राजिम: मकर सक्रांति के अवसर पर हल्दी कुमकुम कार्यक्रम

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श्रीमती भावना अग्रवाल (डायरेक्टर,सेठ फूलचंद कॉलेज), श्रीमती मधुरानी (वाईस प्रिंसिपल कुलेश्वर महादेव महाविद्यालय) डॉ. उमा गुप्ता, श्रीमती दानी (व्याख्याता), ब्रह्माकुमारी पुष्पा बहन, ब्रह्माकुमार नारायण भाई, ब्रह्माकुमारी प्रिया बहन स्वर्णिम भारत की ध्वज वाहक नारी कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित करते हुए.

राजिम,नवापारा,छत्तीसगढ़: मकर सक्रांति पर आयोजित हल्दी कुमकुम कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। नवापारा राजिम छत्तीसगढ़ ,16 जनवरी, जीवन में सत्य ज्ञान आता है तो उस से पवित्रता आती है ।पवित्रता का अर्थ है अंदर बाहर एक। इससे हमारा तन काया कल्प तरु समान बन जाती है ।हल्दी का आध्यात्मिक अर्थ होता है हेल्दि अर्थात स्वस्थ तन। जब हमारे जीवन में पवित्रता आ जाती है तो तन भी निरोगी बन जाता है और कुमकुम का अर्थ होता हैअविनाशी सुहाग। जैसे हमारी शरीर और आत्मा का कमाइंड है। पतिव्रता नारी की निशानी सदा वह अपने सिर पर कुमकुम लगाती है अर्थात उसका जीवन साथी इस दुनिया में है। ऐसे ही हम आत्माओं का पिता परमात्माहै। उसकी याद में ही यह कुमकुम लगाते हैं। जिससे हमारा जीवन सत्यम शिवम सुंदरम बन जाता है । अर्थात जीवन से मृत्यु का भय, चिंता, डर निकल जाती है। इसी की यादगार यह मकर सक्रांति का पर्व हल्दी कुमकुम के रूप में मनाया जाता है। यह विचार इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के जोनल कोआर्डिनेटर ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने ब्रम्हाकुमारी त्रिमूर्ति भवन के ग्लोबल पीस हाल में मकर सक्रांति के अवसर पर हल्दी कुमकुम के कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत की ध्वजवाहक नारी विषय पर महिलाओं को संबोधित करते हुए बताया। इस अवसर पर सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्मा कुमारी पुष्पा बहन ने बताया कि  नारी के अंदर एक अदृश्य शक्ति पवित्रता है और जिसके अंदर पवित्रता है वही नारी ध्वजवाहक बन सकती है,। उसी की याद में नवरात्रि मनाया जाता है ।शिव के साथ पार्वती है अर्थात पर्वत के समान अटल है। मुख्य अतिथि श्रीमती भावना अग्रवाल, डायरेक्टर सेठ फूलचंद अग्रवाल कॉलेज ने कहा कि नारी व नर दोनों में समानता होती है। हम सब को एक दूसरे के सहयोग की आवश्यकता होती है। हम नारी जिस रोल में हो उस रोल को 100% निभाए जैसे रावण ने ब्राह्मण का रोल निभाया। डॉ उमा गुप्ता ने बताया ऋतु परिवर्तन मकर सक्रांति से प्रारंभ होता है इस दिन स्नान आदि कर दान यज्ञ कर खुशी का अनुभव करते हैं। महिला अध्यात्म से परिपूर्ण हो जाए और निर्विकार  बन जाए तो समाज का उत्थान होना ही है। कार्यक्षमता और कार्यकुशलता दोनों शाक्ति के कारण महिलाये आगे है।  हम घर में ही रहकर  अपने पति बच्चे भाई पड़ोसी को नशा मुक्त भ्रष्टाचार से दूर करके अच्छे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं । माननीय अतिथि श्रीमती मधु राजनीश शुक्ला वाइस प्रिंसिपल कुलेश्वर महादेव शासकीय महाविद्यालय ने बताया की स्वर्णिम भारत की स्थापना करने के लिए नारी में क्षमा, सेवा* *भाव के कारण हम इतना असंभव कार्य भी संभव कर सकते हैं ।नारी शक्ति आदिकाल से पूज्य स्वरूप से चली आ रही है। अपनी सोई हुई शक्तियां अगर हम पहचान ले तो हम नारी अबला नहीं एक शक्तिशाली नारी बन सकते हैं। सुअजना उपाध्याय, संरक्षक ब्राह्मण महिला समाज ने बताया कि हम प्रतिदिन विश्व के बारे में, देश के बारे में ,समाज के बारे में, फिर परिवार के बारे में ,अंत में अपने बारे में सोचें ।सभी के प्रति अच्छी भावना रखें, सबके साथ प्रेम का स्वरूप होना जरूरी है ।परिवार को  संस्कारित करने में माताओं का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी प्रिया बहन ने किया।

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