हर प्राणी अपनी-अपनी योनि में खुश है… चाहे वो मनुष्य हो या पशु-पक्षी

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इतना बड़ा कटाक्ष मनुष्य मनोवृत्ति पर किया गया कि पशु भी मनुष्य को एक्सेप्ट नहीं करना चाहते। अब आप सोचिए और देखिए अपने आपको कि हम कहाँ हैं!!!

पिछले अंक में बात कर रहे थे कि मनुष्य की आत्मा मनुष्य का ही जन्म लेती है, न कि किसी पशु-पक्षी का। अब तीसरी बात कई बार कई लोग सोचते हैं कि क्या पशु-पक्षी को कभी मनुष्य बनने का विचार नहीं आता होगा, वह मनुष्य योनि में आना नहीं चाहता होगा!
मैं एक ही बात आपसे पूछती हँू कि जब मनुष्य हर रीति से भोगना भोग रहा है- शारीरिक, मानसिक, इमोशनल हर रीति से और उस वक्त भगवान उसके सामने आ करके पूछे कि क्या दूसरे जन्म में तूझे कोई पशु-पक्षी, कीड़ा-मकोड़ा बना दूं? तो क्या मनुष्य बनना चाहेगा! इतनी भोगना के बावजूद भी मनुष्य शायद यही कहेगा कि नहीं, मैं मनुष्य ही रहना चाहता हँू। ठीक इसी तरह हर आत्मा अपनी-अपनी योनि में बहुत खुश है। पशु-पक्षी अपनी योनि में बहुत खुश हैं। कीड़े-मकोड़े अपनी योनि में बहुत खुश हैं। आप सोचेंगे कि बहन जी आपको कैसे पता, अनाज में जब कीड़े पड़ जाते हैं और उस अनाज को हम जब धूप में रखते हैं तो देखा जाता है कि वह कीड़ा भी अपनी जान बचाने के लिए भागता है। क्यों, क्योंकि उसको भी अपनी योनि प्रिय है, इसीलिए वह अपनी जान बचाने के लिए भागते हैं। मनुष्य को भी अपनी योनि प्रिय है। एक बहुत सुंदर कार्टून मैंने देखा था एक बार, तीन बंदर आपस में बात कर रहे थे- पहला बंदर कहता है दूसरे बंदर से कि सुना है मनुष्य कहता है कि वह हमारे वंशज हैं। दूसरे बंदर ने कहा, क्या कहा मनुष्य का प्रमोशन हो गया क्या? तो तीसरा बंदर कहता है मैं तो उसको कभी अपने वंशज के रूप में स्वीकार ना करूं, यह तो एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, यह संस्कार हमारे नहीं हैं। इतना बड़ा कटाक्ष था मनुष्य की मनोवृत्ति के ऊपर। आज मनुष्य इतना गिर चुका है कि पशु-पक्षी भी हमें उस नज़र से देखने लगे हैं।
जब पहले बंदर ने कहा कि सुना है मनुष्य अपने आप को हमारे वंशज कहते हैं, तो दूसरे ने कहा क्या प्रमोशन हो गया? प्रमोशन माना कि इतना अच्छा हो गया, सुधर गया! तीसरा बंदर जब कहता है कि मैं तो उसको कभी अपने वंशज के रूप में स्वीकार न करूं क्योंकि एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं। और बात भी सही है- मनुष्य, मनुष्य का खून करने के लिये ज़रा भी हिचकता नहीं है। अरे परिवार का एक सदस्य दूसरे सदस्य को मारने के लिए भी हिचकता नहीं है।
मुझे याद आता है कि एक बार जब हम माउण्ट आबू जा रहे थे तो रास्ते में बहुत बंदर आते हैं, तब भी थे। तो बंदर आपस में उछल-कूद कर रहे थे कि अचानक सामने से ट्रक आया तो एक बंदर का बैलेन्स थोड़ा बिगड़ गया, ट्रक की टक्कर लगी और उछल करके ज़ोर से गिरा, लगा के मर गया। जैसे ही ट्रक गुज़र गया तो आप मानेंगे नहीं सारे बंदर उछल-उछल कर वहां पहुंच गए जहाँ वह गिरा और उसको साइड में कर दिया ताकि दूसरा कोई व्हीकल उसके ऊपर से न गुज़र जाए और सब उसके इंतज़ार में बैठे उसको होश कब आए।
