शरीर की सुरक्षा- सोच से

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बहुत समय का, बहुत काल का रिज़ेंटमेंट की स्थिति। रिज़ेंटमेंट का मतलब होता है नाराज़गी, कुढ़हन, कड़वाहट की स्थिति, हमारे अन्दर एक गाँठ बनाती है। और उस गाँठ की वजह से हमारे अन्दर बहुत सारे सेल्स और टीश्यूज़ जन्म लेते हैं जो हमारे जीवन को बदल देते हैं।

शरीर की स्वस्थ स्थिति हमारे विचारों का एक तरह से दर्पण है। जितना शरीर हमारा स्वस्थ है उतने हमारे विचार अच्छे चल रहे हैं। लेकिन बहुत सारी ऐसी बातें जो हमारे विचारों में है और उनसे बहुत बड़ी-बड़ी बीमारियां हमारे शरीर में पैदा होती हैं,उसका कारण हमको जानना चाहिए। आज एक ऐसी ही बात को लेकर हम आपके सामने आगे बढ़ रहे हैं। एक बहुत बड़ी बीमारी ज़रूरी नहीं है कि सभी का एक ही कारण है और भी कारण हो सकते हैं। लेकिन अगर किसी बीमारी के 100 कारण हैं या पचास कारण हैं तो उसमें से एक ये मुख्य कारण है। जो हमारे जीवन को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। बीमारी का नाम है कैंसर और कैंसर एक आम रोग की तरह हो गया है आज इस समाज में। उसके कारण की तरफ हम आगे बढ़ते हैं।
जब बहुत सारे लोगों से मिलना होता है, बातचीत होती है, चर्चा होती है, अन्दर की गहराई की बात होती है तो उनसे बात करते-करते बात सामने आती है कि बहुत समय तक जिसके साथ वो रहे हैं या आस-पास जिसके साथ वो रहे हैं, सबके साथ पूरी तरह से वो घुल-मिल नहीं पाये हैं। या घुले-मिले तो किसी न किसी लिहाज के कारण उनसे वो बातें नहीं शेयर कर पाये जो उनके अन्दर उसके प्रति विरोध की थी या उनके प्रति सम्मान की थी। या किसी ने उनको कुछ कह दिया उनको बुरा लगा लेकिन वो ये बात कह नहीं पाये कि मुझे ये बात अच्छी नहीं लगी। ऐसी बातें सबके सामने आईं। कहने का मतलब है कि बहुत समय का, बहुत काल का रिज़ेंटमेंट की स्थिति। रिज़ेंटमेंट का मतलब होता है नाराज़गी, कुढ़हन, कड़वाहट की स्थिति, हमारे अन्दर एक गाँठ बनाती है। और उस गाँठ की वजह से हमारे अन्दर बहुत सारे सेल्स और टीश्यूज़ जन्म लेते हैं जो हमारे जीवन को बदल देते हैं। और ये एक दिन में नहीं होता, रोज़ होता है क्योंकि हर दिन वो व्यक्ति ऐसा व्यवहार आपसे कर रहा है, हर दिन आपके सामने ऐसी बातें आ रही हैं और वो हर दिन गाँठ बनती जा रही है। मैं सिर्फ अपनी बात उनसे नहीं रख पा रहा जिनके साथ मेरा जीवन चल रहा है या जिनसे भी आप बहुत नज़दीक हैं। तो उनसे खुलके आप वो बात नहीं कह पा रहे। मुझे इस बात से समस्या होती है, मुझे ये बातें कृपया न बोला करें जो आप बोल रहे हो। तो ये बात बार-बार मैं आपसे क्यों कह रहा हूँ अगर हम सभी जीवन में सच में स्वस्थ रहना चाहते हैं तो किसी की भी ऐसी बात को लेकर आपको क्यों जीना चाहिए? आपका जीवन इम्पोर्टेंट(महत्वपूर्ण)है, आपका स्वास्थ्य