दूसरों को दोष न दे अपने को सुधारें

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एक व्यापारी व्यापार करने के लिए शहर से दूसरे शहर जाता था, बीच में रेगिस्तान का कुछ इलाका पड़ता था। वह आदमी एक निगेटिव सोच वाला इंसान था हमेशा शिकायत करता था कि मेरे पास ये नहीं है, वो नहीं है इसकी कमी है, उसकी कमी है।
एक दिन वह रेगिस्तान में से गुजर रहा था तभी उसकी पानी की बोतल खाली हो जाती है उसे बड़ी जोर से प्यास लगती है, लेकिन रेगिस्तान में पानी ना मिलने की वजह से उसे बहुत गुस्सा आता है और बोलता है कि खराब जगह है ना कोई पेड़ है ना पानी, रास्ता भी लम्बा है, रेगिस्तान पार करना पड़ता है।
तभी आसमान की तरफ देख करके कहता है कि भगवान ये कैसी जगह बना दी है आपने। अगर मेरे पास में बहुत सारा पानी होता, बहुत सारे संसाधन होते तो इस जगह पर हरियाली कर देता, बहुत सारे पेड़ लगा देता। वह आदमी ऊपर देखकर ये सब बातें कह रहा होता है और ऐसा लग रहा था कि जैसे ऊपर वाले से जवाब की प्रतीक्षा कर रहा हो कि भगवान कुछ कह दे।
वह कुएं के पास पहुंचा और देखा कि कुआं पूरी तरह पानी से भरा हुआ है परन्तु वह आदमी निगेटिव सोच वाला था और हमेशा शिकायत करता रहता था और फिर से आसमान की तरफ देखते हुए बोला भगवान पानी से भरा हुआ कुआं तो दे दिया लेकिन पानी निकालूंगा कैसे? तो इस बार जब उसने नीचे देखा तो फिर से चमत्कार हुआ उसे कुएं के पास रस्सी और बाल्टी दिखाई दी, लेकिन आदमी ने फिर से ऊपर देखा और बोला भगवान अब इस पानी को ले जाऊंगा कैसे?
तभी उसको एहसास हुआ जैसे उसके पीछे कोई है, उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक ऊंट खड़ा हुआ होता है। वह पूरी तरह से घबरा गया और सोचने लगा कि ये तो सच में हो रहा है। मैंने बातों-बातों में कह तो दिया लेकिन अब मुझे यहाँ हरियाली करनी पड़ेगी और पेड़ लगाने की •िाम्मेदारी लेनी पड़ेगी।
आदमी को पानी से भरा कुआं मिल गया, बाल्टी और रस्सी मिल गई, पानी को ले जाने के लिए ऊंट भी मिल गया, सबकुछ मिल गया। अब वह आदमी सोच रहा था कि बातों-बातों में मैंने ये क्या बोल दिया! ये तो गड़बड़ हो गयी। अब वह अपनी जि़म्मेदारी से बचने के लिए तेजी से दौड़कर भागने लगा। तभी एक कागज उड़ते हुए आया और उसके शरीर से चिपक गया।
उसने जब उस कागज को देखा तो उसपर लिखा था कि मैंने तुम्हें पानी दिया, कुआं दिया, रस्सी और बाल्टी दी, पानी ले जाने के लिए साधन दिया फिर भी क्यों बचकर भाग रहे हो? उस आदमी को लगा कि मेरे साथ पता नहीं क्या हो रहा है। वह दौड़ते-दौड़ते रेगिस्तान को पार कर लेता है लेकिन उस रेगिस्तान को हरा-भरा नहीं बना सका।

सीख : हम हमेशा शिकायतें ढूंढा करते हैं, अपनी जि़म्मेदारी से बचकर भाग रहे होते हैं। ये कहानी हमें सिखाती है कि लाइफ में हम जो कुछ भी कर रहे हैं 100 प्रतिशत जि़म्मेदारी हमारी है कि उस काम को बिना किसी शिकायत के पूरा करें और दूसरों को दोष देना, उनकी गलतियां बताना बंद कीजिए, अपनी गलतियों को सुधारना शुरू कीजिए।

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