ये सब दृश्य हम देख रहे थे और जैसे ही उस बंदर को होश आया तो सब इतने खुश होकर उछलने लगे, यह बंदर है। लेकिन आज मनुष्य को अगर कोई टक्कर मार दे तो लोग खड़े भी नहीं होते हैं देखने के लिए या उसको कोई मदद करने के लिए, उसको हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए, कितना अंतर है मनुष्य और बंदर में। इतना बडा कटाक्ष मनुष्य की मनोवृत्ति पर किया गया है। इसीलिए कहा कि हर प्राणी अपनी-अपनी योनि में बहुत खुश हैं।

दूसरी बात कि कहा जाता है जैसा बीज वैसा फल अगर एक आम का बीज डालो नेचुरल है उसमें आम ही मिलेगा आम का बीज डाल करके उसमें से चीकू तो नहीं मिलेगा क्यों क्योंकि बीज अलग है। धर्नी वही है आकाश वही है वायु वही है जल वही है लेकिन एक बीज से दूसरा कोई नहीं मिल सकता क्यूं क्योंकि हर बीज की कैरेक्टरिस्टिक फीचर अपने-अपने है। इसीलिये एक बीज से दूसरा फल मिल सकता है। टेस्ट आ सकता है कलम करके लेकिन एक बीज से दूसरा फल नहीं मिल सकता है ठीक इसी तरह ईश्वर ने भी मनुष्य आत्मा को एक बार मनुष्य योनि में रोपित कर दिया तो फिर वह जानवर कैसे बनेगा जिस आत्मा को जानवर योनि में रोपित कर दिया तो मनुष्य कैसे बनेगा क्योंकि दोनों आत्मा के कैरेक्टरिस्टिक फीचर अपने-अपने है। आज मनुष्य आत्मा के कैरेक्टर स्टिक्स फीचर्स क्या है वो आत्मा में इतनी क्वोटेंशन है जो 10 साल तक का सोच सकता है। प्लानिंग कर सकात है। और सारा प्लानिंग करके वो चलता है। इतनी क्षमता है उसके बच्चे के बच्चे क्या खायेंगे वो भी सोच लेता और इका करना शुरू कर देता है जानवर शाम को क्या खाएगा उसके लिए इका नहीं करता हर योनि की विशेषता अपनी-अपनी है। मनुष्य में एक्स्ट्रा समझ सकती है एक्स्ट्रा सोचने की पावर है कि क्वोटेंशन उस आत्मा के अंदर है जो जानवरों में नहीं है। है लिमिटेड है अडरस्टेडिग लिमिटेड है। मनुष्य से ऐक्सेल हो जाता है ऐसा नहीं है। लेकिन जानवर मे जो विषेश ता है वो मनुष्यों में नहीं है। कहा जाता है कोई अगर प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है भूकंप आने वाला होता है तो जानवरों को 24 घंटे से पहले मालूम पड़ जाता है मनुष्य के पास इतने साधन होने के बावजूद भी उसको मालूम नहीं पड़ता है।और जानवरों को पहले से मालूम पड़ जाता है कहा जाता है कि जब सुनामी आने वाली थी उस वक्त कहा जाता इंडोनेशिया में हाथी को 4 दिन पहले से मालूम पड़ गया था हाथियों ने इतना अपना आवाज करना शुरू किया और जहां उन्हें बंधा बांधे हुए थे या जहां उन्हें रखा था वहां से अपने मालिक को लेकर के आगे की ओर चलने लग पड़े और पहाड़ी की तरफ जाने लगे क्योंकि वह स्लो पेर से चल ता है तो 4 दिन में वह पहाड़ी पर पहुंच गए हाथी बच गए 4 दिन पहले उसको मालूम पड़ गया सुनामी आने वाली है मनुष्य के पास इतने साधन संसाधन होने के बावजूद भी उसको 24 घंटे पहले भी मालूम नहीं पड़ा पक्षियों को भी मालूम पड़ जाता है। वो भी आवाज करने लग