जितना स्वदर्शन चक्र चलेगा उतना शुद्धिकरण होता जायेगा

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पांच स्वरूप का अभ्यास, स्वदर्शन चक्र चलाओ। जितना स्वदर्शन चक्र आपका चलेगा उतना ही असुरों का गला कटेगा, आपका शुद्धिकरण हो जायेगा। तो ये पांच स्वरूप का अभ्यास बाबा ने कहा है आठ बार, बारह बार करो। सारे दिन में करो, हर घंटे में एक बार करो।

बाबा हम बच्चों को कहते हैं अपने संग की संभाल करो। किसका संग कर रहे हैं ये देखो और हमेशा मन से बाबा का संग करते रहो। बाबा के संग में रहो, मुरली के संग में रहो, श्रीमत के संग में रहो। तो ये संग यानी ये फास्टिंग करो तो मन के संकल्प अशुद्ध नहीं होंगे। लेकिन अगर बुरा संग होगा, तो मन के संकल्प अच्छे नहीं होंगे ना! और आज की दुनिया में सबसे बड़ा संग कौन-सा है,जो व्यक्ति को बिगाड़ता है? मोबाइल, मोबाइल है ना! पता नहीं क्या-क्या देखते रहते हैं और कहाँ-कहाँ पहुंच जाते हैं तो बुद्धि खराब होगी या नहीं होगी! इसलिए बाबा कहते हैं साधन हैं उसको यूज़ करो लेकिन मालिक बनकर यूज़ करो, गुलाम बनकर नहीं। ये फास्टिंग बहुत ज़रूरी है। अगर ये फास्टिंग नहीं किया तो क्या होगा? परिवर्तन मुश्किल है। बुरी संगत का फास्टिंग ज़रूरी है। मालिक बन जाओ, स्वराज्य अधिकारी। बाबा ने एक मुरली चलाई जिसमें रूलिंग पॉवर और कंट्रोलिंग पॉवर के बारे में कहा। क्यों कहा? क्योंकि बाबा भी ऊपर से देख रहा है कि बच्चे किसकेसंग में सारा दिन क्या कर रहे हैं। कितना टाइम वेस्ट कर रहे हैं। इसलिए इसका फास्टिंग करना बहुत ज़रूरी है।
क्या हम एक हफ्ते में एक दिन मोबाइल का उपवास नहीं कर सकते हैं? नेचरक्योर में भी हफ्ते में एक दिन उपवास कहते हैं ना! उस दिन सुबह से सभी को ये बताओ कि आज मेरा गुरूवार का उपवास है और गुरूवार को मैं मोबाइल बिल्कुल ऑपरेट नहीं करूंगी या करूंगा। एक दिन पूरा बाबा के साथ रहेंगे तो बाबा भी आशीर्वाद देगा कि नहीं देगा? उसकी मदद भी मिलेगी।
हफ्ते में एक दिन आप खुद को देखो मैं गुलाम हँू या मालिक बनकर प्रयोग कर रहा हँू! ये आप चेक करो अपने आपमें कि एक दिन अगर मैंने उपवास किया मोबाइल का तो मैं उसके बिना रह सकता हँू कि नहीं! मोबाइल के बिना अगर बेचैन हो जाते हैं तो इसका मतलब आप गुलाम हैं। इस गुलामी को खत्म करो। और अगर आप खुशी में रह सकते हैं, तो आप समझो मैं मालिक बनकर प्रयोग कर रहा हँू। एक दिन पूरा आप बाबा के साथ एन्जॉय करो। और फिर फास्टिंग के बाद आप अपने विचारों को देखो कि आज मेरे विचार कैसे हैं? फिर देखो संस्कार परिवर्तन होता है कि नहीं होता है? फास्टिंग करेंगे तो संस्कार परिवर्तन ज़रूर होगा।
संस्कार परिवर्तन के लिए बाबा ने जो अभ्यास हम बच्चों दिया है पांच स्वरूप का। फास्टिंग करेंगे तो क्या करेंगे? अल्टरनेट कुछ देना पड़ेगा ना! नहीं तो मोबाइल की याद बार-बार आती रहेगी। इसलिए पांच स्वरूप का अभ्यास, स्वदर्शन चक्र चलाओ। जितना स्वदर्शन चक्र आपका चलेगा उतना ही असुरों का गला कटेगा, आपका शुद्धिकरण हो जायेगा। तो ये पांच स्वरूप का अभ्यास बाबा ने कहा है आठ बार, बारह बार करो। सारे दिन में करो, हर घंटे में एक बार करो। इस चक्र को घुमा दो, स्वदर्शन चक्र से क्या होगा? अपने अंदर रहे हुए बुरे स्वभाव-संस्कार जो हैं या संस्कार रूपी असुर हैं उनके गले कट जायेंगे। तब देखना कितना पॉवरफुल अंदर में हो जायेंगे आप। स्वदर्शन चक्र जिसके पास हो वो कितना पॉवरफुल हो जाता है और पॉवरफुल नहीं लेकिन श्रीकृष्ण के साथी बन जायेंगे। श्रीकृष्ण के साथ जीवन जीने का अवसर मिलेगा नई दुनिया में। ठीक है!

राजयोगिनी ब्र.कु. उषा बहन, वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका

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