मुख पृष्ठकथा सरिताझूठ बोलना माना अविश्वसनीय बनना

झूठ बोलना माना अविश्वसनीय बनना

एक बार चार दोस्त थे। चारों को पढ़ाई करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। चारों पूरी-पूरी रात पार्टी करते रहते थे। एग्ज़ाम के पहले दिन भी वो पार्टी कर रहे थे। और इसीलिए उन्होंने सोचा कि वो टीचर के पास जाकर उनसे झूठ कहेंगे और एग्ज़ाम बाद में कभी दे देंगे।
पार्टी करने के बाद दूसरे ही दिन चारों टीचर के पास गए और टीचर से झूठ बोलने लगे कि कल रात हम एक शादी में गए थे। शादी से घर लौटते समय हमारी गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। गाड़ी में ज्य़ादा टायर नहीं था इसलिए हमें गाड़ी को धक्का मारते-मारते घर तक लाना पड़ा। हम कल रात इतना थक गए थे कि आज एग्ज़ाम देने के हालात में नहीं हैं। तो क्या हम बाद में एग्ज़ाम दे सकते हैं? ”टीचर ने उनकी बात सुनी और उनसे कहा, ”तुम एग्ज़ाम कल दे सकते हो।”
चारों ये सुनकर बहुत ही खुश हो गए। और घर जाकर पढ़ाई करने लगे। दूसरे दिन चारों एग्ज़ाम देने पहुंचे। टीचर ने उन्हें अलग-अलग क्लासरूम में बिठाया। क्वेश्चन पेपर में 2 ही प्रश्न थे। पहला तुम्हारा नाम क्या है और दूसरा,गाड़ी का कौन-सा टायर पंक्चर हो गया था? चारों ने झूठ कहा था इसीलिए चारों के उत्तर अलग-अलग थे। इस प्रकार से टीचर ने उनका झूठ पकड़ लिया।
शिक्षा : अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लें, कभी झूठ न बोलें, अपने शिक्षकों का सम्मान करें।

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