जाते हैं उडना चालू कर देते हैं तो जो विशेषता उनमें है वो मनुष्य में नहीं है और जो विशेषता मनुष्य में है वह पशू पक्षि में नहीं है तो हर मनुष्य आत्मा रुपी बीज कीकैरेक्टरिस्टिक अपनी अपनी है। तो एक बीज से दूसरा फल कैसे मिल सकता है। सोचने कि बात है तब कहा हर मनुष्य आत्मा अपने कर्मों का फल अपनी योनि में रह करके ही चूक्तू करता है जानवर अपने कर्मों का फल अपनी योनि में रहकर के चूक्तू करता है आज एक कुत्ते को भी हम देखें एक कुत्ता जो है मोटर गाड़ी बंगले में घूम रहा है दूध और ब्रेड खा रहा है और दूसरा कुत्ता डस्टबीन से किचडा उठाकर के खारा रहा है वो अपनी योनि में रहकर अपने कर्मों का फल भोगता है। मनुष्य अपनी योनि में रहकर के कर्मों का फल भोगता है आज अगर सारी योनियों में घूम कर के आए तो तो कर्म सिद्धांत ही फेल हो जाए इसीलिए मनुष्य अपनी योनि में बहुत खुश हैं और अपनी योनि में रहकर के ही अपने कर्मों का फल भुगता है। कई बार कई लोगों को पूर्वजन्म याद आता है देखा जाता है कई लोग जो बताते हैं पूर्वजन्म की बातें छोटे छोटे बच्चे और वहां जाकर रिसर्च किया जाता है तो वास्तविक होता है। मुझे याद आता है एक छोटा बच्चा दिपक नाम था उसका 3-4 साल का जब हुआ तो अपने माता-पिता को कहता था जैसे बोलना शुरू किया कि मुझे अपने घर जाना है मुझे अपने घर जाना है माता-पिता बार-बार उसको समझाए यही अपना घर है वो कहे मेरा घर अलग है। मुझे वहां जाना है। खैर माता-पिता को तो मालुम नहीं था ऐक दिन बच्चे को गाड़ी में घुमाने ले जा रहे थे और घूम कर के जब वापस आ रहे थे तो एक मोड़ आया जहां से बच्चे ने कहा कि अब यहां से राइट ले लो माता-पिता ने कहा नहीं बेटा हमारा घर तो इस तरफ है नहीं कहा मेरा घर तो इस तरफ है इस तरफ ले लो फिर राइट लेफ्ट आदि बताते हुए अपने एक बहुत बड़े बंगले के पास पहुंचा कहा यह मेरा घर है बहुत खुश हो गया कहा बेटा यह अपना घर नहीं है उन्होंने सोचा पता नहीं किस का बंगला है और कहा यह ले आया कहा नहीं मेरा घर है न चलो आप वहां वांच मेंन खड़ा था उसको कहा शारदा है घर में तो कहां है कहां दरवाजा खोलो उसने दरवाजा खुला अंदर लेकर गया वहां जाकर के बेल बजाई बहन आई बहन को देखते ही कहता शारदा मुझे पहचाना नहीं पता नहीं कौन है फिर जाकर के वो अपनी कुर्सी पर जहां हमेशा बैठता था उसी कर्सी पर उसी स्टाइल मे जाकर बैठा तब वो बहन को महसूस हूआ रे यह तो कहीं वह आत्मा तो नहीं है तो फिर उसने कहा के घर में एक नौकर था जिसका नाम हरि था तो उसने कहा कि हरी है घर में तो कहा नहीं वह तो मर गया सेठ जी जाने के बाद वह भी मर गया तुरंत 1 महीने के अंदर ही तो कहा कोई बात नहीं दूसरा कोई नौकर है घर में तो कहा है तब बच्चे कहां गए छोटा सा बच्चा पूछता है 3 साल का तो कहा वो तो बिजनेस पर गए हुए हैं तो बहन तो समझ गए कि यह वही आत्मा है माना उसका पति जो पिछले जन्म वही आत्मा है फिर उसने कहा नौकर को बुलाओ पीछे जाना है घर के पीछे के साइड में गए और वहां एक बड़ा पेड़ था उस नॉकर को कहा यहां खुदाई करो खुदाई किया और