नये साल की कर लें प्लानिंग

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ये साल तो बीते सालों की तरह गुज़रने ही वाला है परंतु आने वाले साल का क्या सोचा है आपने? क्या करेंगे आप इस साल? क्या आप अच्छा-अच्छा खायेंगे, पहनेंगे और घूमने जायेंगे? हाँ,ये सब तो ठीक है लेकिन खाने, घूमने के अलावा और क्या करेंगे आप? क्योंकि बाबा के बच्चों का कोई भी दिन, त्योहार और नया साल यहीं तक सीमित नहीं होता है ना! बाबा के बच्चों का हर दिन एक नई क्रांति से शुरू होता है, तपस्या से शुरू होता है, धारणा से शुरू होता है और पोतामेल के बाद योग निद्रा पर खत्म होता है। फिर क्या-क्या नया करने वाले हैं आप इस साल? क्या आपने कुछ सोचा है? अब आप कहेंगे कि हमारी तो मंजि़ल है ही कर्मातीत अवस्था को पाने की तो इस बार भी हम यही लक्ष्य रखकर आगे बढ़ेंगे, नए साल की शुरुआत करेंगे। ये तो बहुत खुशी की बात है कि आपको आपका लक्ष्य पूर्ण रीति स्पष्ट है परंतु क्या-क्या विधियां अपनाएंगे आप उसको प्राप्त करने के लिए, क्या ये भी स्पष्ट है आपको? कर्मातीत अवस्था तो है हमारी मंजि़ल, परंतु उस मंजि़ल तक पहुंचने का रास्ता क्या है हमारा? जैसे मधुबन आने के लिए आपको पता होता है कि आप किस रास्ते से गुज़रेंगे और रेलगाड़ी, बस, हवाई जहाज किसके माध्यम से आयेंगे,ठीक ऐसे ही हमें ये भी ज्ञान होना चाहिए कि कर्मातीत अवस्था तक जाने के लिए क्या, कब और कैसा पुरूषार्थ करना है, कब अपनी चेकिंग करनी है। फिर अगर कोई कमी निकलती है तो किस गुण व शक्ति से उसको भरना है, कौन-सा ज्ञान का प्वाइंट वहां रखना है। क्रोध को शांति की शक्ति से खत्म करना है या प्रेम की शक्ति से, नफरत को प्रेम की शक्ति से खत्म करेंगे या धैर्यता से? ये सभी बातें जब हमें स्पष्ट होंगी तभी हम आगे बढ़ सकते हैं।
इस साल की अगर आपने अपनी योजना बना ली है तो बहुत अच्छा और अगर नहीं भी बनाई है तो कोई हर्जा नहीं अब कर लीजिए। मेरा अनुभव ये कहता है कि हमारे छोटे-छोटे कदम ही हमें हमारी मंजि़ल तक ले जाते हैं। जैसे सीधे 4 घंटे के योग की योजना न बनाएं बल्कि आप 2 घंटे के योग की योजना बनाएं। अगर आपका योग अभी सिर्फ 1 घंटा या उससे कम है तो आप सीधे निर्विकारी बनने की ना सोचें। इस आने वाले साल में बल्कि आप अपने 1-1 विकार पर काम करेंगे। हम उदाहरण से आपको पूरा स्पष्ट करते हैं, आप स्वयं की चेकिंग करें किस समय और किस बात को लेकर आपमें कौन-सा विकार इमर्ज होता है। जैसे संगठन में जाने से आपको अहंकार आता है, क्रोध आता है, आप कमज़ोर महसूस करते हो तो क्या किसी के देह की सुंदरता को देखकर आप स्वयं के लिए बुरा महसूस करते हो? क्या अपने कपड़े, धन, सुंदरता, ज्ञान पद को लेकर कमज़ोर या अहंकारी हो जाते हो? इस रीति से स्वयं की चेकिंग करो आप। कब, कौन-सी और किस विधि से माया मुझ आत्मा पर अटैक करती है? क्योंकि जब तक हम स्वयं को चेक नहीं करेंगे तब तक हम स्वयं को चेंज भी नहीं कर सकेंगे। जितना-जितना चेक करेंगे उतना-उतना चेंज होंगे ये तो अव्यक्त बापदादा के महावाक्य हैं। नो चेक, नो चेंज। इसलिए अब आप अपनी यही चेकिंग कीजिए कि कब और किस परिस्थिति में कौन-सा विकार मुझे हिट करता है, जब आप ये कर लेंगे तो यकीन मानिए आप जल्दी ही स्वयं को परिवर्तित भी कर लेंगे। क्योंकि कई बार हम योग में इमर्ज कर रहे होते हैं सहन करने की शक्ति परंतु वास्तव में चाहिए होती है हमें समाने की शक्ति। कहते भी हैं ना कि क्रक्रजांच सही तो इलाज सहीञ्जञ्ज। ये वाक्य बिल्कुल सटीक बैठता है हम ब्राह्मणों के ऊपर भी, हमारे विकार रूपी बीमारी के लिए भी।
अब आप प्रतिदिन कुछ घंटे अके ले में बैठ स्वयं की चेकिंग कीजिए कि क्या-क्या बदलाव आपको लाने हैं स्वयं में,और-और कैसे उन बदलावों को ला सकते हैं। आपको स्वयं ही रास्ता मिलेगा और नहीं तो आप मुरली से मदद लीजिए, बाबा से शक्ति लीजिए, बाबा किसी न किसी रीति से आपको टच करा ही देंगे। यकीन मानिए आप इन छोटी-छोटी परिस्थितियों में जब स्वयं की चेकिंग करेंगे ना तो आप बहुत ही जल्द स्वयं में बहुत परिवर्तन पायेंगे,ये मेरा खुद का अनुभव है। वास्तव में जो विकार हमें छोटे लगते हैं ना, वो असल में छोटे होते नहीं हैं। जैसे ये लोभ, मोह को जो हम काम विकार से छोटा समझते हैं परंतु हकीकत में इनकी तार बहुत सूक्ष्म और गहरी होती है। एक फिल्म की लाइन है क्रक्रजो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहींञ्जञ्ज। ये लाइन बिल्कुल सत्य है क्योंकि हमारी जि़ंदगी भी तो एक फिल्म की तरह ही है ना और इस सृष्टि नाटक मंच पर, करते हैं अभिनय हम यहाँ। तो इस नाटक में भी जो हमें आसान दिखता है व छोटा दिखता है वो हकीकत में छोटा होता नहीं है, लेकिन इसका अर्थ ये भी नहीं है कि हम उसमें कभी कुछ परिवर्तन कर सकें या उसको खत्म न कर सकें ऐसा कुछ भी नहीं है। इसलिए अब जब हम सभी को अपना लक्ष्य स्पष्ट हो ही गया तो क्यों न हम स्वयं में वो सभी लक्षण भी धारण कर लें जो उसकी (लक्ष्य) प्राप्ति के लिए आवश्यक हैं।

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