इंदौर ,मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय “अनुभूति भवन” प्रेमनगर सेवाकेंद्र द्वारा “मातृ दिवस” पर आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया| कार्यक्रम का विषय था “ स्वस्थ एवं सुखी परिवार में माताओं की भूमिका ” | इस अवसर पर 125 से अधिक लोगो ने लाभ लिया | कार्यक्रम में नगर की मुख्य गणमान्य महिला अतिथि उपस्थित थी |
- श्रीमती रेखा मेलवानी ( प्रोफेसर, श्री वैष्णव प्रबंधन संस्थान,इंदौर )
- श्रीमती स्नेहलता शर्मा ( सेवानिवृत्त वरिष्ठ शासकीय अध्यापिका )
- श्रीमती डॉ. रश्मि हेडाउ ( गायनेकोलोजिस्ट एवं संचालिका, आशीर्वाद हॉस्पिटल एंड IVF सेंटर , इंदौर)
- श्रीमती डॉ. संगीता टावरी (गायनेकोलोजिस्ट तथा संचालिका, पुष्प श्री हॉस्पिटल, इंदौर )
- श्रीमती मंजूषा जोहरी ( डायरेक्टर, अनादी कला केंद्र एवं मोटिवेशनल स्पीकर)
- बी. के. शशी दीदी जी ( प्रभारी, मुख्य सेवाकेंद्र प्रेमनगर इंदौर पश्चिम क्षेत्र)
- बी.के. यश्वनी दीदी (इंदौर प्रेमनगर सह संचालिका एवं बिजलपुर उप सेवाकेंद्र प्रभारी )
- बी. के. दामिनी बहन ( इंदौर सुदामानगर उप सेवाकेंद्र प्रभारी )
ब्र.कु. यश्वनी दीदी तथा ब्रह्माकुमारी बहनों ने अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान पुष्प गुच्छो, पगड़ी, तिलक, श्रीफल एवं तुलसी पौधे से किया एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया साथ ही कु. द्रिविका बागोरा ने स्वागत नृत्य किया तथा कु. कायरा ने मातृशक्ति के सम्मान में नृत्य प्रस्तुत किया | बहन मंजूषा जोहरी ने कार्यक्रम का संचालन किया |
इस अवसर पर श्रीमती रेखा मेलवानी ने अपनी माँ को कविता समर्पित कि साथ ही बताया की एक बच्चे में पांच वर्ष की उम्र तक धारण किये हुए संस्कार जीवनभर साथ रहते है, अतः एक आदर्श माँ को बाल्यकाल से ही बच्चो को अच्छे संस्कार देना एक नैतिक जिम्मेदारी है, तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण बन पायेगा |
तत्पश्चात बहन डॉ रश्मि हेडाऊ ने कहा कि माँ की उम्र भर कि मेहनत उसके जीवनभर का त्याग और संघर्ष साथ ही उसके सदाबहार प्रेम करने की अनुपम शक्ति, लेकिन आज के दिन माँ का भी एक कर्तव्य है कि वो बच्चो को कुछ ऐसा दे जो वो अपनी माँ से चाहता है | माँ ही ब्रह्मा है, माँ ही सरस्वती कि तरह मास्टर लीडर है, माँ ही अपने बच्चो कि परम सद्गुरु बन कर उनमे संस्कार डालती है | फिर वही संस्कार बच्चे आगे बढ़ाते है जो फिर पीढ़ी दर पीढ़ी चला आता है, जिसका बीज माँ के द्वारा डाला गया है |
बहन स्नेहलता शर्मा ने संस्था का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जिनकी माँ होती वह बहुत भाग्यशाली होते है, एवं माँ एक सुरक्षा कवच की तरह होती है, जो केवल अपने परिवार ही नहीं अपितु पुरे समाज के लिए अपना दायित्व निभाती है | माँ को बच्चो को सिर्फ भोजन देना ही आवश्यक नहीं है लेकिन उनमे नैतिक एवं अध्यात्मिक शिक्षा भी प्रदान करने की आवश्यकता है |
पुष्प श्री हॉस्पिटल कि संचालिका बहन डॉ संगीता टावरी ने बताया कि माँ वो हस्ती है जो अपनी पूरी जिंदगी लगा देती है अपने बच्चे का जीवन बनाने मे, हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है- जननी जन्मभूमिश्च : स्वर्गादपी – जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है |
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी दामिनी बहन ने कहा कि – माँ शब्द हमे याद दिलाता है त्याग,तपस्या और बलिदान, बच्चे के जन्मे से लेकर उसके आत्मनिर्भर बनने तक माँ का बलिदान होता है, माँ स्वयं सब त्याग कर बच्चो के लिए सभी सुख सुविधाए देती है | हमने कई गाथाये सुनी है, कि कई मातायें जन्मे देने वाली मातायें ही नहीं लेकिन विश्व कि माँ बन गयी | इस भारत भूमि कि आदि संस्कृति ही माँ के बलिदानों कि गाथा से भरी हुई है |
ब्र. कु. शशी दीदी जी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया एवं विषय पर ध्यान खिचवाते हुए बताया कि – एक स्वस्थ, खुशहाल परिवार की बुनियाद माँ ही होती है, वह त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति होती है | एक माँ बिना अपेक्षा के अपना पूरा जीवन अपने बच्चो के लिए समर्पित कर देती है | हमारे जीवन में कई रिश्तो के बावजूद सबसे पारदर्शी और नि:स्वार्थ रिश्ता वही है जो हम अपनी माँ के साथ साझाँ करते है | माँ भगवान का अद्भुत उपहार है, जो बिना शर्त प्यार बरसाती है और मूल्यवान शिक्षाओं के माध्यम से हमारे जीवन का पोषण करती है |
अंत में बी.के. यश्वनी दीदी ने सभी अतिथियों एवं सभा का आभार व्यक्त किया तथा कविता के माध्यम से मातृशक्ति को नमन किया –
मेरी माँ आज भी अनपढ़ है, रोटी आज भी मांगती हूँ एक और, वो दो लाकर देती है, ऐसी होती है हमारी माँ, माँ सबकी जगह ले सकती है, लेकिन माँ कि जगह कोई नहीं ले सकता है, शायद इसीलिए कहते है दोस्तों कभी अपनी माँ का दिल नहीं दुखाना चाहिए क्योकि वो अपनी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती है.