है इम्पोर्टेंट है या आप या सामने वाला? तो सामने की इम्पोर्टेंस, सामने वाले का मूड, सामने वाले की स्थिति, सामने वाले का लिहाज करके आपने वो बातें नहीं की। लेकिन जो बाद में तकलीफें होती हैं ना उसको आप झेल नहीं सकते। उसको आप अपने ऊपर पूरी तरह से धारण नहीं कर सकते। तो ये लम्बे काल की प्रैक्टिस, लम्बे काल का अभ्यास, हमारे जीवन को बहुत तरह से बदल देता है। मतलब ये लम्बे काल का अभ्यास का मतलब यहाँ ये है कि अगर मैं बार-बार इन बातों को अभी भी बोलना शुरू कर दूँ, बताना शुरू कर दूँ, कहना शुरू कर दूँ तो 90प्रतिशत निदान आपको मिल जायेगा। हम चाहे इसकी कितनी भी दवाई करते हैं, हम चाहे कितना भी इसके लिए बहुत कुछ खाते-पीते हैं, जब इसका इलाज शुरू होता है तो और ज्य़ादा वो बढ़ता चला जाता है। और बहुत कम आत्मायें हैं जो इससे निकल पाईं।
ज़रूर लोगों के अन्दर एक दहशत होती है कि जिसको भी ये चीज़ हुई है वो आज नहीं तो कल फिर से उभर कर सामने आ जायेगी। और वो चीज़ बढ़ती चली जायेगी। पूरी तरह से ठीक नहीं होते। ऐसी मान्यता भी है और होने के बाद जब ठीक होता है, ऑपरेशन होता है उसके बाद भी काफी समय तक उसकी देखभाल करनी पड़ती है। लेकिन आपके विचारों की देखभाल आप करें। आपने अन्दर कोई भी ऐसी बात किसी की ली है, किसी के प्रति है तो उसे शेयर करें और उन्हीं से करें जिनके लिए है। अब जब बार-बार आप उसे ये बात बोलेंगे तो अन्दर जितनी भी ऐसी बातें हैं वो निकल जायेंगी। और जैसे-जैसे निकलेंगी वैसे-वैसे आपके सेल्स और टिश्यूज़ के अन्दर से भी वो धीरे-धीरे सारी एनर्जी डाउन हो जायेगी, निकल जायेगी। और जब वो निकल जायेगी, ब्रेन आउट हो जायेगी तो धीरे-धीरे सेल्स और टिश्यूज़ की फिर से मरम्मत हो जायेगी।
इसके बड़े सुन्दर
अनुभव हैं इसलिए इस अनुभव को आपके सामने एक बात के रूप में, एक छोटी-सी शुभभावना के रूप में रखा जा रहा है कि अगर आपके अन्दर सबके लिए, ये कोई छोटी बात नहीं है, बहुत बड़ी बात है। जितने भी लोगों से आप मिलते-जुलते हैं, बातचीत करते हैं, जिसके लिए भी आपके अन्दर वो सब चीज़ें चल रही होती हैं उन्हीं से समस्या हमारे अन्दर आती है। बाकी और कोई फॉर्मल(औपचारिकता) रिलेशन से हमारे अन्दर कोई समस्या नहीं आती। जितने भी इनफॉर्मल(अनौपचारिक) लोग हैं, जिनके भी साथ आपका जीवन गुज़रा है, उन्हीं से, या जिसके भी साथ आपके बहुत अच्छे सम्बन्ध रहे हों, उन्हीं से वो बातें हुई, उन्हीं से ही हमें इस बीमारी का सामना करना पड़ रहा है। मैंने शुरू में ही बोला, हमने आपके सामने शुरू में ही ये बात रखी कि ज़रूरी नहीं है कि वही बातें आपको डिस्टर्ब करें और यही 100प्रतिशत कारण है। और भी कोई कारण हो सकता है लेकिन ये भी उसमे से एक कारण है। अपनी बात को सबके सामने रखना बहुत ज़रूरी है।

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