आज हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं वहाँ हर पल एक तनाव की स्थिति है और इस तनाव की स्थिति में हम किसी से मिलते हैं और थोड़ा काम कर लेते हैं और शाम को जब घर लौटते हैं तो ज्य़ादातर हमारा शरीर काम नहीं कर रहा होता है। तो इतने सारे विचारों को लेकर चलने के कारण जैसे लगता है जीवन में यही ज़रूरी है। लेकिन जो जीवन को सम्भालने के लिए, जीवन को चलाने के लिए, जिस शरीर और जिस साधन का हम इस्तेमाल कर रहे हैं उसको भी तो थोड़ा समझने की आवश्यकता है ना! तो इसलिए देखो कितना भी हम सारे हर बार मंथली चैकअप करा लें, रूटीन में चैकअप कराते हैं बॉडी का। फिर भी बीच-बीच में हमारे अन्दर कोई न कोई ऐसी बातें निकलके आती हैं जो हमने कभी सोची भी नहीं होती। इसी का एक शास्त्रगत उदाहरण है कि लक्ष्मण को मेघनाथ का बाण लगा और वो मूर्छित हो गये। अब देखो मूृर्छित होना और उसमें ये दिखाया गया है कि बहुत दूर कोई पहाड़ों के बीच में, हिमालय की गोद में कोई ऐसी जगह है जहाँ पर एक ऐसी बूटी है जिसका नाम संजीवनी है। अगर वो पिला दी जाये तो वो ठीक हो जायेंगे। और वो लाई गई और पिलाया गया, ऐसी दृढ़ मान्यता है शास्त्रों में। लेकिन उसका हमारे जीवन में क्या भाव है उसको भी तो हमको समझना है ना!
आज बहुत सारी ऐसी बीमारियां हैं जिनका कोई इलाज नहीं है, वो लाइलाज हैं। उसका इलाज सिर्फ खुशी, शांति और प्रेम ही है। कई बार क्या होता है कि हीलिंग हो रही होती है शरीर में,लेकिन हीलिंग का बेस है कि आप कितना ज्य़ादा तनावमुक्त हैं, कितना ज्य़ादा खुश हैं। पहाड़ों में कोई चीज़ का मिलना इस दुनिया में मतलब, दुनिया में बहुत गूढ़ता के साथ, बहुत ज्य़ादा अन्दर जाकर कोई चीज़ को ढूढंता है तब जाकर उसको रहस्य पता चलता है कि हमारे जीवन में जो आज कोई चीज़ है जो खो गई है, वो है पवित्रता। क्योंकि पहाड़ों को, ऊंचाईयों को देखो तो उनपर कौन तपस्या करता था, ऋषि-मुनि करते थे और इतनी दूर कौन-सी चीज़ सुरक्षित रह सकती है,जो बड़ी प्युअर हो। जो प्युरिटी का रस हम सब आत्माओं के अन्दर ज्य़ादा से ज्य़ादा जाता है तो हमको जि़ंदा करता है, हमारी मूर्छा को धीरे-धीरे खत्म करता है। तो हम सभी मूर्छित आत्मायें का मतलब हमारा कॉन्शियसनेस है, लेकिन हमारे हाथ-पाँव नहीं चल रहे हैं ठीक से। इसका मतलब ये है कि अगर आपके हाथ में एक गिलास दे दिया जाये और हाथ हिलता रहे तो क्या उसके अन्दर पानी टिकेगा? शायद नहीं टिकेगा। ऐसे ही जब हमारा बे्रेन एक तरह से हमारा हाथ है वो हिल रहा है,फुल टाइम। लेकिन उसके अन्दर जो मन है- जिसको हम माइंड कहते हैं, जिसको हम सॉल कहते हैं वो सही रूप से अपने आपको स्थिर ही नहीं कर पायेगा। इसलिए ब्रेन को शक्तिशाली बनाने के लिए, ब्रेन को बल देने के लिए, ब्रेन के अन्दर पॉवर डालने के लिए मुझे अपने आपको तैयार करना है। और वो ही तैयारी हमारी आज की मूर्छा का कारण है। क्योंकि मोबाइल से बहुत सारे एडिक्शन हैं हमारे अन्दर। और मोबाइल के कारण हमारे ब्रेन का फेज़ ही बदल गया है।
ब्रेन हमेशा उस चीज़ की डिमांड टाइम टू टाइम करता रहता है। वो उस चीज़ को एक्सेप्ट करने को राज़ी नहीं है जो हम डेली करते हैं। आपने देखा होगा कि इतना ज्य़ादा हम लोगों के ऊपर इसका प्रेशर है तो बीच-बीच में हमारा हाथ चला जाता है मोबाइल के ऊपर। और हम उस चीज़ को करने लग जाते हैं। तो अवेयरनेस मेडिटेशन का पहला पहलू है। और वो जागृति ये कहती है कि हम सभी इस शरीर से आँख खोल कर तो बैठे हैं, लेकिन अन्दर से हिले हुए हैं। मतलब हम सभी के लक्ष्य में ये जो साधन के रूप में हम मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं या किसी गैजेट का इस्तेमाल करते हैं उसने हमारे एक-एक चीज़ को डैमेज कर दिया है।
तो अब हम सबको एक चीज़ की ज़रूरत है वो है सही रूप से अपने आपको मेडिटेट करके हील करना और उसका आधार है हर चीज़ को प्युरिटी के साथ अपने अन्दर ले जाना। और जो प्युरिटी का रस, पवित्रता का रस इसके अन्दर पीस और हैप्पीनेस ऑलरेडी मिले हुए होते हैं। और जब वो हमारे अन्दर जाते हैं तो हमारी मूर्छा खत्म होनी शुरू हो जाती है और ये दुनिया की सबसे बड़ी संजीवनी बूटी है। ये इसका पर्सनल अनुभव भी है और हम सभी इसको करने के बाद बहुत अच्छा फील भी करेंगे। तो एक बार क्यों न इस बूटी को आजमाया जाये और अपने घर को सुरक्षित बनाया जाये, इस शरीर रूपी घर को। ताकि इससे हम अच्छी तरह से काम ले सकें।