नीचे से पिटारा निकाला बडे आश्चर्य हो गया कि पिटारा और सारे बैन्क के किताबे पता नहीं क्या इम्पॉटन डॉक्युमेंटस् उसके अंदर थे उसने उस बहेन को दिया कि यह बच्चों को दे देना और उसके बाद वो चला गया भूल गया सब कुछ माना उसके बाद उस समय कहा उस बच्चे ने कहां यह पेटी मैंने हरी नौकर के साथ मिलकर के उसको यह पेड़ के पास अंदर गाड़ दिया था क्यों तो कहा मुझे पहले दिन ही मालूम पड़ गया था कि हमारे घर में रेड पढऩे वाली हैं और इसलिए जब रेड पडऩे वाली है तो सारे डाक्यूमेंट्स जितने भी हाथ में सूटकेस में भर कर के उस पिटारे के अंदर डाल कर के उसको वहां झाड़ के नीचे खड्डा खुदवा करके दफना या जो मैं और हरी दो ही जानते थे और कोई नहीं जानता और इसलिए वह आत्मा जब गई वह संस्कार लेकर के गई माना वह अंतिम इच्छा यही थी उसकी मरने से पूर्व कि अब सब दबा का दबा रह जाएगा किसी को कुछ तो पता नहीं चलेगा तो यह जन्म में जाकर के भी वह पिछली स्मृति जो उसको सता रही थी अंदर में बच्चों को देख कर के फिर आऊ और जैसे उसे हैंड ओवर कर दिया उसके बाद विस्मृत हो गया फिर अपने माता-पिता को कहते हैं चलो अपने घर बस वो लास्ट संकल्प उसका पूरा हो गया ठीक इसी तरह कई बार पशु भी अपना पूर्व जन्म बताते है कि वो पशु ही थे पीछले जन्म में कैसे तो मुझे याद आता है एक बार एक न्यूज़ पेपर में यह बात आई थी कपल अपने कुत्ते के साथ घूमने गए थे जैसे ही आ रहे थे तो अचानक वो कुत्ता एक डम परेसान होकर के भोकने लगा इन लोगोंने जैसे गाड़ी खडी किया उसने खिड़की से काच से खुला था कूदकर के सामने फार्महाउस था उसमें दौड़ करके चला गया यह लोग उसके पीछे पीछे गया कि पता नहीं उसको क्या स्मेल आई क्या हुआ क्यों गया वो वहां जाने के बाद एक बूढ़ी माता जी थी जो घूम रही थी तो उसको जैसे प्यार करने लगा वह बूठी माता जी को भी पता नहीं यह किसका कुत्ता है क्यों इतना प्यार कर रहा है जैसे यह वहां पहुंचा तो बूढ़ी माता जी ने कहा पता नहीं यह आपका कुत्ता है कहां हां हमारा कुत्ता है यहां दौड़ करके ले आया वो बूढी माता जी देखते रह गइ फीर अचानक कुत्ता पीछे की और गया और अचानक कुछ ढूंढने लगा तब यह बूढी माता जी हंसने लगी कहा यह कितने साल का कुत्ता है। कहा तीन साल का कहा तीन साल पहले मेंरे पास एक कुतीया थी और यह जो ढूढ रही है न उसने अपने बच्चे वहां रखे थे बच्चों को ढूंढ रही है कहा फिर क्या हुआ तो कहा वह मचान पर रखा था बर्फ के दिन थे इतना बर्फ गिरी और उसके बच्चे सारे बर्फ में धक वो बर्फ निकाल रही थी गए थे वह बर्फ निकाल रही थी बच्चों के उपर से और जो है। अचानक उसका पैर फिसला नीचे गीरी निचे वो कुल्हाडी थी उस पर गिर के मर गई यह जो अभी ढूढ रही है न वो लास्ट वो क्षण थे पशु के मनुष्य ने अपने पूर्व जन्म बताता है मनुष्य तो किसी ने आज तक यह नहीं बताया कि जानवर योनि से मनुष्य बने यह किसी ने नहीं बताया कहने का भावार्थ मनुष्य मनुष्य योनि में रह कर के ही अपने कर्मोंे का फल भोगता है। ओम शान्ति।।

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