भल किसने कुछ भी कहा हो, मेरा बाबा कल्याणकारी है, हमारे को क्या करने का है? जैसे किसके अवगुण पर नफरत आती है, ऐसे अपने अवगुण पर नफरत करो। जिसको नफरत आई यह बड़ा अवगुण है। देखा गया है- घृणा दृष्टि ज़रा भी किसके लिए भी है, मेरी दृष्टि में घृणा है तो दया, दुआ दृष्टि बदल गई। दया और दुआ दृष्टि सदा रहे, जैसे मेरे बाबा की है।
दया और दुआ दृष्टि से हमारी पालना हुई है। कभी बाबा ने मम्मा ने घृणा नहीं रखी। कैसा भी है, हमको कहेगा बच्ची संग की सम्भाल करो। संग अच्छा रखेंगे तो तुम्हारा भला है। हम किसके संग में रहें, तो दूसरे को भी एक बाप के संग का रंग लग जाए।
बाबा से जो 4 रूप दिखाई देते हैं, एक मेरा साकार बाबा, उसने एडॉप्ट किया, गोद में बिठाया फिर सामने बैठ पढ़ाया। आज दिन तक बचपन नहीं भुला है। बचपन के दिन भुला न देना…। बचपन का दिन भुला माना सिरदर्द। हमको क्या करना है? बच्चे हैं बाबा के, तो बाबा शक्ल से दिखाई देेता है। पढऩे के समय आँख खोलकर सामने बैठकर पढ़ो। तुम गुलाब का फूल बच्चा हो ना, बाबा माली है, कोई कांटा न हो। साकार में शिवबाबा बैठकर हमको पढ़ावे। फिर क्या बना रहा है वह अपनी स्थिति से दिखा रहा है। बाबा को कभी देहधारी रूप से नहीं देखा है, सदा अव्यक्त चमकता हुआ देखा है। हड्डियां हैं नहीं। दधीचि ऋषि बन हड्डियां दे दीं। सेवा दिल से की है। चौथा भविष्य, कृष्ण भी दिखाई पड़ता फिर नारायण स्वरूप का नशा सदा देखा। ऐसे बाबा को चारों रूप से देखते बाबा के पास रहे हैं। इतनी हमें विदेही बनाने की, देह अभिमान छुड़ाने की मेहनत की, फिर सारा प्यार जो भर दिया वह अन्तिम जन्म तक भूले नहीं हैं। इस साकार के साथ तुम 84 जन्म पार्ट बजाओ। वह कहता मैं दु:ख-सुख में नहीं आऊंगा। अच्छा है। हमने कभी दु:खी होकर भगवान को याद नहीं किया।
इन अन्तिम घडिय़ों में त्याग, तपस्या वाली सेवा करो, इसमें मनी, टाइम, एनर्जी सब बचेगा। जो बाबा ने आदि से कराया है वही हम करेंगे, टाइम, मनी सब सफल हो। हमारी एनर्जी ऐसी हो जो कम से कम अपने आपको तो सम्भाल सकें। अपनी स्थिति को तो सम्भाल सकें, साथियों को तो दे सकें। कोई सामने आये तो मुस्कुरा तो सकें। मुरझाये हुए रहेंगे, मुस्कुरायेंगे नहीं तो सेवा क्या करेंगे!
जो बहुतकाल का होगा वह अन्तकाल में सबको नज़र आयेगा। अभी मेरे अन्दर क्या है, वह पता नहीं पड़ता है, अन्तकाल का सबको पता पड़ जाता है। तो यह अपने आपका ध्यान रखना है।