मातृ दिवस से अवसर पर दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण का शुभारंभ

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फरिश्ता बनकर हर प्रकार से अपने बच्चो की पालना करती है मां उन्होंने कहा की श्रेष्ठ संस्कारों से ही श्रेष्ठ संसार की रचना हो सकती है बी.के विद्या दीदी

अंबिकापुर ,छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय के द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर परियोजना के अंतर्गत इस वर्ष 2022 को दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण वर्ष निश्चित किया गया है संस्थान की इस थीम का आज ब्रह्माकुमारीज के हाल में ब्रम्हाकुमारी बहनों एवं सभी भाई बहनों की उपस्थिति में दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया गया। भारत की स्वर्णिम दैवी संस्कृति को पुनः स्थापित करने के लिए उपस्थित भाई बहनों ने प्रतिज्ञा भी की और फॉर्म भी भरा।

मातृ दिवस के अवसर ” बेटी बचाओ सशक्त बनाओ” विषय को लेकर कार्यक्रम का आयोजन अनोखे तरीके से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ रिटायर्ड सी. आई. डी. इंस्पेक्टर एच पांडेय,रिटायर्ड फॉरेस्ट रेंजर डी. पी.पाठक,श्रीमती सरिता सोनी,सेवाकेंद्र संचालिका राजयोगिनी बी. के.विद्या, बी.के प्रतिमा बहन के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।

इस अवसर पर बी. के. विद्या दीदी ने कहा कि भगवान ने अपनी जगह मां को दी है इसलिए मां फरिश्ता बनकर हर प्रकार से अपने बच्चो की पालना करती है। उन्होंने कहा की श्रेष्ठ संस्कारों से ही श्रेष्ठ संसार की रचना हो सकती है। मां के संस्कारों को बच्चा अपने जीवन में ग्रहण करता है , इसलिए सर्व प्रथम मां को श्रेष्ठ संस्कारों से सशक्त बन स्व परिवर्तन कर  बच्चो के साथ  समाज एवं संसार को संस्कारों से युक्त नई जीवन की दिशा देनी होगी। जो आध्यात्मिकता से ही संभव है।

इसके साथ ही साथ उन्होंने आवश्यक सूचना देते हुए कहा की बच्चो के आंतरिक एवं नैतिक विकास के लिए संस्था द्वारा दिनाक 20/5/22 से 29/5/22 तक समर कैंप का आयोजन संस्था में ही किया गया है ।

बी.के. प्रतिमा बहन ने मां के महत्व को बताते हुए कहा की मां कोई शब्द नहीं मां वो जीवन है जिससे सभी का जीवन निर्माण होता है । विषय को लेकर उन्होंने  कहा की वर्तमान समय बेटी बच गई है सिर्फ हमे उनके संस्कारों को बचाना होगा और ये कार्य एक मां ही कर सकती है।

एच पाण्डेय ने मातृ दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मां एक ऐसी छवि है जिसके सानिध्य में ही स्वर्ग की परिकल्पना हो सकती है। पूत कपूत हो सकता है लेकिन माता कुमाता नही हो सकती ।

डी. पी. पाठक  ने अपने जीवन के अनुभव को बताते हुए कहा   की  माता पिता का आशीर्वाद बच्चो को आगे बढ़ाता है ।

श्रीमती सरिता माता ने सभी को मातृ दिवस की शुभकनाए दी,एवं अपने जीवन का अनुभव साझा करते हुए कहा की मां को सहन करते एवं सभी बातों को समाते हुए आगे आना होता है।

इसके अतिरिक्त बच्चों ने गीत, कविता, भाषण, और मां के ऊपर बहुत सुंदर मैसेज दिया एवं अपनी मां के ऊपर भावना व्यक्त करते हुए गिफ्ट एवं गुलदस्ते दिए तथा अपनी गलती को महसूस कर मां के महत्व को समझते हुए क्षमा मांगी और अच्छे कार्य करने की प्रतिज्ञा की। श्रीमती रिचा शुक्ला ने कहा कि मुझे भी अपनी मां की याद आ गई और उन्होंने मां के ऊपर सुंदर गीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का सफल संचालन बहन अवंतिका ने किया एवं ब्रम्हा कुमारिज की ओर से यह संदेश दिया कि मां के संस्कारों को एवं उनके महत्वता को जागृत कर ही बच्चो को आदर्श जीवन दिया जा सकता है।

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