प्रतिबिम्ब

एक बार एक कुत्ता शीशों से भरे एक संग्रहालय में भागता हुआ आ गया। संग्रहालय अनोखा था; दीवारें, छत, दरवाज़े और यहाँ तक कि फर्श भी शीशों से बने थे। अपना प्रतिबिंब देखकर कुत्ता हॉल के बीचों-बीच आश्चर्य से ठिठक गया। उसे कुत्तों का एक पूरा झुंड ऊपर-नीचे, चारों तरफ से घेरे हुए दिखाई दे रहा था। कुत्ते ने दाँत दिखाए और भौंका, सभी प्रतिबिम्बों ने उसी तरह प्रतिक्रिया दी। डरकर कुत्ता उन्मत्त होकर भौंकने लगा; कुत्ते के प्रतिबिम्बों ने भी कुत्ते की नकल की और उसकी तीव्रता कई गुना बढ़ा दी। कुत्ता और भी ज़ोर से भौंका, लेकिन उसकी प्रतिध्वनि और भी तेज़ हो गई। कुत्ता एक तरफ से दूसरी तरफ उछल रहा था, जबकि उसके प्रतिबिम्ब भी इधर-उधर उछल रहे थे और अपने दाँत चटका रहे थे।

अगले दिन, संग्रहालय के सुरक्षाकर्मियों ने उस बेजान, लाचार कुत्ते को उसके हज़ारों प्रतिबिम्बों से घिरा हुआ पाया। कुत्ते को नुकसान पहुँचाने वाल कोई नहीं था। कुत्ता अपने ही प्रतिबिम्बों से लड़ते-लड़ते मर गया।

सीख- दुनिया अपने आप अच्छाई या बुराई नहीं लाती। हमारे आस-पास जो कुछ भी हो रहा है, वह हमारे विचारों, भावनाओं, इच्छाओं और कार्यों को दर्शाता है। दुनिया एक बड़ा आईना है। तो आइए, एक अच्छा पोज़ बनाएँ।

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