बड़ हुई है। मतलब पिछली बार मैंने दूसरा कुछ भेज दिया अब वहाँ से आ रहा है तो मुझे दु:ख हो रहा है, लेकिन पॉवर अब मेरे पास है। अगर उनके व्यवहार को देखकर, उस गलती को देखकर मैं और दु:खी हो गई तो मेरा फिर प्रेज़ेंट कर्म भी कौन-सा चला जाएगा पिछली बार निगेटिव था, निगेटिव आ रहा है, फिर से निगेटिव हो जायेगा। ऐसे मोड़ पर हमें उसे सॉरी करना है या उस आत्मा को मेडिटेशन मतलब हमें वायब्रेशन देकर सॉरी बोलना है। जो हमारे जीवन में विघ्न डाल रही है। जो हम दोनों के बीच में क्रिएट हो गई है उसको हमें रियलाइज़ करना है। आज से मेरी तरफ से आपके लिए सिर्फ और सिर्फ सॉरी। लेकिन जन्म-जन्म के साइकल में पता नहीं किस-किस को दु:ख देकर आए हैं, तो एक सेकंड के लिए सुबह कहो कि सारे जिनके साथ मैंने इंटरैक्ट(बातचीत) किया है अनेक जन्मों में, उन सब को मैंने जो गलतियां की थी उसके लिए सॉरी। ताकि हम जब अगली बार मिलेंगे हमारा कार्मिक अकाउंट बहुत बढिय़ा रहेगा।
इस तरह हमें पास्ट के किए हुए कर्म को क्लीयर भी करना है और क्लीन भी करना है। हमें थोड़ा अटेन्शन रखना है, हमारे साथ जो भी हो रहा है या सामने से आ रहा है उसे सही अर्थ में समझ कर उसका रेस्पॉन्ड करना है न कि कर्म को और उलझाना है।