अगर हम समय को पहचान गए कि यह महापरिवर्तन का समय है, यह कल्याणकारी संगम का समय है इस सत्य को जो समझ गये उनमें कौन-सी बुद्धि आएगी, सद्बुद्धि। वो टाइम वेस्ट नहीं करेगा, वह अपने संकल्पों को वेस्ट नहीं करेगा, क्योंकि पता है यह बीज बोने का समय है।
हमें सत्य पता चला है कि यह समय कौन-सा है, कौन आया है, हम कौन हैं, वह क्या दे रहा है और क्या होने वाला है हम सब कुछ जानते हैं। सबसे बड़ी बाबा की देन है बाबा का सत्य ज्ञान। ब्राह्मण जन्म होते ही दिव्य बुद्धि की गिफ्ट बाबा देते हैं। बाबा रोज़ सुबह-सुबह हमें क्या देता है? अकल देता है। कहते हैं न कि भगवान सुबह-सुबह अकल बांटने आते हैं। कहते हैं ना भगवान जब अकल बांटने आए तो कहाँ गए थे, सोये हुए थे क्या? ऐसे कहते हैं ना वह तो बेचारे अज्ञान नींद में सोये हैं, हम रोज़ सुबह-सुबह बाबा से अकल लेते हैं। मुरली क्या देती है जब कोई प्रश्न पूछते थे ना बाबा से, तो बाबा बताते थे एक भाई ने प्रश्न पूछा कि बाबा मित्र संबंधी बहुत आग्रह करते हैं शादी कर लो, शादी कर लो, बाबा मैं क्या करूँ? तो बाबा ने मुरली में ही जवाब दिया कि बच्चे क्या करना है, क्या नहीं करना है। क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए यही तो बाबा रोज़ समझाते हैं। फिर भी बच्चा पूछ रहा है ज़रूर शादी करने की दिल है तभी तो पूछ रहा है। वरना भगवान ने तो कह ही दिया है कि हमें क्या करना है। रोज़ यह साधारण शब्दों में सत्य बात बाबा बताते हैं, सद्बुद्धि देते हैं। इसलिए बुद्धि का पात्र बाबा कहते हैं सोने का चाहिए।
मुरली बुद्धि को शार्प और स्वच्छ बनाती
आप देखेंगे कईयों में बहुत शक्ति है। जो भी बड़े-बड़े जज हैं, कितने बड़े-बड़े डिसीज़न देते हैं, लेकिन बुद्धि शुद्ध होगी तो ही उस निर्णय शक्ति को सही दिशा में लगा सकेंगे इसलिए बुद्धि का पात्र बहुत स्वच्छ चाहिए। हमारा और कोई शास्त्र नहीं है। हमारा एक ही शास्त्र है, वो है मुरली। सर्व शास्त्रों का सार उसमें है। उसका जितना अच्छी तरह आप अध्ययन करते हैं उससे हमें राइट सेंस मिलती है। इस ज्ञान और योग से बाबा कहते तुम इतने सेंसिबल बनते हो। जो बात बाबा समझाते हैं उससे सही सबक सीखना है। बाबा ने आत्मा का लेसन दिया उससे हमने कौन-सा पाठ सीखा कि हम सब आत्मा भाई-भाई हैं। इसका मतलब हमारा सबसे व्यवहार कैसा हो? पवित्र हो, अपनेपन का हो, रूहानी स्नेह का हो। तो वह पाठ सीखना वो है दिव्य बुद्धि। अगर हम लड़ते रहते हैं तो आत्मा भाई-भाई क्या सीखा हमने? जब हमारे मन में किसी के लिए कोई घृणा ना हो, नफरत ना हो, वैर ना हो, द्वेष ना हो, ईष्र्या ना हो तो कहेंगे हमने वह पाठ पढ़ा और सबके कल्याण की बुद्धि प्राप्त की, इस प्रकार हमने समय को पहचाना। अगर हम समय को पहचान गए कि यह महापरिवर्तन का समय है, यह कल्याणकारी संगम का समय है इस सत्य को जो समझ गये उनमें कौन-सी बुद्धि आएगी, सद्बुद्धि। वो टाइम वेस्ट नहीं करेगा, वह अपने संकल्पों को वेस्ट नहीं करेगा, क्योंकि पता है यह बीज बोने का समय है।
समय पर असाधारण कर्म कर लेना समझदारी
अगर अलबेलेपन से इस समय सावधान नहीं रहे, कोई हल्का कर्म रूपी बीज बोया तो अनेक गुणा हल्का ही फल मिलेगा। संगम पर यह वरदान है कि एक का पदमगुणा मिलता है। भगवान के आने पर यह ऑफर है। पर अगर कर्म रूपी बीज साधारण बोये तो अनेक गुणा फल भी साधारण ही मिलेगा। तो हमने जाना यह कौन-सा समय है। पर इससे हमने दिव्य बुद्धि क्या प्राप्त की कि मुझे समय को सफल करना है, सृष्टि के आदि-मध्य-अंत को जान लिया, किस कारण से उतरती कला हुई और किन गुणों से चढ़ सकते हैं, वह अटेन्शन लेकर धारणाएं जीवन में करना वह दिव्य बुद्धि है।
समय है एक पर बुद्धि एकाग्र करने का
अब एक बाप से योग लगाना है। यह समय है बाबा को याद करने का,औरों को याद नहीं करना है। रोज़ की मुरली से हमें दिव्य बुद्धि प्राप्त करते जाना है। तो कोई कंफ्यूज़न नहीं होगा, आप कभी मूंझेंगे नहीं। कैसी भी परिस्थिति आए सॉल्यूशन बाबा का दिया हुआ है। बुद्धि में हम घबरायेंगे नहीं, चिंतित नहीं होंगे, भयभीत नहीं होंगे। हम दु:खी हो नहीं सकते भल हिसाब-किताब भी आयेंगे, बीमारियां भी आयेंगी, परिस्थितियां भी आयेंगी, ऊपर-नीचे भी होगा, कमाई में, धंधे में किसी में भी मैं आत्मा हिलूंगी नहीं। क्योंकि ज्ञान है कि ड्रामा कल्याणकारी, ज्ञान कल्याणकारी, हिसाब-किताब चुक्तू हो रहे हैं। हिम्मत रहेगी, धीरज रहेगा। इसलिए सावधानी चाहिए कि कोई भी संगदोष में यह दिव्य बुद्धि बिगड़ न जाए, प्रभाव न पड़े। किसी के संग में हर बात मुझे वेरीफाय करनी है मुरली से, जहाँ से हमें श्रीमत मिलती है। और बाबा कहते हैं न कि हमेशा यह सोचो मेरे स्थान पर ब्रह्मा बाबा होते तो क्या व्यवहार करते तो आपको सही निर्णय आयेगा और दिव्य बुद्धि भी। उसके बाद ही पुरुषार्थ आगे चलता है।