बाबा हम बच्चों को शक्ति भी देता है, खुशी भी देता है। पहले खुश रहने की शक्ति देता है इसलिए सदा खुश। कोई भी ऐसी घड़ी, मिनट नहीं है जो खुश न हो। कारण कुछ है ही नहीं, अगर कारण आता भी है तो देखने के लिए कि यह कहाँ तक खुश है? क्योंकि जब से बाबा के बने हैं, बाबा से खुशी मिली है तब तो बाबा के पास बैठे हैं। सेवा भी करते हैं, खुशी मिलती है। अगर मैं एक सब्जेक्ट में भी वीक हूँ तो खुशी नहीं होगी। योग कम होगा तो खुशी नहीं होगी। धारणा में कोई कमी होगी, जो हमारे नियम मर्यादायें बने हुए हैं, उसके अनुकूल अगर नहीं चलते हैं, कुछ भी मिस किया है तो खुशी नहीं होगी। भले सेवा करेंगे क्योंकि सेवा तो चलते-फिरते कोई न कोई सेवा सामने है पर अन्दर खुशी नहीं है।
ज्ञान क्या कहता है? योग अच्छा हो। ज्ञान है, हे आत्मा अपने को आत्मा समझ परमात्मा बाप को याद करो, बस यह है योग। मैं रिअली आत्मा हूँ… देह के भान से परे। देह, दुनिया यहाँ है, जहाँ रावण का राज्य था अभी हम उस राज्य से निकल आये हैं। बाबा ने वहाँ से निकाल लिया है स्व पर राज्य करने के लिए। स्वयं का स्व पर राज्य है, ईश्वर के बच्चे हैं पर सेवाधारी भी हैं। बाबा ने इतनी अच्छी पुरुषार्थ की सहज विधि सिखाई है कि बीती को चितवो नहीं, आगे की रखो न आश, तो फ्री हो गये। वर्तमान में हैं तो कहेंगे बहुत अच्छा है।
बाबा कितना अच्छा रहमदिल है, फ्राकदिल है, एक ही टाइम में कहता है याद में रहो, योग माना कनेक्शन से माइट मिल जाती है। याद में अचल-अडोल हैं, कोई चिंता व फिकर नहीं, यह अपना अटेन्शन रखना पड़ता है। और योग में बाप, टीचर, सतगुरु वन्डरफुल है। बाबा के हरेक महावाक्यों में बड़ा अर्थ समाया हुआ है। याद में रहो तो विकर्म विनाश होंगे। अभी बाबा का बनने के बाद विकर्माजीत, कोई भूल-चूक करके फिर से विकर्म नहीं करो। फिर भी बाबा कहता है अगर भूल की हो तो बाबा को सच-सच बताओ। बाबा माफ करने में बहुत होशियार है। अगर मैं सच्ची दिल से बात न करूँ, रियलाइज़ न करूँ ना, तो बाबा सजायें भी देता है, सकाश भी देता है, याद भी देता है इसलिए कर्म में सावधान रहना है।